<div class="paragraphs"><p>भगवान गौतम बुद्ध की अस्थियों का प्रदर्शन (IANS)</p></div>

भगवान गौतम बुद्ध की अस्थियों का प्रदर्शन (IANS)

 

मुंबई

धर्म

भगवान गौतम बुद्ध की अस्थियों का प्रदर्शन: मुंबई

न्यूज़ग्राम डेस्क

न्यूजग्राम हिंदी: थाईलैंड (Thailand) से 110 भिक्षुओं द्वारा लाई गई भगवान गौतम बुद्ध (Gautama Buddha) की अस्थियों से भरा कलश ले जाने वाली देश की पहली बौद्ध धम्म पदयात्रा बुधवार को परभणी से 570 किलोमीटर की दूरी तय करने के बाद मुंबई (Mumbai) में समाप्त होगी। एक अधिकारी ने मंगलवार को यह जानकारी दी। मार्च करने वाले औपचारिक तरीके से थाईलैंड से कलश लाएंगे और उसे बुधवार को यहां बड़ी संख्या में जुटने वाले बौद्धों के 'दर्शन' लाभ के लिए लिए प्रदर्शित किया जाएगा।

महाराष्ट्र कांग्रेस (Maharashtra Congress) एससी डिवीजन के अध्यक्ष सिद्धार्थ हट्टियमबिरे, अभिनेता और धम्मदूत गगन मलिक द्वारा आयोजित पैदल मार्च पूरे महाराष्ट्र और अन्य स्थानों से लाखों बौद्ध भक्तों की उपस्थिति में दादर में प्रसिद्ध चैत्यभूमि पर समाप्त होगा।

मार्च करने वालों में अंतर्राष्ट्रीय बौद्ध भीखू संघ का प्रतिनिधित्व करने वाले थाईलैंड के 110 भिक्षु शामिल थे, जो धातु के कलश में परभणी से तथागत गौतम बुद्ध की अस्थियां लाए हैं और इसे चैत्यभूमि में रखेंगे।

मार्च परभणी से जालना, औरंगाबाद, नासिक, ठाणे होते हुए निकला और ठाणे में रुकने के बाद जुलूस दादर से डॉ. बी.आर. अंबेडकर (Dr. Bhim Rao Ambedkar) स्मारक तक पहुंचा।

रास्ते में देश में शांति और सद्भाव के लिए प्रार्थना

रास्ते में देश में शांति और सद्भाव के लिए प्रार्थना कर रहे मार्च करने वालों का विभिन्न स्थानों पर फूलों की वर्षा के साथ जोरदार स्वागत किया गया। लाखों बौद्धों के बुधवार को दर्शन के लिए आने की उम्मीद है।

चैत्यभूमि वह स्थान है, जहां 6 दिसंबर, 1956 को दिल्ली (Delhi) में 65 वर्ष की आयु में उनके निधन के बाद भारतीय संविधान के मुख्य वास्तुकार, अंबेडकर का अंतिम संस्कार किया गया था।

आईएएनएस/पीटी

कब है सीता नवमी? इसी दिन धरती से प्रकट हुई थी मां सीता

पहले नर्स हुआ करती थी एयरहोस्टेस, जानिए कौन थी दुनिया की पहली फ्लाइट अटेंडेंट

हीरामंडी का ये गाना 100 साल पुराना है, रसूलन बाई के इस गाने पर नजर आई ऋचा चड्डा

चिकित्सा के क्षेत्र में आई नई क्रांति, रोबोटिक सर्जरी के सहायता से अब तुरंत होगा ऑपरेशन

लिपुलेख, लिम्पियाधुरा और कालापानी के अलावा भी ये जगह है भारत-नेपाल सीमा विवाद का कारण