Patanjali misleading advertising controversy : पतंजलि लगातार आयुर्वेदिक दवाओं को लेकर अपने भ्रामक विज्ञापन चला रहा है, जिस पर कोर्ट ने रोक लगाई थी। (Wikimedia Commons)
Patanjali misleading advertising controversy : पतंजलि लगातार आयुर्वेदिक दवाओं को लेकर अपने भ्रामक विज्ञापन चला रहा है, जिस पर कोर्ट ने रोक लगाई थी। (Wikimedia Commons) 
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भ्रामक विज्ञापन के लिए कोर्ट ने पतंजलि को लगाई फटकार, अब माफीनामा लिए पहुंचे रामदेव बाबा

न्यूज़ग्राम डेस्क

Patanjali misleading advertising controversy : भ्रामक विज्ञापन के लिए पतंजलि लगातार विवादों में रहा है। एक बार फिर से कोर्ट ने बाबा रामदेव और बालकृष्ण को डांट लगाई है। कोर्ट द्वारा कहे जाने पर भी पतंजलि 3 बार कोर्ट के आदेश को अनदेखा कर चुका है। आपको बता दें कि पतंजलि लगातार आयुर्वेदिक दवाओं को लेकर अपने भ्रामक विज्ञापन चला रहा है, जिस पर कोर्ट ने रोक लगाई थी। लेकिन कोर्ट के आदेश के बाद भी पतंजलि अपने भ्रामक विज्ञापन चला रहा है। इस आदेश का उल्लंघन करने पर रामदेव और बालकृष्ण ने अब कोर्ट से माफी भी मांगी, लेकिन कोर्ट ने रामदेव का माफीनामा ठुकरा दिया। कोर्ट ने यहां तक कह डाला कि यह माफीनामा केवल एक कागज़ का टुकड़ा है।

कैसे शुरू हुआ यह विवाद

यह विवाद जुलाई 2022 में शुरू हुआ था। पतंजलि ने एक अखबार में विज्ञापन जारी किया था, जिसका शीर्षक था- 'एलोपैथी द्वारा फैलाई गई गलतफहमियां।' इस विज्ञापन में पतंजलि ने आंख-कान की बीमारियों, लिवर, थायरॉइड, अस्थमा में एलोपैथी इलाज और त्वचा संबंधी बीमारियों को फिजूल और नाकाम बताया था। विज्ञापन में ये दावा भी किया गया था कि इन बीमारियों को पतंजलि की दवाईयां और योग पूरी तरह से ठीक कर सकते हैं।

इसके अलावा कोरोना महामारी के दौरान बाबा रामदेव ने दावा किया था कि उनकी दवाई कोरोनिल और स्वसारी से कोरोना का इलाज संभव है इसके साथ ही कोरोनिल को विश्व स्वास्थ्य संगठन से मंजूरी मिलने की बात कही थी। कोरोनिल दवा को लॉन्च करते समय मंच पर रामदेव के साथ पूर्व स्वास्थ्य मंत्री हर्षवर्धन और नितिन गडकरी भी मौजूद थे।

विज्ञापन में दावा भी किया गया था कि बीमारियों को पतंजलि की दवाईयां और योग पूरी तरह से ठीक कर सकते हैं। (Wikimedia Commons)

सुप्रीम कोर्ट ने लगाई फटकार

पतंजलि के विज्ञापनों और एलोपैथी को लेकर रामदेव के दावों के खिलाफ इंडियन मेडिकल एसोसिएशन सुप्रीम कोर्ट गया था। IMA ने अगस्त 2022 में सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी, उनका कहना था कि पतंजलि के दावे औषधि एवं आपत्तिजनक विज्ञापन अधिनियम, 1954 और उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम, 2019 का उल्लंघन करते हैं।

इसके बाद कोर्ट ने नवंबर 2023 में पतंजलि को भ्रामक विज्ञापन पर अस्थायी रोक लगाई। उस समय पतंजलि ने आश्वासन दिया था कि वो ऐसे विज्ञापन जारी नहीं करेगी, लेकिन कुछ दिन बाद ही कंपनी ने दोबारा भ्रामक विज्ञापन शुरू कर दिए।

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