आरक्षण बना बहस का मुद्दा : UPSC में रवि सिहाग केस में शिकायतें। Kautilyaa, EdictGov-India, via Wikimedia Commons
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आरक्षण बना बहस का मुद्दा : UPSC में रवि सिहाग केस में शिकायतें, अंतिम रिपोर्ट का इंतज़ार

UPSC 2022–23 के दौरान पूजा खेड़कर (Pooja Khedkar )का मामला सामने आया, जहाँ उन पर EWS और PwD श्रेणी के दुरुपयोग के आरोप लगे थे। जाँच के बाद उनकी उम्मीदवारी/सेवा पर कार्रवाई हुई।

Author : Preeti Ojha
Reviewed By : Ritik Singh
  • संघ लोक सेवा आयोग जैसी प्रतिष्ठित परीक्षा में पूजा खेडकर प्रकरण के बाद आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग (ईडब्ल्यूएस) आरक्षण के दुरुपयोग को लेकर फिर से सवाल खड़े हुए ।

  • रवि सिहाग के 2021 के चयन को लेकर सोशल मीडिया पर संपत्ति बँटवारे और ईडब्ल्यूएस प्रमाणपत्र से जुड़े दावे सामने आए, जिन पर शिकायतें तो की गईं, लेकिन अब तक कोई अंतिम सार्वजनिक रिपोर्ट सामने नहीं आई है।

  • इस पूरे मामले ने ईडब्ल्यूएस प्रमाणपत्रों की जाँच, चयन के बाद सत्यापन और पारदर्शिता बढ़ाने की ज़रूरत को एक बार फिर उजागर किया है, ताकि योग्य उम्मीदवारों के अधिकारों की रक्षा हो सके।

संघ लोक सेवा आयोग (Union Public Service Commission) देश की सबसे कठिन और प्रतिष्ठित प्रतियोगी परीक्षाओं (Competitive Exams) में से एक मानी जाती है। इसके ज़रिये IAS, IPS, IFS जैसी शीर्ष सेवाओं के लिए चयन होता है। परीक्षा तीन चरणों—प्रारंभिक, मुख्य और साक्षात्कार—में होती है। हर साल लाखों उम्मीदवार आवेदन करते हैं, लेकिन चयन कुछ सैकड़ों का ही होता है। इसी वजह से UPSC में आरक्षण और श्रेणी (EWS, OBC, SC/ST) से जुड़े मामलों पर पारदर्शिता को लेकर सवाल उठते रहे हैं।

पूजा खेड़कर केस: बहस की शुरुआत

UPSC 2022–23 के दौरान पूजा खेड़कर (Pooja Khedkar )का मामला सामने आया, जहाँ उन पर EWS और PwD श्रेणी के दुरुपयोग के आरोप लगे थे। जाँच के बाद उनकी उम्मीदवारी/सेवा पर कार्रवाई हुई। इसी केस के बाद सोशल मीडिया पर EWS के दुरुपयोग को लेकर व्यापक बहस छिड़ी और पुराने चयनित उम्मीदवारों के मामलों को भी खंगाला जाने लगा। 

रवि सिहाग केस: आरोप क्या हैं?

रवि सिहाग यूपीएससी सिविल सेवा परीक्षा 2021 के चयनित उम्मीदवार रहे। सोशल मीडिया और कुछ स्वतंत्र प्लेटफॉर्म्स पर किए गए दावों के मुताबिक रवि सिहाग ने 2018–2019 में भी UPSC के प्रयास किए थे। दावों के अनुसार माना जाता है की रवि सिहाग ने 2018 में 337th रैंक प्राप्त कर IRTC पद सुरक्षित किया एवं 2019 में 317 th रैंक पर IDAC की पद को सुरक्षित किया।  लेकिन रवि सिहाग को हमेशा से एक आईएएस अफसर बनाना था।

यही वजह है की सन 2021 के यूपीएससी परीक्षा से पहले उन्होंने लगभग 15 हेक्टेर की संपत्ति को अपने रिस्तेदारो में बाँटा और एक प्लाट अपने जीजा के नाम किया। सोशल मीडिया पर यह दावा किया जा रहा है की रवि सिहाग ने ऐसा EWS सर्टिफिकेट बनाने के लिए किया। ताकि वह EWS  सर्टिफिकेट का उसे कर upsc एग्जाम में उसका फ़ायदा उठा सके। उनकी यह योजना और वे  2021 में EWS श्रेणी से चयनित हुए। कुछ व्यक्तियों और कार्यकर्ताओं द्वारा कम्प्लेंट्स यूपीएससी एवं सम्बंधित राज्य के राजस्व अधिकारी (Revenue Authorities) को भेजी गयी। हालांकि अभी तक सार्वजनिक डोमेन में ऐसा कोई अंतिम न्यायिक फैसला या UPSC की विस्तृत सार्वजनिक रिपोर्ट उपलब्ध नहीं है जो इन दावों की पुष्टि करे।

दिव्यकीर्ति से संबंध और सोशल मीडिया बहस

डॉ विकास दिव्यकीर्ति (Dr. Vikas Divyakirti) Drishti IAS के संस्थापक और प्रसिद्ध UPSC शिक्षक हैं। रवि सिहाग  (Ravi Sihag) उनके छात्र रहे हैं, यह बात सार्वजनिक रूप से जानी जाती है। शिक्षक–छात्र संबंध के अलावा कोई पारिवारिक या प्रशासनिक भूमिका सामने नहीं आई है। कुछ यूज़र्स सवाल उठा रहे हैं कि कोचिंग इकोसिस्टम (coaching ecosystem) को ऐसे मामलों पर जवाब देना चाहिए, और शिक्षक को अपने चर्चित छात्रों के मामलों पर स्पष्टता देनी चाहिए, जबकि कई लोग कहते हैं कि EWS प्रमाणपत्र, संपत्ति विवरण और फॉर्म भरना पूरी तरह उम्मीदवार की व्यक्तिगत ज़िम्मेदारी होती है; इसमें किसी शिक्षक की सीधी भूमिका नहीं होती। एक वर्ग यह भी मानता है कि दिव्यकीर्ति सर जैसे शिक्षकों की साख इतनी है कि अगर मामला केवल अफ़वाह है, तो वही स्पष्ट कर सकते हैं—लेकिन अब तक उनकी ओर से कोई औपचारिक बयान अनिवार्य नहीं माना गया है।

निष्कर्ष 

पूजा खेडकर के बाद 2021–25 के दौरान EWS कैटेगरी दुरुपयोग को लेकर कई शिकायतें और सोशल मीडिया बहसें सामने आईं, हालाँकि सभी मामलों में कार्रवाई नहीं हुई। अभी इस मामले की सत्यता पर कोई पुख्ता सबूत नहीं है परन्तु अगर ऐसा है तोह यह एक सोचनीय विषय है क्योंकि इससे योग्य उमीदवार के अवसर को चीन जा रहा है। इस पर कार्रवाई/निगरानी का दायरा मुख्यत UPSC, राज्य के राजस्व विभाग, EWS प्रमाणपत्र जारी करने वाली अथॉरिटी, और आवश्यकता पड़ने पर कानून प्रवर्तन एजेंसियाँ तय करती हैं। EWS प्रमाणपत्रों की पूर्व-और-पश्च सत्यापन (Pre & Post verification) चयन के बाद Random Audits की जानी चाहिए। गलत जानकारी पाए जाने पर स्पष्ट और समयबद्ध कार्रवाई और प्रक्रिया की अधिक पारदर्शिता की जाए ताकि UPSC जैसी परीक्षाओं की विश्वसनीयता बनी रहे और योग्य उम्मीदवारों के साथ अन्याय न हो। 

(Rh/PO)