5 ऐसी घटनाएं जिससे ब्यूरोक्रेसी पर भ्रष्टाचार के दाग लगे हैं।  X
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सिस्टम के रखवाले ही लुटेरे निकले! एक साल में ब्यूरोक्रेसी पर लगे 5 बड़े भ्रष्टाचार के दाग

पिछले एक साल में भ्रष्टाचार के कई ऐसे मामले सामने आए हैं, जिसने लोकतंत्र के विश्वास को ठेस पहुंचाई है। आज हम पिछले एक साल की 5 ऐसी घटनाओं के बारे में बात करेंगे, जिससे ब्यूरोक्रेसी पर भ्रष्टाचार के दाग लगे हैं।

Author : न्यूज़ग्राम डेस्क
Reviewed By : Priyanka Singh

Summary

IAS–IPS अधिकारियों पर रिश्वत, घोटाले और फर्जी दस्तावेज़ों के आरोप

कई राज्यों में भ्रष्टाचार के मामले सामने आए

सिस्टम और लोकतंत्र पर जनता का भरोसा कमजोर हुआ

“कानून के रखवाले ही जब कानून को तोड़ने लगें, तो हम अपराधी किसे कहेंगे?” ये सवाल करना लाजमी है, क्योंकि भारत एक ऐसा देश है जहाँ लोकतंत्र सबसे बड़ी ताकत है और इसे ताकत देने का काम करना है उसका प्रशासनिक ढांचा, जिसे हम आम भाषा में ब्यूरोक्रेसी कहते हैं। जो लोग IAS, IPS और अन्य सिविल सर्विस अधिकारी होते हैं, वो इसी के अंतर्गत आते हैं। सरकार की नीतियों को धरातल पर लागू करना इनकी ही जिम्मेदारी होती है।

जनता अधिकारियों को ईमानदार मानती है और उम्मीद करती है कि वो निष्पक्षता और सेवा-भाव से काम करेंगे, लेकिन ऐसा होता दिख नहीं रहा है। पिछले एक साल में भ्रष्टाचार के कई ऐसे मामले सामने आए हैं, जिसने लोकतंत्र के विश्वास को ठेस पहुंचाई है। आज हम पिछले एक साल की 5 ऐसी घटनाओं के बारे में बात करेंगे, जिससे ब्यूरोक्रेसी पर भ्रष्टाचार के दाग लगे हैं।

ओडिशा: रिश्वत लेते पकड़ा गया अफसर

पहला मामला ओडिशा के धरमगढ़ (कालाहांडी) इलाके का है जहाँ 2021 बैच के आईएएस अफ़सर धीमान चाकमा को रिश्वत लेते गिरफ्तार किया गया। विजिलेंस अधिकारियों ने 8 जून 2025 को उन्हें ₹10 लाख रुपए लेते पकड़ा। वर्तमान में वो धरमगढ़ के उप-कलेक्टर थे और एक स्थानीय व्यवसायी, जो एक स्टोन क्रशर यूनिट का मालिक था, उससे वो क़ानूनी कार्रवाई न करने के बदले में 20 लाख मांग रहे थे। पहली किश्त 10 लाख की थी जहाँ वो ट्रैप में पकड़े गए। भ्रष्ट अफसर को विजिलेंस अधिकारियों ने उसके सरकारी आवास पर पकड़ा।

छानबीन में उनके सरकारी आवास से 47 लाख रुपए नकद मिले और इसके बारे में उनसे संतोषजनक जवाब नहीं मिला। उनपर भ्रष्टाचार निरोधक क़ानून (Prevention of Corruption Act) के तहत मामला दर्ज किया गया है और आगे की जाँच चल रही है। ये घटना प्रशासन में मिलीभगत और अफ़सरशाही भ्रष्टाचार को दिखाती है, खासकर तब जब ऊंचे पद पर बैठे एक अफसर को रंगे हाथ पकड़ा गया।

झारखंड: शराब नीति और सत्ता का दुरुपयोग

ये मामला झारखंड का है और ये रिष्ठ IAS अधिकारी विनय कुमार चौबे से जुड़ा है। उन्हें 20 मई 2025 को शराब घोटाले के आरोप में एंटी-करप्शन ब्यूरो (ACB) ने गिरफ्तार किया था। उनसे पहले पूछताछ हुई और बाद में रांची में उन्हें गिरफ्तार करने के बाद पद से निलंबित भी कर दिया गया।

रिपोर्ट्स के मुताबिक चौबे ने अपने समय में झारखंड के उत्पाद एवं मद्य निषेध विभाग (Excise Department) की नीतियों में अनियमित बदलाव किए, जिससे कुछ नियमों को ऐसा बनाया गया कि विशेष कंपनियों को शराब आपूर्त के लिए कॉन्ट्रैक्ट मिल सके। इससे राज्य को लगभग 38 करोड़ से लेकर 129 करोड़ तक का नुकसान हुआ। ACB के FIR में यह भी दावा है कि इस नेटवर्क में कई लोगों तथा कंपनियों का सिंडिकेट शामिल था, जिसने झारखंड में शराब वितरण को प्रभावित किया।

चौबे पर ये भी आरोप उन्होंने टेंडर के नियमों में बदलाव करके कुछ बाहरी कंपनियों को फायदा पहुँचाया और फिर गैरकानूनी कमीशन लिया गया। गिरफ्तारी के बाद उन्हें न्यायिक हिरासत में भेजा गया था। पहले तो उनकी बेल याचिका उच्च न्यायालय में रद्द हुई लेकिन बाद में कुछ मामलों में एसीबी न्यायालय से शर्तों के साथ बेल भी मिली। फिलहाल इसकी जाँच जारी है।

दिल्ली: CBI की FIR और सवालों के घेरे में अफसर

यह मामला दिल्ली का है जहाँ दिल्ली के पूर्व शिक्षा निदेशक और IAS अधिकारी उदित प्रकाश राय को CBI द्वारा भ्रष्टाचार और भर्ती घोटाले में पकड़ा गया। 10 जनवरी 2025 को CBI ने इस मामले को दर्ज किया, जिसके बाद वो पकड़े गए। उनपर डीटीईए (Delhi Tamil Education Association) स्कूलों में फर्जी अनुभव प्रमाणपत्रों के आधार पर शिक्षकों की नियुक्ति कराने का आरोप है, जिसमें उनकी पत्नी शिल्पी राय का नाम भी सामने आया है।

CBI ने जो FIR दर्ज की है, उसमे यह लिखा है कि साल 2021-22 में उनके साथ शामिल लोगों ने कई उम्मीदवारों को TGT/PGT पदों पर नियुक्त कराने में साजिश रची, जिनके अनुभव पत्र फर्जी थे। इसमें शिल्पी राय को मोती बाग़ DTEA स्कूल में पीजीटी (Biology) के रूप में नियुक्त करवाना शामिल है।

FIR में यह भी लिखा है कि उदित प्रकाश राय ने डी.ओ.ई. (Directorate of Education) ज़ोन-19 के अधिकारियों पर प्रभाव डालकर अपनी पत्नी के वेतन के लिए अनुदान बिना कड़ी जांच के जारी करवाया, जिससे भर्ती प्रक्रिया की पारदर्शिता और इसके नियम का उल्लंघन हुआ।

इस घोटाले में उदित के आलावा रिटायर्ड उप शिक्षा अधिकारी, DTEA के सचिव, और स्कूल प्रशासन से जुड़े अन्य व्यक्ति भी आरोपी पाए गए हैं। बता दें कि इसकी कार्रवाई एक साल के जाँच के बाद की गई। इसकी शिकायत दिल्ली सरकार के विशेष सचिव (विजीलेंस) ने की थी। अब जांच आगे की कानूनी प्रक्रिया के तहत जारी है।

8 राज्य: फर्जी सर्टिफिकेट और सिस्टम से धोखा

यह मामला भारत के 8 राज्य राजस्थान, उत्तर प्रदेश, हरियाणा, ओडिशा, बिहार, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, केरल से जुड़ा है। इसे आरक्षण घोटाला (Reservation Scam) कहा जा रहा है जिसमें लगभग 20 सरकारी अधिकारियों (जैसे IAS, IPS, IRS) पर आरोप है कि उन्होंने UPSC परीक्षा में आरक्षण का गलत फायदा उठाया। यह मामला 18 जून 2025 को सामने आया। इनपर आरोप है कि इन अधिकारियों ने फर्जी आय प्रमाणपत्र और विकलांगता प्रमाणपत्र दिखाकर आरक्षित वर्ग की सीटों पर चयन पाया, जबकि वे इसके असली हकदार नहीं थे।

RTI कार्यकर्ता विजय कुंभार पहले इसकी शिकायत की और जब सोशल मीडिया पर जब इस मामले ने तूल पकड़ा और कुछ शिकायतें हुईं, तो सरकार ने जाँच शुरू की। जाँच में अब ये देखा जा रहा है कि क्या अधिकारियों के दस्तावेज झूठे तो नहीं है। अब अधिकारियों के साथ लगभग 40 उम्मीदवारों के दस्तावेज़ों की भी जांच हो रही है। अगर आरोप सही पाए जाते हैं, तो उनकी नौकरी रद्द हो सकती है और उनके खिलाफ कानूनी कार्रवाई भी हो सकती है।

पंजाब: DIG ने माँगा रिश्वत

यह मामला 16 अक्टूबर 2025 का है, जो भ्रष्टाचार और रिश्वतखोरी से जुड़ा है जहाँ CBI को शिकायत मिलती है कि पंजाब के DIG हरचरण सिंह भुल्लर ने एक व्यापारी से उसके खिलाफ दर्ज मामले में राहत देने के बदले रिश्वत की मांग की थी। इसके बाद CBI ने जाल बिछाया और जांच शुरू की, जिसके बाद कई चौंकाने वाली बात सामने आई। CBI को शक था कि भुल्लर ने अपने पद का गलत इस्तेमाल कर काफी अवैध संपत्ति जमा की। कई ठिकानों पर छापेमारी के बाद नकद पैसा, कीमती सामान और संपत्ति से जुड़े दस्तावेज मिले, जिससे ये पता चला कि ये व्यक्ति बड़े भ्रष्टाचार नेटवर्क में शामिल है।

जांच में यह भी सामने आया है कि इस नेटवर्क में कुछ IAS और IPS अधिकारी भी जुड़े हो सकते हैं, जिनकी भूमिका की जांच की जा रही है। CBI अब यह पता लगाने की कोशिश कर रही है कि भ्रष्टाचार का यह पैसा कहां-कहां लगाया गया और इसमें और कौन लोग शामिल हैं। DIG हरचरण सिंह भुल्लर को CBI गिरफ्तार कर पूछताछ कर रही है। फिलहाल इसकी जाँच चल रही है।

तो इन सारे मामलों को देखकर ये समझ आता है कि उच्च पदों पर बैठे अधिकारी भ्रष्टाचार करते हैं, तो जनता का सिस्टम पर भरोसा कमजोर होता है। इससे साफ़ होता है कि भ्रष्टाचार के खिलाफ सख्त कार्रवाई जरूरी है।

(RH/ MK)