Unique Trend : जो भी ऐसे स्टोन पेट्स रख रहे हैं, वे इन्हें लड़के या लड़की के तौर पर मानते हैं। (Wikimedia Commons) 
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दक्षिण कोरिया में लोग पाल रहे है “पत्थर”, इनकी कीमत है 600 से 1000 रुपये तक

दक्षिण कोरिया में लोग इतने अकेलेपन के शिकार हैं कि वो अजीबोगरीब चीज़ों से दिल बहला रहे हैं। यहां लेटेस्ट ट्रेंड के तहत युवाओं में पत्थरों को पेट्स के तौर पर पालने का चलन है। उनके लिए एक अलग से बिस्तर बनाया जा रहा है।

न्यूज़ग्राम डेस्क

Unique Trend : जब भी कोई इंसान अकेला महसूस करता है तो वो सबसे पहले अपने माता-पिता से सुख-दुख बया करता है। इस तरह के माहौल में अकेलापन और डिप्रेशन होने की संभावना न के बराबर होता है लेकिन आजकल लोग इतने अकेले हो चुके हैं कि उन्हें मानसिक शांति के लिए अजीबोगरीब तरीके ढूंढने पड़ रहे हैं। आपने लोगों को अक्सर अकेलापन दूर करने के लिए जानवरों को पेट्स के तौर पर घर पर पालते देखा होगा लेकिन क्या कोई पत्थरों को पाल सकता है? जी हां ! कुछ लोग ऐसा भी कर रहे हैं। दरअसल, दक्षिण कोरिया में एक ऐसा ही ट्रेंड चल रहा है, जिसमें लोग पत्थरों को पाल रहे हैं।

पत्थरों को बना रहे हैं पालतू

साउथ चाइना मॉर्निंग पोस्ट की रिपोर्ट के अनुसार, दक्षिण कोरिया में लोग इतने अकेलेपन के शिकार हैं कि वो अजीबोगरीब चीज़ों से दिल बहला रहे हैं। यहां लेटेस्ट ट्रेंड के तहत युवाओं में पत्थरों को पेट्स के तौर पर पालने का चलन है। उनके लिए एक अलग से बिस्तर बनाया जा रहा है। इसके अलावा अलग से उनके कपड़े बनाए जा रहे हैं और उन्हें बिल्कुल जीवित प्राणियों की तरह व्यवहार किया जा रहा है। इन्हें लोग मसाज भी दे रहे हैं।

इनकी कीमत बाजार में 600 रुपये से 1000 रुपये तक होती है। (Wikimedia Commons)

पत्थरों का भी हो रहा है फेशियल

जो भी ऐसे स्टोन पेट्स रख रहे हैं, वे इन्हें लड़के या लड़की के तौर पर मानते हैं। उनके लिए तौलिए, कंबल और फेशियल किट भी रखी जा रही है। इन लोगों का कहना है कि पत्थर डिमांडिंग नहीं होते हैं, उन्हें न तो खिलाने की ज़रूरत है और न ही टहलाने की। इनकी कीमत बाजार में 600 रुपये से 1000 रुपये तक होती है।

पालतू पत्थर को ले जाते हैं कॉफ़ी डेट पर

इन पालतू पत्थरों का आकार भिन्न-भिन्न होता हैं। सबसे अजीब बात यह है कि वे इसे सैर, कॉफ़ी डेट, लंच आदि पर अपने साथ ले जाते हैं। मूल रूप से वे सभी चीजें करना जो लोग आम तौर पर अपने पालतू जानवरों के साथ करते हैं, उन्हें जीवित रखने की परेशानी के बिना।

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