मध्यप्रदेश कांग्रेस अपना रही है 'कर्नाटक मॉडल' (Pic: PTI) 
राजनीति

MP Assembly Elections 2023: मध्यप्रदेश कांग्रेस अपना रही है 'कर्नाटक मॉडल'

इस साल के अंत में पांच राज्यों में चुनाव होने जा रहे हैं जिसमें बीजेपी के लिए सबसे अहम हिंदी बेल्ट का राज्य मध्यप्रदेश है जहां उसे कमलनाथ के नेतृत्व वाली कांग्रेस से कड़ी टक्कर मिल रही है।

न्यूज़ग्राम डेस्क

माना जा रहा है कि 2018 की तरह इस बार भी मध्य प्रदेश में बीजेपी और कांग्रेस के बीच कांटे की टक्कर होगी और किसी की भी जीत का अनुमान लगा पाना अभी मुश्किल दिख रहा है।

16 अगस्त को बीजेपी की केंद्रीय चुनाव समिति की बैठक के बाद भाजपा ने अपने 39 उम्मीदवारों का ऐलान कर दिया है वहीं कांग्रेस ने भी अपनी चुनावी अभियान की तैयारी तेज कर दी है।

लोकसभा चुनाव से पहले 5 राज्यों में होने जा रहे विधानसभा चुनावों को विपक्ष का इंडिया गठबंधन लोकसभा चुनाव का सेमीफाइनल बता रहा है। इसी कड़ी में कांग्रेस ने अपनी कमर कसते हुए मध्य प्रदेश जीतने के लिए कर्नाटक मॉडल को लागू करना शुरू कर दिया है।

जहां कर्नाटक में 40% कट वाली सरकार का आरोप लगाकर कर्नाटक कांग्रेस ने अपना चुनावी अभियान चलाया था वही उसी अंदाज में मध्य प्रदेश कांग्रेस ने भी सरकार के खिलाफ 50% कमीशन लेने के आरोप से अपना चुनावी अभियान शुरू कर दिया है।

कांग्रेस ने कर्नाटक में चुनाव प्रभारी रहे रणदीप सिंह सुरजेवाला को मध्य प्रदेश का भी चुनाव प्रभारी बनाया है। सितंबर 2022 में कर्नाटक चुनाव के दौरान कांग्रेस ने ऐसे ही पेसीएम कैंपेन चलाया था जिसमें निशाने पर थे कर्नाटक के बीजेपी सरकार के सीएम बसवराज बोम्मई तब पार्टी ने उन पर 40% कमीशन का आरोप लगाया था इन आरोपों से एक सत्ता विरोधी माहौल बना और कांग्रेस ने चुनाव में भारी मतों से जीत दर्ज की।

मध्यप्रदेश में कांग्रेस ने एटीएम की जगह मामाटो(MAMATO) कैंपेन चलाया है और बसवराज बोम्मई की जगह शिवराज सिंह चौहान को निशाने पर लिया है।

एक ओर अपने चुनावी अभियान में जहां कांग्रेस शिवराज सिंह चौहान की सरकार पर भ्रष्टाचार के आरोप लगा रही है वहीं दूसरी और कांग्रेस के नेता सॉफ्ट हिंदुत्व की राह पर भी निकल पड़े हैं। हाल ही में पूर्व सीएम और मध्य प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कमलनाथ ने अपने चुनावी क्षेत्र छिंदवाड़ा में हिंदू राष्ट्र की मांग करने वाले और बेहद ही लोकप्रिय बागेश्वर धाम वाले पंडित धीरेंद्र शास्त्री के कार्यक्रम में शिरकत की थी।

इसके कुछ दिनों बाद कांग्रेस के पूर्व सीएम और वरिष्ठ नेता दिग्विजय सिंह ने भी बयान दिया था कि वह प्रदेश में बजरंग दल पर बना नहीं लगाएंगे उन्होंने कहा था कि अगर हम सरकार में आए तो बजरंग दल पर बैन नहीं लगाएंगे उनमें कुछ अच्छे लोग भी है बजरंग दल में जो भी गुंडा तत्व है टांगे फसाद करवाते उनके खिलाफ कार्यवाही करेंगे।

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