Ganesh Chaturthi 2022 : जानिए कैसे बने गणेश गौरीपुत्र से गणपति बप्पा मोरया (Wikimedia Commons)
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Ganesh Chaturthi 2022 : जानिए कैसे बने गणेश गौरीपुत्र से गणपति बप्पा मोरया

गणेश चतुर्थी के दौरान भक्त, भगवान गणेश की पूजा-आराधना करते हैं। इस दौरान पूरे उत्साह और जोश से गणपति बप्पा मोरया नाम के जयकारे भी लगाते हैं।

Abhay Verma

गणेश चतुर्थी का त्योहार देशभर में बड़े ही धूमधाम के साथ मनाया जाता है। मान्यता है कि भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि को गणेश जी का जन्म हुआ था। इसलिए हर साल इस दिन को गणेशोत्सव के रूप में मनाया जाता है। गणेश चतुर्थी के दौरान भक्त, भगवान गणेश की पूजा-आराधना करते हैं। इस दौरान पूरे उत्साह और जोश से गणपति बप्पा मोरया नाम के जयकारे भी लगाते हैं।

आपने भी कई बार गणेश पूजा में गणपति बप्पा मोरया का जयकारा लगाया होगा। लेकिन क्या आप जानते हैं कि गणेश जी के जयकारों में गणपति बप्पा मोरया क्यों कहा जाता है? तो आइए जानते हैं -

14 वीं शताब्दी में गणपति के महान उपासक थे मोरया गोसावी

ऐसा कहा जाता है कि मोरया गोसावी भगवान गणेश के बड़े उपासक थे। यही कारण है कि आज भी मोरया गोसावी की समाधि मंदिर से लोगोंं की आस्था जुड़ी है। पुणे से लगभग 18 किमी दूर चिंचवाड़ में स्थित यह मंदिर स्वयं मोरया द्वारा स्थापित किया था। इस मंदिर की कहानी बहुत दिलचस्प है। मोरया गोसावी का जन्म 1375 ई. में हुआ था। मोरया बचपन से ही गणेश के उपासक थे।

गणेश चतुर्थी के दिन मोरया चिंचवाड़ से 95 किमी दूर मंदिर में गणेश पूजन के लिए जाते थे। और ऐसा लगातार 117 वर्षों तक जारी रहा। लेकिन इसके बाद, मोरया गोसावी बुढ़ापे की वजह से गणपति के मंदिर में पूजन नहीं कर पाएं। फिर एक दिन भगवान गणेश उनके सपने में आएंं और कहा, "मोरया कल जब तुम कुंड से स्नान करके आओगे तो मैं तुम्हारे सामने रहूंगा।" और भक्त मोरया का ये सपना सच हुआ। जब मोरया गोसावी स्नान के बाद बाहर आएंं, तो उन्होंने देखा कि जैसी प्रतिमा उनके सपने में आई थी वैसी ही उनके सामने थी। फिर मोरया ने मूर्ति की स्थापना चिंचवाड़ में ही कर दी। धीरे-धीरे, मंदिर की लोकप्रियता बढ़ने लगी और आज लोग चिंचवाड़ में भगवान गणेश के दर्शन के लिए दूर-दूर से आते हैं।

मोरया और गणपति, भक्तों के लिए एक हैं

इस मंदिर में, लोग न केवल गणेश दर्शन के लिए आते हैं बल्कि गणेश के महान उपासक मोरया गोसावी को भी देखने के लिए और आशीर्वाद लेने के लिए पहुंचते हैं। इस तरह से गणपति और मोरया एक हो गए। और तब से ही भक्त भगवान गणेश को गणपति मोरया के नाम से बुलाते हैं। लोग भगवान गणेश के जयकारों में गणपति बप्पा मोरया कहते हैं।

मोरया गोसावी भगवान गणेश के एक महान उपासक थे, जिन्होंने भक्त और भगवान के बीच के अंतर को खत्म किया और एक हो गए। आज जब भी भगवान गणेश का नाम लिया जाता है तो साथ में मोरया भी जोड़ा जाता है।

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