भारत-चीन संबंध Sora AI
राजनीति

भारत-चीन संबंध: दोस्ती या धोखा?

पंचशील से गलवान तक, भारत–चीन संबंध उतार-चढ़ाव से भरे रहे हैं। आज जब बीजिंग समर्थन के संकेत दे रहा है, तो क्या भारत को इस नए रिश्ते पर भरोसा करना चाहिए या सावधानी से कदम बढ़ाना चाहिए?

न्यूज़ग्राम डेस्क

भारत-चीन संबंध पर नया सवाल

भारत-चीन (India-China) संबंध हमेशा उतार-चढ़ाव से भरे रहे हैं। आज जब दोनों देश अपने सम्बन्ध ठीक करने की कोशिश कर रहे हैं, तो सबसे बड़ा सवाल यही है कि क्या मोदी (Narendra Modi) सरकार को चीन पर भरोसा करना चाहिए या नहीं?

भारत-चीन संबंध की शुरुआत और पंचशील समझौता

1954 में पंचशील समझौते (Panchsheel Agreement) पर हस्ताक्षर हुए थे। इसमें दोनों देशों ने पाँच वादे किए थे, एक-दूसरे की इज़्ज़त करना, दखलअंदाज़ी न करना, बराबरी और शांति बनाए रखना। उस समय भारत-चीन (India-China) संबंध अच्छे बन रहे थे,और इसे “हिंदी-चीनी भाई-भाई” कहा गया।

लेकिन 1962 की जंग ने सब बदल दिया। भारत को धोखा मिला और चीन ने पीठ में छुरा घोंपा। तब से भारत-चीन संबंध हमेशा संदेह के घेरे में रहे। 2017 का डोकलाम विवाद और 2020 की गलवान झड़प ने इस भरोसे को और कमज़ोर कर दिया।

भारत-चीन संबंध में आगे बढ़ना ज़रूरी है लेकिन आँख मूँदकर भरोसा करना खतरनाक हो सकता है।

आज की स्थिति

आज अमेरिका (America) के दबाव के बीच भारत-चीन संबंध फिर से चर्चा में हैं। चीन (China) दोस्ती का हाथ बढ़ा रहा है, लेकिन असली सवाल यह है कि क्या मोदी सरकार को भरोसा करना चाहिए। अगर भारत आँख बंद करके मान लेता है, तो यह गलती भी हो सकती है। लेकिन अगर भारत समझदारी से आगे बढ़े, तो यह एक मास्टरस्ट्रोक साबित हो सकता है।

आर्थिक असर और भारत की रणनीति

भारत-चीन (India-China) संबंध का सीधा असर आम लोगों और अर्थव्यवस्था पर पड़ता है। अभी भारत चीन से बहुत सामान आयात करता है, जिसकी वजह से ट्रेड डेफिसिट (Trade Deficit) यानी घाटा बढ़ता है। अगर भारत ज्यादा आत्मनिर्भर (Atmanirbhar) बने और अपनी लोकल इंडस्ट्री को बढ़ावा दे, तो चीन पर निर्भरता कम हो सकती है। इससे रोज़गार भी बढ़ेंगे और भारत की अर्थव्यवस्था मज़बूत होगी।

क्या चीन पर भरोसा करना चाहिए?

सवाल यही है कि क्या भारत को चीन पर भरोसा करना चाहिए। इतिहास बताता है कि चीन ने कई बार धोखा दिया है। इसलिए आँख बंद करके भरोसा करना सही नहीं होगा। भारत (India) को सतर्क रहना होगा, मज़बूत कूटनीति अपनानी होगी और साथ ही अमेरिका (America), रूस (Russia) और पड़ोसी देशों से भी संतुलित संबंध रखने होंगे।

क्या चीन पर भरोसा करना चाहिए?

निष्कर्ष

भारत-चीन (India-China) संबंध में आगे बढ़ना ज़रूरी है लेकिन आँख मूँदकर भरोसा करना खतरनाक हो सकता है। मोदी सरकार के लिए यह बड़ा इम्तिहान है। अगर भारत आत्मनिर्भर बने और समझदारी से कदम उठाए, तो यह फैसला एक मास्टरस्ट्रोक साबित हो सकता है। लेकिन अगर लापरवाही हुई, तो भारत को फिर से नुकसान झेलना पड़ सकता है। (Rh/Eth/BA)

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