Gautam Buddha : गौतम बुद्ध ने जब घर छोड़ा तो उनकी उम्र काफी कम थी और उनकी पत्नी की आयु भी ज्यादा नहीं थी। (Wikimedia Commons) 
धर्म

गौतम बुद्ध के जाने के बाद उनकी पत्नी और बेटे का जीवन कैसे बीता ?

सिद्धार्थ गौतम का विवाह राजकुमारी यशोधरा से हुआ था। उस समय यशोधरा का उम्र 16 वर्ष था। वह पत्नी से उम्र में थोड़े बड़े थे। वह विवाह नहीं करना चाहते थे लेकिन पिता ने उनकी मर्जी के बगैर उनकी शादी करवा दी।

न्यूज़ग्राम डेस्क

Gautam Buddha : गौतम बुद्ध ने जब घर छोड़ा तो उनकी उम्र काफी कम थी और उनकी पत्नी की आयु भी ज्यादा नहीं थी। उनकी पत्नी ने एक पुत्र को जन्म दिया था। गौतम बुद्ध ने एक ऐसे परिवार को छोड़ा था जो अपने पैरों पर खड़ा ही नहीं था अर्थात् उनके परिवार में गौतम बुद्ध के अलावा कोई भी सुदृढ़ नहीं था ऐसे में उनके जाने से उनके परिवार को सबसे बड़ा आघात लगा और आगे का समय उनके लिए बहुत मुश्किल था।

मज़बूरी में करना पड़ा यशोधरा से विवाह

सिद्धार्थ गौतम का विवाह राजकुमारी यशोधरा से हुआ था। उस समय यशोधरा का उम्र 16 वर्ष था। वह पत्नी से उम्र में थोड़े बड़े थे। वह विवाह नहीं करना चाहते थे लेकिन पिता ने उनकी मर्जी के बगैर उनकी शादी करवा दी। जिस दिन यशोधरा ने बेटे राहुल को जन्म दिया, उसी रात सिद्धार्थ गौतम राजमहल छोड़कर ज्ञान की प्राप्ति के लिए चले गए। फिर वह कभी घर नहीं लौटे। तब यशोधरा की उम्र 29 वर्ष की थी। पति के जाते ही उन्होंने भिक्षुओं जैसा साधारण जीवन जीना शुरू कर दिया।

संत का जीवन जीने लगी यशोधरा

गौतम बुद्ध की पत्नी ने बेटे का पालन पोषण करते हुए एक संत के जैसा जीवन अपना लिया। मूल्यवान वस्त्र और आभूषण त्याग दिए। उनकी पत्नी पीले वस्त्र पहनने लगीं और दिन में एक बार ही भोजन करती थीं। यशोधरा के जीवन पर बहुत सी किताबें और रचनाएं लिखी गईं, जिनमें मैथिलीशरण गुप्त की रचना यशोधरा (काव्य) बहुत प्रसिद्ध है।

जब राहुल 20 साल का हुआ, तो उन्होंने निश्चय किया कि पिता से शिक्षा-दीक्षा लेकर हमेशा के लिए बौद्ध भिक्षु बन जाएगा (Wikimedia Commons)

पति के भांति ही त्याग दिया सब कुछ

माना जाता है कि अगर बेटा राहुल उनकी गोद में नहीं होता तो शायद वह जीवन का ही त्याग कर देतीं लेकिन उस समय उनका धर्म बेटे को पालना और बड़ा करना था, इसलिए उन्होंने वही करने का फैसला किया। यशोधरा भी अपने पति की तरह ही सारे सुखों को त्याग दिया। उन्होंने महल त्याग दिया, सुंदर वस्त्र और गहने भी त्याग दिये और एक कुटिया में साध्वी का जीवन व्यतीत करने लगी।

उनका बेटा राहुल भी बन गया बौद्ध भिक्षु

जब राहुल 20 साल का हुआ, तो उन्होंने निश्चय किया कि पिता से शिक्षा-दीक्षा लेकर हमेशा के लिए बौद्ध भिक्षु बन जाएगा और वह बौद्ध भिक्षु बनने के लिए वह बुद्ध के पास पहुंचा। उसने बुद्ध से मुक्ति मार्ग और इन्द्रियों पर नियंत्रण का प्रशिक्षण देने का आग्रह किया। बुद्ध ने राहुल के आग्रह को स्वीकार कर प्रशिक्षण देना शुरू किया।

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