Hooded Pitohui : पिटोहुई की लगभग छह प्रजातियां हैं, जिनमें से हूडेड पिटोहुई सबसे घातक है । (Wikimedia Commons) 
अन्य

न्यू गिनी का यह पक्षी हैं सबसे जहरीला, छूने से भी हो जाएगी मौत

पक्षियों की मीठी मीठी सी आवाज सुनना किसको नहीं पसंद है लेकिन उन्हीं में से एक पक्षी हूडेड पिटोहुई है, जिसे छूने का मतलब मौत से पंगा लेना है

न्यूज़ग्राम डेस्क

Hooded Pitohui : जहरीले सांपों और जहरीले मेंढकों के बारे में तो सब ने सुना है परंतु क्या आप कभी किसी जहरीले पक्षी के बारे में सुना हैं ? आज हम एक ऐसे जहरीले पक्षी के बारे में बताएंगे, जिसे दुनिया का सबसे जहरीला पक्षी माना जाता है। पक्षियों की मीठी मीठी सी आवाज सुनना किसको नहीं पसंद है लेकिन उन्हीं में से एक पक्षी हूडेड पिटोहुई है, जिसे छूने का मतलब मौत से पंगा लेना है क्योंकि पंखों को छूने मात्र से आपके हाथों को ऐसा महसूस हो सकता है कि जैसे उनमें आग लगी हो और शरीर में इसका घातक जहर भी फैल सकता है, जो पैरालायसिस और यहां तक कि मृत्य का भी कारण बन सकता है, इसलिए भूलकर भी इस पक्षी को हाथ नहीं लगाना चाहिए।

कैसा दिखता है ये पक्षी?

हूडेड पिटोहुई न्यू गिनी में पाया जाने वाला एक सॉन्गबर्ड है, जिसका साइंटिफिक नाम पिटोहुई डाइक्रोस है। न्यू गिनी एक द्वीप है जो इंडोनेशिया के पूर्व में दक्षिण प्रशांत महासागर में स्थित है। पिटोहुई की लगभग छह प्रजातियां हैं, जिनमें से हूडेड पिटोहुई सबसे घातक है। यह दस्तावेज में दर्ज होने वाला पहला जहरीला पक्षी है। हूडेड पिटोहुई का पेट ईंट-लाल रंग का होता है, जबकि इसके सिर, पंख और पूंछ काले रंग की होती है। इसके मजबूत पैर और शक्तिशाली चोंच होती है।

हूडेड पिटोहुई न्यू गिनी में पाया जाने वाला एक सॉन्गबर्ड है, जिसका साइंटिफिक नाम पिटोहुई डाइक्रोस है। (Wikimedia Commons)

डंबाचर ने सबसे पहले खोजा

गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड्स द्वारा ‘सबसे जहरीला पक्षी’ घोषित किया गया। इसकी खोज 1989 में जैक डंबाचर ने की थी, जो न्यू गिनी में पक्षियों के लिए जाल बिछा रहे थे। जाल में हूडेड पिटोहुई पक्षी का एक जोड़ा फंस गया। डंबाचर ने उनमें से एक को पकड़ने की कोशिश की, तो उसने उनकी एक उंगली पर काट लिया। जब उन्होंने अपनी चोट लगी उंगली को चूसकर सहलाया, तो उसे यह जानकर घबराहट हुई कि उनकी जीभ और होंठ सुन्न हो गए थे।

क्या जहरीला होता है इनका शरीर ?

हूडेड पिटोहुई की त्वचा , पंख और अन्य ऊतकों में बैट्राकोटॉक्सिन नामक न्यूरोटॉक्सिन पाया जाता है जो प्रकृति में पाया जाने वाला एक अत्यधिक विषैला यौगिक है जो पैरालायसिस और मृत्यु का कारण बनता है। इसकी चोंच से एक खरोंच या तेज प्रहार लोगों को सुन्न कर सकती है। ये पक्षी बैट्राकोटॉक्सिन यौगिक को खुद नहीं बनाते हैं बल्कि वे इसे अपने आहार से प्राप्त करते हैं। ये आम तौर पर उन जानवरों और पौधों से जहर इकट्टा करते हैं, जिन्हें वे खाते हैं।

जब न थे डॉक्टर या हॉस्पिटल, तब कैसे हुई थी प्लास्टिक सर्जरी?

आमिर की शादी और मियांदाद का छक्का: एक दिन, दो कहानियां !

क्या मध्य पूर्व (Middle East) में छिड़ने वाली है तीसरी बड़ी जंग ?

एक Sparrow Man की कहानी, जिनकी मेहनत से बचा हजारों गोरैयों का परिवार!

भगवान जगन्नाथ का रथ खींचती हैं जो रस्सियाँ, उनके पीछे छिपा है एक आदिवासी समाज!