Pok wants Freedom : भारत को 1947 में आजादी मिली। उस समय जम्मू-कश्मीर के शासक महाराजा हरि सिंह के पास दो विकल्प थे, या तो रियासत को भारत में शामिल करें या पाकिस्तान में। ये फैसला करने में हरि सिंह ने काफी समय लिया। तभी पाकिस्तान की तरफ वाले मुस्लिम बहुल आबादी ने हरि सिंह के खिलाफ मोर्चा खोल दिया। इसे पाकिस्तान समर्थक कबायली आक्रमण कहा गया। इसके बाद हरि सिंह ने भारतीय सेना की मदद मांगी और भारत ने मदद के लिए अपना हाथ आगे बढ़ाया लेकिन तब तक कबायलियों ने कश्मीर में जितने हिस्से पर कब्जा कर लिया था, वह हिस्सा आज भी पाकिस्तान का ही हैं इसी हिस्से को पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर के नाम से भी जाना जाता है।
पीओके का कुल क्षेत्रफल करीब 13 हजार वर्ग किलोमीटर है, जहां करीब 30 लाख लोग रहते हैं। भारत और पाकिस्तान दोनों ही इस हिस्से पर अपने अधिकार क्षेत्र का दावा करते रहे हैं। हाल ही में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने इस हिस्से को फिर भारत के पास ले आने की बात भी की। ये मुद्दा बेहद पेचीदा है। यहां के लोग गुस्से में हैं, उन्हें लग रहा है कि वो लगातार पाकिस्तान के अन्याय को झेल रहे हैं। इसी कारण वहां हमेशा आजादी के नारे लगते हैं। पाकिस्तान के खिलाफ प्रदर्शन होता रहता है। आइए जानते हैं वहां के लोग क्या करते हैं? और कैसे रहते हैं?
पीओके के लोग मुख्यतः कृषि पर निर्भर हैं। मक्का, गेहूं, वन्य उत्पाद और पशुपालन यहां की आय के मुख्य स्रोत हैं। इस इलाके में कोयले व चॉक के कुछ रिज़र्व हैं, बॉक्साइट भी पाया जाता है। यहां के उद्योग में लकड़ी की चीज़ें, कपड़ा और कालीन जैसे उत्पाद बनाते हैं। कृषि से यहां मशरूम, शहद, अखरोट, सेब, चेरी, कुछ औषधियां, मेवा और जलाऊ लकड़ी मिलती है। इस इलाके की प्रमुख भाषाएं पश्तो, उर्दू, कश्मीरी और पंजाबी हैं।
पाक अधिकृत कश्मीर में स्कूलों व कॉलेजों की बहुत कमी है, फिर भी यहां साक्षरता दर 72 फीसदी है। साल 2011 में, पीओके की जीडीपी 3.2 अरब डॉलर आंकी गई थी। इसके दक्षिणी ज़िलों से कई लोग पाकिस्तानी सेना में भर्ती किए जाते रहे हैं। यहां के अन्य इलाकों के लोग यूरोप और मध्य पूर्व में मज़दूरों का काम करने जाते हैं। पीओके की हालत बेहद खराब है। यहां विकास नहीं हुआ है और इस इलाके पर पाकिस्तान का नियंत्रण होने के बावजूद इसे पिछड़ा रहने दिया गया है। पाकिस्तान यहां के लोगों को भारत के खिलाफ आतंकवाद के तौर पर इस्तेमाल करता रहा है। मुंबई हमलों के दोषी अजमल कसाब की ट्रेनिंग मुज़फ्फराबाद में ही हुई थी। इसी कारण यहां के लोग आज़ादी की मांग करते हैं।