Singapore : ये छोटा देश इलाके के हिसाब से 734 वर्ग किलोमीटर का है अर्थात् दिल्ली का आधा लेकिन ताकत और वैभव में काफी आगे है। (Wikimedia Commons) 
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59 सालों से एक ही परिवार का था शासन, इस बार क्यों सिंगापुर में बनाया गया नया प्रधानमंत्री ?

ये छोटा देश इलाके के हिसाब से 734 वर्ग किलोमीटर का है अर्थात् दिल्ली का आधा लेकिन ताकत और वैभव में काफी आगे है। 59 सालों से इस देश पर केवल एक ही पार्टी और एक ही परिवार के लोगों का शासन रहा है

न्यूज़ग्राम डेस्क

Singapore : सिंगापुर के प्रशासन, विकास और कानून के पालन की बहुत प्रशंसा की जाती है। माना जाता है कि सिंगापुर के निवासियों का जीवनस्तर यूरोप और अमेरिका के लोगों से भी बेहतर है। यहां की सिविल सेवा बहुत उम्दा है। ये छोटा देश इलाके के हिसाब से 734 वर्ग किलोमीटर का है अर्थात् दिल्ली का आधा लेकिन ताकत और वैभव में काफी आगे है। 59 सालों से इस देश पर केवल एक ही पार्टी और एक ही परिवार के लोगों का शासन रहा है, वो प्रधानमंत्री बनते रहे लेकिन पहली बार अब नए प्रधानमंत्री इस परिवार से बाहर के हैं और अब ये देश तीन बड़ी चुनौतियों का सामने करने जा रहा है। आइए जानते हैं आखिर नया प्रधानमंत्री क्यों बनाया गया। 20 साल तक प्रधानमंत्री रहने के बाद ली सीन लूंग ने पद छोड़ दिया। पहली बार ऐसा हुआ की कोई गैर ली अब देश का प्रधानमंत्री बना है। उनका नाम है लॉरेंस वॉंग। उन्होंने 15 मई को देश के पीएम का पद ग्रहण किया।

क्यों वांग को बनाया गया नया प्रधानमंत्री

वांग अनुभवी और युवा राजनेता हैं। वह 51 साल के हैं और प्रधानमंत्री बनने से पहले उप प्रधान मंत्री और वित्त मंत्री रह चुके हैं। उन्हें लंबे समय से सत्तारूढ़ पीपुल्स एक्शन पार्टी में सांसदों का समर्थन भी हासिल है। निवर्तमान प्रधानमंत्री ली 71 साल के हो चुके थे। उन्होंने पहले ही रिटायर होने की इच्छा जताई थी लेकिन कोरोना के कारण वह पद पर बने रहे। वैसे सिंगापुर में अब तक देखा गया है कि 70 साल की उम्र तक वहां प्रधानमंत्री रिटायरमेंट लेते रहे हैं।

वांग अनुभवी और युवा राजनेता हैं। वह 51 साल के हैं और प्रधानमंत्री बनने से पहले उप प्रधान मंत्री और वित्त मंत्री रह चुके हैं। (Wikimedia Commons)

तीन बड़ी चुनौतियों का करना होगा सामना

नए प्रधानमंत्री वांग के लिए कई चुनौतियां और खतरे हैं। फिलहाल वर्ल्ड की जो स्थिति है, उसमें अगर पश्चिम और चीन के बीच बड़ी दरार पड़ी तो सिंगापुर की अर्थव्यवस्था 10% तक सिकुड़ जाएगी। यदि अमेरिका ने चीन पर प्रतिबंध लगाया तो ये सिंगापुर को भयानक संकट में डाल देगा क्योंकि इसके बाद चीन यहां से निकल जाएगा। यदि सिंगापुर ने अमेरिका और यूरोप की नीतियों को नहीं माना तो सिंगापुर की बैंकिंग और मुद्रा व्यवस्था बिगड़ जाएगी, क्योंकि इसका आधार अमेरिकी डॉलर है।

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