राष्ट्रीय जनता दल (राजद) ने सत्तारूढ़ नीतीश कुमार की एनडीए सरकार पर आचार संहिता के उल्लंघन का गंभीर आरोप लगाया है। (AI)
बिहार

चुनावी रेवड़ी या रिश्वत ? बिहार में नोटों की बारिश से मचा बवाल!

बिहार चुनाव 2025 से पहले सियासी घमासान तेज - राजद ने नीतीश सरकार पर महिलाओं को नकद राशि देकर आचार संहिता उल्लंघन का आरोप लगाया, तो किशनगंज में एआईएमआईएम प्रत्याशी पर मंच से रुपये बांटने का वीडियो वायरल। आयोग सतर्क, विपक्ष ने निष्पक्षता पर उठाए सवाल।

Priyanka Singh

बिहार विधानसभा चुनाव 2025 में पहले चरण के मतदान से कुछ ही दिन पहले एक बड़ा राजनीतिक विवाद खड़ा हो गया है। राष्ट्रीय जनता दल (राजद) ने सत्तारूढ़ नीतीश कुमार की एनडीए सरकार पर आचार संहिता (Model Code of Conduct - MCC) के उल्लंघन का गंभीर आरोप लगाया है। राजद का कहना है कि नीतीश सरकार महिलाओं को नकद राशि भेजकर चुनावी लाभ लेने की कोशिश कर रही है, जो की सीधे तौर पर आचार संहिता का उल्लंघन है।

आपको बता दें राजद सांसद मनोज झा ने शुक्रवार को भारत निर्वाचन आयोग को पत्र लिखते हुए कहा कि मुख्यमंत्री महिला रोजगार योजना के तहत 17, 24 और 31 अक्टूबर को महिलाओं को ₹10,000 की राशि भेजी है। उन्होंने चेतावनी दी कि अगली किस्त 7 नवंबर को, यानी दूसरे चरण की वोटिंग से चार दिन पहले दी जाएगी उनका कहना है की यह चुनावी प्रक्रिया को प्रभावित करने की कोशिश है। मनोज झा ने अपने पत्र में लिखा है की "बिहार सरकार द्वारा महिला रोजगार योजना के तहत चुनाव के बीच में लाभार्थियों को नकद राशि देना आदर्श आचार संहिता के खुलेआम उल्लंघन जैसा है। यह मतदाताओं को प्रभावित करने और निष्पक्ष चुनाव की भावना को ठेस पहुँचाने वाला कदम है।" उन्होंने यह भी कहा कि यह कार्रवाई "जानबूझकर और योजनाबद्ध" तरीके से की जा रही है ताकि मतदाताओं को रिझाया जा सके। झा ने निर्वाचन आयोग से तत्काल संज्ञान लेने और "कड़ी कार्रवाई" की मांग की है।

राजद के अलावा महागठबंधन के कई नेताओं ने भी इस मुद्दे को चुनावी मंचों पर उठाया है, उन सब का भी यही कहना है कि 25 अक्टूबर को ही बिहार की 1.51 करोड़ महिलाओं को ₹10,000 दिए गए हैं, और अब मतदान से ठीक पहले एक और किस्त जारी की जा रही है।सोशल मीडिया पर विपक्षी नेताओं ने सवाल उठाया है उनका कहना है की "क्या यह मतदाताओं को प्रभावित करने का तरीका नहीं है ? क्या यह वोट खरीदने की कोशिश नहीं है ?" विपक्ष का आरोप है कि यह योजना चुनावों की घोषणा से ठीक एक हफ्ते पहले शुरू की गई, जबकि अब इसे "चल रही योजना" बताकर बचाव किया जा रहा है।

आपको बता दें राजद नेता मनोज झा ने न सिर्फ शिकायत दर्ज कराई, बल्कि निर्वाचन आयोग से यह भी आग्रह किया कि शिकायत लिखित रूप से की जाए और कार्रवाई की जानकारी समय पर दी जाए। उन्होंने यह भी कहा कि "अगर आयोग इस पर सख्त कदम नहीं उठाता, तो जनता के बीच आयोग की निष्पक्षता पर सवाल उठेंगे।" झा ने याद दिलाया कि आचार संहिता 6 अक्टूबर से लागू हो चुकी है, इसलिए इस अवधि में किसी भी तरह के आर्थिक लाभ या सरकारी सहायता वितरण पर रोक होनी चाहिए।

दूसरी तरफ बिहार की एनडीए सरकार ने इन आरोपों को पूरी तरह से खारिज कर दिया है। सरकार के मुताबिक, मुख्यमंत्री महिला रोजगार योजना राज्य में महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने के लिए चलाई गई एक "लंबी अवधि की योजना" है, जिसका उद्देश्य उन्हें स्वरोजगार शुरू करने के लिए ₹10,000 का आर्थिक अनुदान देना है। आपको बता दें की सरकारी सूत्रों का कहना है कि इस योजना की प्रक्रिया चुनावों की घोषणा से पहले शुरू हुई थी, इसलिए इसे आचार संहिता का उल्लंघन नहीं माना जा सकता, लेकिन विपक्ष का कहना है कि योजना भले ही पुरानी बताई जा रही हो, लेकिन भुगतान की तारीखें अनिश्चित हैं, क्योंकि तीनों किश्तें चुनाव अवधि में ही दी गईं थी, और चौथी किस्त मतदान से ठीक पहले आने वाली है।

बिहार सरकार द्वारा महिला रोजगार योजना के तहत चुनाव के बीच में लाभार्थियों को नकद राशि देना आदर्श आचार संहिता के खुलेआम उल्लंघन जैसा है।

इसी बीच एक और बड़ा मामला सामने आया है जो की बिहार के किशनगंज जिले से है इस मामले ने सियासी तापमान और बढ़ा दिया है। एआईएमआईएम (AIMIM) के बहादुरगंज विधानसभा उम्मीदवार तौसीफ आलम पर चुनावी मंच से पैसे बांटने का आरोप लगा है। बहादुरगंज के अंचल अधिकारी (सीओ) ने इस मामले में बहादुरगंज थाने में आदर्श आचार संहिता उल्लंघन का केस दर्ज कराया है।एक वीडियो सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रहा है जिसमें तौसीफ आलम मंच से समर्थकों को रुपये बांटते हुए देखे रहें हैं, आपको बता दें यह वीडियो सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो गया है।

इसके बाद सीओ के आवेदन पर बहादुरगंज थाना अध्यक्ष संदीप कुमार ने तुरंत मामला दर्ज कर के जांच शुरू कर दी है। वीडियो की जांच के बाद जिला पदाधिकारी विशाल राज ने मामले को गंभीर मानते हुए अंचलाधिकारी को जांच का निर्देश दिया, और जांच में आरोप सही पाए जाने पर सीओ ने थाना में औपचारिक शिकायत दर्ज कराई है। वीडियो में तौसीफ आलम को पुलिस के खिलाफ आपत्तिजनक बयान देते हुए भी सुना जा सकता है। इसके बाद स्थानीय लोगों का कहना है कि "तौसीफ आलम क्षेत्र में अपनी दबंग छवि के लिए जाने जाते हैं।" राजनीतिक दलों ने भी इस वीडियो को लेकर एआईएमआईएम पर ‘मतदाताओं को प्रभावित करने’ का आरोप लगाया है।

इन घटनाओं के बाद चुनाव आयोग पूरी तरह सतर्क हो गया है। इसके बाद सूत्रों के मुताबिक, आयोग ने बिहार के सभी जिलों के अधिकारियों को निर्देश दिया है कि किसी भी नकद वितरण, उपहार या सरकारी लाभ की घोषणा की गहन निगरानी की जाए। उसके बाद आयोग ने यह भी स्पष्ट किया है कि कोई भी योजना अगर हाल ही में शुरू हुई है और उसका सीधा संबंध चुनावी प्रभाव से जुड़ सकता है, तो उस पर सख़्त रोक लगाई जाएगी।

विपक्ष ने मौजूदा चुनाव आयोग पर भी सवाल उठाए हैं। आपको बता दें एक सोशल मीडिया पोस्ट में लिखा गया है की "आज देश को टी.एन. सेशन जैसे कड़े मुख्य चुनाव आयुक्त की जरूरत है, जो बिना किसी दबाव के कार्रवाई कर सके। उनका कहना है की भाजपा के पिट्ठू आयोग से निष्पक्षता की उम्मीद नहीं की जा सकती।"

एआईएमआईएम (AIMIM) के बहादुरगंज विधानसभा उम्मीदवार तौसीफ आलम पर चुनावी मंच से पैसे बांटने का आरोप लगा है।

बिहार में 6 नवंबर और 11 नवंबर को दो चरणों में मतदान होना है, जबकि 14 नवंबर को मतगणना होगी। पहले चरण की वोटिंग से ठीक पहले यह विवाद राज्य की राजनीति में नई हलचल ले आया है। आपको बता दें एक तरफ एनडीए सरकार विकास और महिला सशक्तिकरण का दावा कर रही है, तो वहीं दूसरी तरफ राजद और विपक्षी दल इसे "चुनावी रिश्वत" बता रहे हैं। अब सबकी निगाहें चुनाव आयोग पर हैं, क्या वह इन आरोपों पर सख्त कदम उठाएगा या इसे चलती योजना बताकर अनदेखा कर देगा?

अब सवाल सिर्फ यही है, क्या लोकतंत्र में चुनाव जनता को पैसे बाँट कर जीते जाएंगे या जनता की नियत से जीते जायेंगे? इसका जवाब तो शायद बिहार की जनता ही दे सकती है। 6 नवंबर को जब पहली वोट पड़ेगी। (RH/PS)

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