आज के इस लेख में हम आपको बाबा काल भैरव (Kaal Bhairav) से जुड़ी ऐसी अनेकों बातें बताएंगे जिन्हें सुनकर आप आश्चर्य चकित रह जाएंगे। जैसे काल भैरव का जन्म कब हुआ? क्यों उनकी पूजा की जाती है? और उनकी पूजा से होने वाले लाभ के बारे में।
अलग-अलग स्थानों पर बाबा काल भैरव अलग-अलग नामों से जाने जाते हैं और इनकी पूजा भारत (India) के साथ ही नेपाल (Nepal), तिब्बत, श्रीलंका (Srilanka) जैसे दुनिया के अनेक देशों में होती है। जहां महाराष्ट्र (Maharashtra) में भैरव खंडोबा के नाम से जाने जाते है वही भैरव दक्षिण भारत में शाशता के नाम से जाने जाते है। लेकिन एक बात जो सभी जगह समान है वह है कि यह काल के स्वामी और उग्र देवता के रूप में ही जाना जाता है।
ऐसा माना जाता है कि भगवान शिव (Lord Shiva) के तम गण (पूतना, पिशाच, प्रेत, भूत और रेवती आदि) के अधिनायक बाबा काल भैरव है।
जहां एक और विश्वनाथ (Vishwanath) काशी (Kashi) के राजा के रूप में जाने जाते हैं तो काल भैरव बाबा काशी नगर के कोतवाल के रूप में जाने जाते हैं।
शिव पुराण (Shiv Puran) के अनुसार एक बार ब्रह्मा, विष्णु, महेश के बीच में श्रेष्ठता को लेकर बहस हो गई थी और इसी बहस में ब्रह्मा जी ने भगवान शिव की निंदा कर दी थी। जिससे क्रोधित शिव ने रौद्र रूप धारण कर लिया शिव के इसी रूद्र रूप से काल भैरव का जन्म हुआ। काल भैरव ने अपने अपमान का बदला लेने हेतु ब्रह्मा जी का पांचवा सिर काट दिया जिसके कारण उन पर ब्रहम हत्या का आरोप लगा।
इस हत्या के आरोप से मुक्ति पाने के लिए भगवान शिव ने काल भैरव से प्रायश्चित करने को कहा। प्रायश्चित के रूप में काल भैरव ने त्रिलोक का भ्रमण किया। लेकिन वे पाप बात से मुक्त काशी पहुंचने के बाद ही हो सके तभी से काल भैरव काशी में ही स्थापित है और शहर के कोतवाल कहलाते हैं।
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