कलयुग (Kalyug) का पहला सूरज उगने का दिन 19 फरवरी को माना जाता है। आज से करीब 5000 साल पहले 18 फरवरी को गुजरात (Gujrat) में एक ऐसी घटना घटी थी जिससे द्वापर युग का अंत हो गया था और कलयुग की शुरुआत।
गुजरात का भालका तीर्थ (Bhalka Tirth) कलयुग की शुरुआत का कर्म माना जाता है।
आखिर ऐसा क्या हुआ भालका तीर्थ में
यह तो हम सभी जानते हैं कि द्वापर युग कान्हा (Kanha) का युग था। उसके बाद वह मथुरा (Mathura) से द्वारका (Dwarka) गए और फिर द्वारका स्थित भालका से बैकुंठ के लिए परायण किया।
ऐसा कहा जाता है कि आज से करीब 5000 साल पहले कृष्ण को बैकुंठ के लिए परायण करना था। इसके लिए उन्होंने एक लीला रची जिसके परिणाम स्वरूप एक शिकारी ने शिकार करते हुए गलती से उनके पांव में तीर मार दिया और वह तीर लगने से वह बैकुंठ के लिए प्रयाण कर गए। यह घटना भालका नामक स्थान पर ही घटी थी और इस घटना का विवरण आज भी आप भालका तीर्थ में लिखित देख सकते हैं।
यदि सूर्य सिद्धांत के अनुसार देखा जाए तो 18 फरवरी 3102 ईसा पूर्व की मध्य रात्रि को कलयुग शुरू हुआ था। क्योंकि यही वह तिथि है जिस दिन श्रीकृष्ण बैकुंठ लौट गए थे और श्री कृष्ण के पृथ्वीलोक से विदा लेते ही कलयुग का प्रथम चरण शुरू हो गया था।
भक्ति सिद्धांत सरस्वती गोस्वामी और उनके शिष्य भक्तिवेदांत स्वामी प्रभुपाद जैसे वैदिक शास्त्रों के अधिकांश व्याख्याकारों का मानना है कि वर्तमान में पृथ्वी पर कलयुग चल रहा है और यह लगभग 432,000 वर्षों तक रहेगा वही कुछ लेखकों द्वारा इसे 6480 सालों का माना गया है लेकिन इस बारे में कई अलग अलग मत है।
(PT)