2024 Mahavir Jayanti : वैशाली गणतंत्र के क्षत्रिय कुंडलपुर में पिता सिद्धार्थ और माता त्रिशला के यहां तीसरी संतान के रूप में चैत्र में वर्धमान का जन्म हुआ। (Wikimedia Commons)
2024 Mahavir Jayanti : वैशाली गणतंत्र के क्षत्रिय कुंडलपुर में पिता सिद्धार्थ और माता त्रिशला के यहां तीसरी संतान के रूप में चैत्र में वर्धमान का जन्म हुआ। (Wikimedia Commons) 
धर्म

जैन धर्म के लोगों के लिए बड़ा ही खास है महावीर जयंती, जानें कैसे बने वर्धमान से महावीर

न्यूज़ग्राम डेस्क

2024 Mahavir Jayanti : भगवान महावीर की जयंती जैनों का सबसे प्रमुख पर्व होता है। इस दिन को महावीर जन्म कल्याणक दिवस के नाम भी जाना जाता है। यह पर्व जैन धर्म के 24वें तीर्थंकर महावीर स्वामी के जन्म कल्याणक के उपलक्ष्य में मनाया जाता है। भगवान महावीर जन्म कल्याणक दिवस चैत्र शुक्ल त्रयोदशी के दिन मनाया जाता है। जैन समाज द्वारा पूरी दुनिया में भगवान महावीर के जन्म उत्सव के रूप में 'महावीर जयंती' मनाई जाती है। चैत्र मास के 13वें दिन यानी चैत्र शुक्ल त्रयोदशी को दिगंबर और श्वेतांबर जैन एकसाथ मिलकर इस उत्सव को बहुत ही हर्षोल्लासपूर्वक मनाते हैं।

कब है 'महावीर जयंती’

जैन कैलेंडर के अनुसार वर्ष 2024 में भगवान महावीर स्वामी की जयंती 21 अप्रैल, रविवार को मनाई जाएगी। महावीर स्वामी का जन्म चैत्र माह में कुंडलपुर में हुआ था। जैन धर्म के 24वें तीर्थंकर भगवान महावीर स्वामी का जन्म नाम 'वर्धमान' था। उनके पिता का नाम सिद्धार्थ तथा माता का नाम त्रिशला या प्रियंकारिनी था।

पहले बसाढ़गांव ही था वैशाली

वैशाली गणतंत्र के क्षत्रिय कुंडलपुर में पिता सिद्धार्थ और माता त्रिशला के यहां तीसरी संतान के रूप में चैत्र में वर्धमान का जन्म हुआ। यही वर्धमान बड़ा होकर महावीर स्वामी बने। बिहार के मुजफ्फरपुर जिले का आज का जो बसाढ़गांव है, यही उस समय वैशाली के नाम से जाना जाता था।

महावीर भगवान ने लगातार 12 साल कठोर तपस्या की थी।(Wikimedia Commons)

कौन थे महावीर स्वामी

जैन धर्म के 24वें तीर्थंकर और अहिंसा के मूर्तिमान का प्रतीक थे महावीर स्वामी। महावीर भगवान ने लगातार 12 साल कठोर तपस्या की थी। उन्होंने मौन तप और जप करने के बाद अपनी इंद्रियों पर काबू पाया था। 12 साल के कठोर मौन तप-जप के बाद भगवान महावीर ने ज्ञान प्राप्त किया था।

उनका सम्पूर्ण जीवन त्याग और तपस्या से ओत-प्रोत था। जिस युग में हिंसा, पशु बलि, जाति-पाति के भेदभाव बढ़ गए थे, उसी युग में भगवान महावीर ने जन्म लिया। उन्होंने दुनिया को सत्य तथा अहिंसा का ज्ञान दिया। महावीर स्वामी ने मार्गशीर्ष कृष्ण दशमी को दीक्षा ग्रहण की तथा वैशाख शुक्ल दशमी को महावीर स्वामी को कैवल्य ज्ञान की प्राप्ति हुई और कार्तिक कृष्ण अमावस्या के दिन 72 वर्ष की आयु में पावापुरी में निर्वाण प्राप्त हुआ था।

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