<div class="paragraphs"><p> हनुमान जी के जन्म की वह कहानी जिससे आप&nbsp;अंजान&nbsp;होंगे (Newsgram Hindi)</p></div>

हनुमान जी के जन्म की वह कहानी जिससे आप अंजान होंगे (Newsgram Hindi)

 

Hanuman Jayanti

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Hanuman Jayanti: हनुमान जी के जन्म की वह कहानी जिससे आप अंजान होंगे

न्यूज़ग्राम डेस्क, Poornima Tyagi

न्यूजग्राम हिंदी: हनुमान (Hanuman) जी यानी बजरंगबली (Bajrangbali) का जन्म चैत्र पूर्णिमा को मंगलवार के दिन हुआ था। इनका जन्म चित्र नक्षत्र व मेष लग्न में हुआ था। इनकी माता का नाम अंजनी (Anjani) और इनके पिता सुमेरु पर्वत के वानरराज केसरी (Kesari) थे। पवन पुत्र (Pawan putra) के नाम से जाने जाने वाले हनुमान के पिता वायु देव (Vayu dev) को भी माना जाता है। सालासर और मेहंदीपुर धाम जो राजस्थान में है में हनुमान जी का बेहद विशाल और भव्य मंदिर बनाया गया है।

वास्तव में देवराज इंद्र की सभा की अप्सरा पुंजीकस्थली हनुमान जी की माता हैं। एक बार सभी लोग देवराज इंद्र की सभा में उपस्थित थे जहां पर ऋषि दुर्वासा भी थे। पुंजीकस्थली बार-बार सभा के बीच से भीतर और अंदर आना-जाना कर रही थी। जिस पर ऋषि दुर्वासा क्रोधित हो गए और उन्होंने उसे वानरी बन जाने का श्राप दे दिया। पुंजीकस्थली द्वारा क्षमा मांगे जाने पर ऋषि दुर्वासा ने उन्हें यह वर दिया कि वह अपनी इच्छा अनुसार रूप धारण कर सकती है। इस घटना की कुछ सालों बाद उसने वानर श्रेष्ठ विरज की पत्नी के गर्भ से वानरी के रूप में जन्म लिया। जिसका नाम अंजनी रखा गया। जब अंजनी विवाह योग्य हुई तो उनका विवाह केसरी से कर दिया गया

बजरंगबली

एक बार की बात है कि जब वानर राज केसरी प्रभास तीर्थ के निकट पहुंचे तो उन्होंने पाया कि वहां बहुत से ऋषि मुनि अपनी योग साधना में लीन है। उसी समय वहां पर एक विशाल हाथी आ गया जिसने उन ऋषियों को मारना शुरू कर दिया। वहीं पर ऋषि भारद्वाज भी अपने आसन पर शांतिपूर्वक बैठे हुए थे जैसे ही वह दुष्ट हाथी उनकी ओर झपटा तो केसरी ने उस बड़े से हाथी के दोनों दांत उखाड़ कर उसे मार डाला। इससे प्रसन्न होकर ऋषियों ने वानर राज से वर मांगने को कहा जिस पर केसरी ने वर मांगा कि मुझे ऐसा पुत्र प्राप्त हो जो अपनी इच्छानुसार रूप धारण कर सकें, वायु के समान पराकर्मी और रुद्र के समान हो। ऋषियों ने उन्हें यह वर दिया और वहां से चले गए इसके बाद भगवान रुद्र ने स्वयं वानरराज केसरी के क्षेत्र में अवतार लिया। ऐसे हुआ हनुमान जी का जन्म।

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