Agneepath Scheme का विरोध अर्थहीन है: Yoga Guru Baba Ramdev
Agneepath Scheme का विरोध अर्थहीन है: Yoga Guru Baba Ramdev IANS
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Agneepath Scheme का विरोध अर्थहीन है: Yoga Guru Baba Ramdev

न्यूज़ग्राम डेस्क

योगगुरु बाबा रामदेव (Yoga Guru Baba Ramdev) ने सेना में भर्ती के लिए शुरू की गई अग्निपथ योजना (Agneepath Scheme) के विरोध को अर्थहीन राजनीति कहा है। उन्होंने कहा कि कुछ लोग इस विरोध के जरिए देश में अराजकता फैलाने का प्रयास कर रहे हैं। आठवें अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस (8th International Yoga Day) के उपलक्ष्य में बुधवार को दिल्ली विश्वविद्यालय द्वारा आयोजित योग सप्ताह कार्यक्रम में बतौर मुख्य अतिथि शामिल हुए योगगुरु ने कहा कि राजनीति में तो योग होना चाहिए, लेकिन योग में राजनीति नहीं होनी चाहिए।

Baba Ramdev के साथ केंद्रीय संस्कृति एवं संसदीय कार्य मंत्री अर्जुन राम मेघवाल भी कार्यक्रम में बतौर विशिष्ट अतिथि उपस्थित रहे।

योगगुरु रामदेव ने यहां विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर योगेश सिंह वह अन्य शिक्षकों की मौजूदगी में कहा, "अगर अग्निपथ योजना का विरोध कर रहे प्रदर्शनकारियों ने योग किया होता, तो वे हिंसा नहीं करते। कुछ लोग देश में अराजकता फैला रहे हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Prime Minister Narendra Modi) को सत्ता से हटाने के लिए ये लोग अराजकता फैलाना चाहते हैं।"

केंद्रीय रक्षा मंत्रालय के मुताबिक, Agneepath Scheme सशस्त्र बलों के युवा प्रोफाइल को सक्षम करने के लिए डिजाइन की गई है। अग्निपथ योजना के अंतर्गत युवाओं को सशस्त्र बलों में 4 साल की सेवा का अवसर मिलेगा। अग्निपथ योजना के अंतर्गत सशस्त्र बलों में भर्ती होने वाले युवाओं को अग्निवीर कहा जाएगा। केंद्र का कहना है कि 4 साल की सेवा के बाद युवाओं को नौकरी के अन्य नए अवसरों से जोड़ने और उनके उज्ज्वल भविष्य के लिए केंद्र सरकार, राज्य सरकारें और उद्योग जगत साथ मिलकर काम कर रहे हैं।

Yoga को महत्व देते हुए केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय देशभर के स्कूलों में योग को एक अनिवार्य विषय के रूप में शिक्षा से जोड़ने जा रहा है। इस विषय पर केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेद्र प्रधान ने कहा है कि बालवाटिका से लेकर कक्षा 12वीं तक योग को पाठ्यक्रम का हिस्सा बनाने की तैयारी हो रही है। स्कूली छात्रों के लिए योग वैकल्पिक नहीं, बल्कि अनिवार्य विषय के तौर पर शामिल किया जाएगा।

केंद्रीय मंत्री ने कहा, "योग को दैनिक जीवन का हिस्सा बनाने के लिए जरूरी है कि हमारे विश्वविद्यालयों और शिक्षण संस्थानों में योग पर शोध और चर्चाएं लगातार चलती रहें।"
(आईएएनएस/PS)

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