पीएम मोदी ने पिछले ही दिनों कैबिनेट की बैठक के बाद देश के ऊर्जा क्षेत्र से जुड़े सभी मंत्रियों के साथ एक महत्वपूर्ण बैठक की और उसमें हर मंत्रालय को ग्रीन हाइड्रजन(Green Hydrogen) के क्षेत्र में अपनी महत्वाकांक्षी नीति बनाने का निर्देश दिया। अगस्त 2021 में ग्रीन हाइड्रोजन मिशन का आरंभ करने के बाद इस क्षेत्र में प्रधानमंत्री की यह पहली ही बैठक थी।
हाल ही में देश के सबसे बड़े उद्योग समूह रिलायंस इंडस्ट्रीज ने कहा है कि उसका मकसद देश में हाइड्रोजन ईंधन(Green Hydrogen) की कीमत वर्ष 2030 तक मौजूदा पांच डालर प्रति किलो से घटा कर एक डालर प्रति किलो करना है। इसके लिए कंपनी ने ग्रीन हाइड्रोजन सेक्टर में 75 अरब डालर (लगभग 5.62 लाख करोड़ रुपये) का निवेश करने का भी एलान किया है।
पीएम के निर्देश के बाद अब पेट्रोलियम व प्राकृतिक गैस मंत्रालय, बिजली मंत्रालय, अक्षय ऊर्जा मंत्रालय में ग्रीन हाइड्रोजन को लेकर भावी उपायों का रोडमैप बनने लगा है। पीएम के स्तर पर हाइड्रोजन ईंधन को लेकर यह उच्चस्तरीय बैठक तब हुई है जब सरकारी और गैर सरकारी क्षेत्र की कंपनियों की तरफ से घरेलू और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर इस बारे में कई घोषणाएं की गई हैं।
अडाणी समूह ने पहले ही वर्ष 2030 तक ग्रीन हाइड्रोजन के क्षेत्र में 70 अरब डालर (लगभग 5.25 लाख करोड़ रुपये) के निवेश का एलान किया है। देश के पेट्रोलियम रिफाइनिंग व मार्केटिंग की सबसे बड़ी कंपनी (सरकारी) इंडियन आयल ने ग्रीन हाइड्रोजन से जुड़े पूरे इकोसिस्टम में उतरने के लिए संयुक्त उद्यम बना चुकी है।
गैस सेक्टर की सरकारी क्षेत्र की कंपनी गेल इंडिया लिमिटेड ने देश में ग्रीन हाइड्रोजन की ढुलाई के उद्देश्य से आवश्यक ढांचागत सुविधा तैयार करने के लिए सबसे बड़ी परियोजना पर काम शुरू किया है। साथ ही कंपनी ने मध्य प्रदेश के गुणा में ग्रीन हाइड्रोजन का सबसे बड़ा प्लांट लगाने पर काम भी शुरू कर दिया है।
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मौजूदा सरकार ने ग्रीन हाइड्रोजन मिशन के तहत देश में वर्ष 2030 तक 50 लाख टन ग्रीन हाइड्रोजन उत्पादन का लक्ष्य रखा है। लेकिन यह तभी पूरा होगा जब तकनीक उन्नयन को लेकर यथोचित सफलता हासिल हो। ग्रीन हाइड्रोजन की इन संभावनाओं को देखते हुए ही पीएम मोदी ने आजादी की 100वीं वर्षगांठ पर देश को आयातित ऊर्जा से मुक्ति दिलाने की बात कही है। ग्रीन हाइड्रोडन के लिए दो सबसे बड़ी जरूरत पानी और सस्ती बिजली है। भारत ने वर्ष 2030 तक अक्षय ऊर्जा से पांच लाख मेगावाट बिजली बनाने का लक्ष्य रखा है जो ग्रीन हाइड्रोजन के लिए बहुत ही जरूरी साबित होगा।