दक्षिणी वायु कमान के कमांडिंग इन चीफ बने एयर मार्शल बालकृष्णन मणिकांतन

(सांकेतिक चित्र, Unspash )

 

एयर ऑफिसर कमांडिंग इन चीफ

राष्ट्रीय

दक्षिणी वायु कमान के कमांडिंग इन चीफ बने एयर मार्शल बालकृष्णन मणिकांतन

सैनिक स्कूल कझाकुटम तथा राष्ट्रीय रक्षा अकादमी के पूर्ववर्ती छात्र एयर मार्शल को 7 जून, 1986 को भारतीय वायुसेना में कमीशन किया गया था।

न्यूज़ग्राम डेस्क

न्यूजग्राम हिंदी: एयर मार्शल बालकृष्णन मणिकांतन (Air Marshal Balakrishnan Manikantan) ने दक्षिणी वायु कमान के एयर ऑफिसर कमांडिंग इन चीफ/Air Officer Commanding-in-Chief (एओसी-इन-सी) का पदभार ग्रहण किया है। सैनिक स्कूल कझाकुटम तथा राष्ट्रीय रक्षा अकादमी के पूर्ववर्ती छात्र एयर मार्शल को 7 जून, 1986 को भारतीय वायुसेना में कमीशन किया गया था। उन्होंने विभिन्न प्रकार के हेलीकॉप्टरों तथा फिक्स्ड विंग विमानों पर 5400 घंटों से अधिक उड़ान भरी है। वह हेलीकॉप्टर कॉम्बैट लीडर और टाइप क्वालीफाइड फ्लाइंग इंस्ट्रक्टर हैं। रक्षा मंत्रालय के मुताबिक एयर मार्शल ने राष्ट्रीय रक्षा अकादमी तथा टैक्टिस एंड एयर कॉम्बेट डवलपमेंट इस्टैब्लिशमेंट (टीएसीडीई) में प्रशिक्षण संबंधी कार्यकाल किया है। उन्होंने फ्रंट लाइन हेलीकॉप्टर यूनिट तथा दो प्रमुख आईआईएफ स्टेशनों की कमान संभाली है। उन्होंने मुख्यालय रखरखाव कमान के वरिष्ठ वायु और प्रशासनिक स्टाफ ऑफिसर (एसएएएसओ) तथा मुख्यालय आईडीएस में एसीडीएस इंट-सी की नियुक्ति की है, जो अंतर्राष्ट्रीय रक्षा सहयोग के लिए उत्तरदायी है।

रक्षा मंत्रालय ने बताया कि उन्होंने डिफेंस सर्विसेज स्टाफ कॉलेज वेलिंग्टन से स्नातकोत्तर डिग्री, कॉलेज ऑफ डिफेंस मैनेजमेंट, सिकंदराबाद से एमएमएस तथा नेशनल डिफेंस कॉलेज नई दिल्ली से एमफिल किया है। वर्तमान नियुक्ति संभालने से पहले वे पूर्वी वायु कमान में वरिष्ठ एयर स्टाफ आफिसर थे और हवाई संचालन संभालते थे। एयर मार्शल को राष्ट्रपति पुरस्कार अति विशिष्ट सेवा पदक (एवीएसएम) तथा वायु सेना पदक (वीएम) से सम्मानित किया जा चुका है।

--आईएएनएस/PT

मोहम्मद शमी को कोर्ट से बड़ा झटका : पत्नी-बेटी को हर महीने देने होंगे 4 लाख रुपये !

जिसे घरों में काम करना पड़ा, आज उसकी कला को दुनिया सलाम करती है – कहानी दुलारी देवी की

सफलता की दौड़ या साइलेंट स्ट्रगल? कोरिया में डिप्रेशन की असली वजह

जहां धरती के नीचे है खजाना, वहां ऊपर क्यों है गरीबी का राज? झारखंड की अनकही कहानी

'कैप्टन कूल' सिर्फ नाम नहीं, अब बनने जा रहा है ब्रांड!