धरोहर: कभी इस पहाड़ के नीचे राजाओं ने चुराया था अपना खजाना, आज बना भव्य देवी मंदिर, अनोखी मान्यता 
धर्म

कोसगाई मंदिर: खजाने की रहस्यमयी गाथा और आस्था का प्रतीक

भारत की भूमि प्राचीन मंदिरों, वीर योद्धाओं, और रहस्यमयी कहानियों से भरी हुई है। ऐसी ही एक कहानी है छत्तीसगढ़ के कोरबा जिले की, जहां एक पहाड़ी की तलहटी में बसा है कोसगाई देवी का मंदिर। यह सिर्फ एक धार्मिक स्थल नहीं, बल्कि एक ऐतिहासिक धरोहर और सांस्कृतिक आस्था का केंद्र है, जिसकी जड़ें सोलहवीं शताब्दी में जाकर जुड़ती हैं।

न्यूज़ग्राम डेस्क

इतिहास की गहराई

इस मंदिर का निर्माण हैहयवंशी वंश के एक महान शासक राजा बहारेन्द्र साय द्वारा करवाया गया था। यह वंश छत्तीसगढ़ में शासन करने वाले कलचुरी राजवंश से जुड़ा था, जो न केवल अपने पराक्रम बल्कि सांस्कृतिक और धार्मिक योगदान के लिए भी प्रसिद्ध रहा है।

कहानी के अनुसार, राजा बहारेन्द्र साय के पास एक विशाल खजाना था। इस खजाने में सोने-चांदी के सिक्के, बहुमूल्य रत्न, और अनेक अमूल्य वस्तुएं थीं। रतनपुर से आते समय उन्होंने इस खजाने को कोसगाई पहाड़ी के नीचे एक गुप्त स्थान में छिपा दिया, ताकि किसी भी युद्ध या आक्रमण की स्थिति में वह सुरक्षित रह सके।

यह जगह पहले किसी और नाम से जानी जाती होगी, लेकिन जब राजा ने यहां खजाना छिपाया, तो इस स्थान का नाम ‘कोषगाई’ पड़ गया — 'कोष' का अर्थ होता है खजाना। धीरे-धीरे यह नाम ‘कोसगाई’ बन गया। आज भी स्थानीय लोग इस स्थान से जुड़ी खजाने की कहानियों और किंवदंतियों को बड़े रोमांच से सुनाते हैं।

धरोहर की वापसी

देवी को समर्पित मंदिर की स्थापना:

राजा ने यहां खजाना छिपाने के बाद, मां दुर्गा के एक रूप ‘मां कोसगाई’ की पूजा के लिए एक भव्य मंदिर बनवाया। यह न केवल धार्मिक आस्था का प्रतीक था, बल्कि एक तरह से राजा का ईश्वर के प्रति समर्पण और अपनी भूमि की रक्षा की प्रार्थना भी थी।

इस मंदिर के माध्यम से राजा ने यह संदेश दिया कि धन की रक्षा केवल हथियारों से नहीं, ईश्वर की कृपा से भी होती है।

आज का कोसगाई मंदिर:

आज यह मंदिर धार्मिक पर्यटन का एक महत्वपूर्ण केंद्र बन चुका है। विशेष रूप से नवरात्रि और दुर्गा पूजा के समय यहां हजारों श्रद्धालु आते हैं। माता की पूजा, भजन-कीर्तन, और उत्सव का माहौल इस जगह को धार्मिक ऊर्जा से भर देता है।

यहां आने वाले सिर्फ भक्त नहीं होते, बल्कि प्रकृति प्रेमी और ट्रैकिंग के शौकीन लोग भी होते हैं। पहाड़ी की सुंदरता, शांत वातावरण और हरियाली इसे एक आदर्श पर्यटन स्थल बना देती है।

इस स्थान की ऐतिहासिक और धार्मिक महत्ता को देखते हुए राज्य सरकार और पुरातत्व विभाग ने इसके संरक्षण और विकास के लिए कई कदम उठाए हैं। प्रयास हो रहे हैं कि यहां के प्राचीन अवशेषों, चट्टानों और स्थापत्य कला को सुरक्षित रखा जाए ताकि आने वाली पीढ़ियाँ भी इस गौरवशाली इतिहास से परिचित हो सकें।

कोसगाई मंदिर छत्तीसगढ़ की उन अमूल्य धरोहरों में से एक है, जो इतिहास, आस्था और प्रकृति का अनूठा संगम है।

कोसगाई मंदिर का प्रतीकात्मक महत्व:

कोसगाई मंदिर केवल एक पूजा स्थल नहीं है — यह हमें याद दिलाता है कि कैसे पुराने समय के राजा सिर्फ शासक नहीं थे, वे संस्कृति, परंपरा, धर्म और समाज के संरक्षक भी थे। उन्होंने जो कुछ किया, उसमें केवल सत्ता नहीं, बल्कि समाज की भलाई, आस्था की रक्षा और विरासत के संरक्षण की भावना भी थी।

निष्कर्ष :

कोसगाई मंदिर छत्तीसगढ़ की उन अमूल्य धरोहरों में से एक है, जो इतिहास, आस्था और प्रकृति का अनूठा संगम है। यह मंदिर एक जीवित गाथा है — एक ऐसी गाथा जिसमें छिपा है खजाना, भक्ति, वीरता और एक समृद्ध संस्कृति का प्रतीक।

यह स्थान न केवल दिल को शांति देता है, बल्कि आत्मा को इतिहास से जोड़ता है — मानो हर पत्थर, हर वृक्ष और हर हवा की सरसराहट कोई पुरानी कहानी सुना रही हो।

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