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Guru Gobind Singh Jayanti (Wikimedia)

 

गुरु गोविंद सिंह के पिता गुरु तेग बहादुर

धर्म

Guru Gobind Singh Jayanti: जानिए मनाने के पीछे का कारण

न्यूज़ग्राम डेस्क, Poornima Tyagi

न्यूजग्राम हिंदी: प्रत्येक वर्ष सिक्खों के दसवें गुरु गोबिंद सिंह (Guru Gobind Singh) की जयंती मनाई जाती है। इस दिन को प्रकाश पर्व (Prakash Parv) भी कहा जाता है। यह दिन प्रत्येक वर्ष अलग-अलग दिन पड़ता है। यह सिक्खों के नानकशाही कैलेंडर पर भी निर्भर होता है। सिक्खों के दसवें गुरु की जन्म की सही तारीख ज्ञात नहीं है। यही कारण है कि यह नानकशाही कैलेंडर के अनुसार परिवर्तित होती रहती है प्रत्येक वर्ष जनवरी या दिसंबर के महीने में ही पड़ती है।

गुरु गोविंद सिंह के पिता गुरु तेग बहादुर (Guru Teg Bahadur) की मृत्यु जब हुई जब वह मात्र 9 वर्ष के थे पिता की मृत्यु के बाद में सिक्खों के श्रेष्ठ बन गए। एक विशेष आध्यात्मिक गुरु होने के साथ ही वह एक योद्धा कवि और दार्शनिक भी थे उनकी हत्या 1708 कर दी गई थी।

इस दिन का महत्व:

द्रिक पंचांग के अनुसार पौष मास, शुक्ल पक्ष 1723 विक्रम संवत की सप्तमी तिथि को गुरु तेग बहादुर का जन्म हुआ था। लेकिन इस पर सभी की सहमति नहीं थी और इसके फलस्वरूप प्रत्येक वर्ष जयंती की तिथि निर्धारित की जाती हैं।

दुनियाभर के लाखों सिखों के लिए एक प्रेरणा का रूप गोविंद सिंह सभी को शांति और निष्पक्षता का उपदेश दिए और इसी ने एक बहुत बड़ा नेता बना दिया। वह भारत में व्यापक रूप से फैली हुई जाति व्यवस्था का विरोध करते थे।

1 भगवान में भरोसा करने वाले गुरु गोविंद सिंह जी लोगों को सिख धर्म के लिए स्थापित किए गए पांच क के बारे में बताते हैं और इनका पालन करने के लिए प्रोत्साहित करते हैं।

यह 5 क हैं:

• कंघा (कंघी)

• केश (बिना कटे बाल)

• कच्छेरा (अंडरगार्मेंट्स)

• कड़ा (कंगन)

• कृपाण (तलवार)

गुरु गोबिंद सिंह द्वारा दी गई शिक्षाओं का पालन

इस दिवस पर दुनिया भर के गुरुद्वारा (Gurudwara) में रोशनी की जाती हैं और हर गुरुद्वारे में लंगर किए जाते है। पूरे विश्व में सभी सिख एक दूसरे को शुभकामना संदेश भेजते हैं और यह प्रण लेते है कि वह गुरु गोबिंद सिंह द्वारा दी गई शिक्षाओं का पालन करेंगे।

(PT)

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