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राजस्थान में एक बार फिर हिन्दुओं की आस्था को तोड़ने का प्रयास: 300 साल पुराना मंदिर ध्वस्त

NewsGram Desk

मंदिर तोड़ने की जो परंपरा बाबर और उसके पूर्वज तैमूरलंग और चंगेज़ खान ने शुरू की थी वो आज लगभग 550 वर्षों बाद भी कायम है। बात राम मंदिर (Ram Mandir) की हो या फिर बनारस के विश्वनाथ मंदिर की, या फिर विषय मथुरा (Mathura) में कृष्णा जन्मभूमि की ही क्यूँ न हो, यह विषय आज भी कई छोटे बड़े मंदिरों के लिए चिंता का विषय बन चुका है। हाल ही में शोभाय्त्राओं पर पथराव और मंदिरों को तोड़े जाने की खबर इस बात को प्रमाणिकता देती है।

इसी बीच राजस्थान के अलवर में 300 साल पहले प्रताप सिंह और भक्तावर सिंह जी द्वारा निर्मित एक शिव मंदिर को अवैध करार देते हुए वहां के प्रशासन ने उसे गिरा दिया। इसके बाद बीजेपी और विश्व हिन्दू परिषद् ने आक्रोश रैली निकाली जिसमें भाजपा के सांसद बालकनाथ समेत कई साधु-संत शामिल होकर अपने पुरातन संस्कृति और धरोहर बचाने के लिए आगे आए।  जब-जब हिन्दुओं के धार्मिक आस्थाओं को किसी न किसी प्रकार ठेस ही नहीं अपितु उसे तोड़ने का प्रयास किया जाता है, तब-तब उनके सहिष्णुता की सीमा की परीक्षा होती है।

सांसद बालकनाथ (Balaknath) ने गहलोत सरकार (Gehlot Government) से उनके इस तुष्टिकरण भरी राजनीति को बंद कर इस्तीफ़े की मांग की, साथ ही सम्बंधित अधिकारियों को निलंबित कर ध्वस्त मंदिर के पुनर्निर्माण की भी माँग की है।

घटनास्थल पर मूर्तियों के टुकड़े [सांकेतिक, Wikimedia Commons]

एडवोकेट पारीक ने बताया कि असंवैधानिक तरीके से तोड़फोड़ करना और शिव मंदिर को तोड़ने से हिन्दू समाज की भावनाओं को ठेस पहुँची है और निर्दोष लोगों के मूल अधिकारों का हनन हुआ है.. इन सब बातों को ध्यान में रखकर हमने जनहित याचिका लगायी है।

इनपुट: आईएएनएस

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