गीता जयंती के दिन भगवान श्री कृष्ण की पूजा अर्चना की जाती है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार भगवान श्री कृष्ण ने इसी दिन कुरुक्षेत्र गीता का ज्ञान दिया था। हिंदू धर्म में सनातन काल से ही गीता जयंती का खास महत्व है। गीता जयंती गीता मार्गशीर्ष माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी के दिन मनाई जाती है और सभी गीता भवनों में गीता पर आधारित प्रवचनों का आयोजन किया जाता है। इस साल 2023 में गीता जयंती की 5160वीं वर्षगांठ मनाई जाएगी। अंग्रेजी कैलेंडर के अनुसार 23 दिसंबर शनिवार के दिन गीता जयंती है।
जब कौरवों और पांडवों के बीच कुरुक्षेत्र में महाभारत का युद्ध हुआ तो कौरवों की सेना देख अर्जुन के मन में विषाद उत्पन्न हो गया।तब भगवान श्रीकृष्ण ने अर्जुन को गीता उपदेश दिया। कहा जाता है कि यह दिन मार्गशीर्ष के शुक्ल पक्ष की एकादशी का दिन था। इसलिए हर साल इस तिथि को गीता जयंती मनाई जाती। महाभारत का युद्ध में उस वक्त लाखों लोग मृत्यु को प्राप्त हो गए थे।
ब्रह्म पुराण के अनुसार मार्ग शीर्षक शुक्ल एकादशी का बहुत बड़ा महत्व है द्वापर युग में भगवान श्री कृष्ण ने इसी दिन अर्जुन को भगवद् गीता का उपदेश दिया था। मार्गशीर्ष शुक्ल दशमी को मध्यान्ह में जौ और मूंग की रोटी दाल का एक बार भोजन करके द्वादशी को प्रात: स्नान करके उपवास रखें।
भगवान का पूजन करें और रात्रि में जागरण करके द्वादशी को एक बार भोजन करके पारण करे। यह एकादशी मोह को हमसे दूर करती है इसलिए इसे मोक्षदा एकादशी कहा जाता है।
भगवद् गीता के पठन - पाठन श्रवण एवं मनन - चितन से जीवन में श्रेष्ठता के भाव आते है। गीता केवल लाल कपड़ा में बांध कर घर में रखने के लिए नहीं है बल्कि उसे पढ़कर उसमे दिए गए संदेशों को अपने अंदर पिरोने के लिए है।
गीता में श्री कृष्ण ने 574, अर्जुन ने 85, संजय ने 40 और धृतराष्ट्र ने 1 श्लोक कहा है। गीता में कुल 700 श्लोक और 18 अध्याय है। गीता जयंती के दिन इस्कॉन में सभी कृष्ण भक्तों की भीड़ उमड़ती है सभी साथ में बैठ कर गीता का पाठ करते है और गीता के संदेशों से अपने जीवन में एक नया ऊर्जा भरते है।