बिहार विधानसभा चुनाव से पहले मोकामा (Mokama) विधानसभा सीट पर सियासी (Politics) पारा अचानक चढ़ गया है। जनसुराज पार्टी के समर्थक और कभी बाहुबली रहे दुलारचंद (Dularchand) यादव जिनका उम्र 75 वर्ष है, आपको बता दें की उनकी हत्या ने पूरे राज्य की राजनीति को हिला दिया है। दुलारचंद यादव, जो कभी लालू प्रसाद यादव के बेहद करीबी माने जाते थे, वो हाल के दिनों में प्रशांत किशोर की जनसुराज पार्टी से जुड़े उम्मीदवार का समर्थन कर रहे थे। उनके हत्या (Murder) के बाद पूरे इलाके में तनाव फैल गया है और वहीं मोकामा सीट से जदयू उम्मीदवार अनंत सिंह और उनके समर्थकों पर हत्या का आरोप लगने से मामला और भी गर्म हो गया है।
घटना के बाद दुलारचंद यादव के पोते के बयान पर अनंत सिंह, उनके दो भतीजे रणवीर और कर्मवीर, समेत कुल पांच लोगों पर हत्या की नामजद प्राथमिकी दर्ज की गई है। परिजनों ने आरोप लगाया है कि पहले दुलारचंद को गोली मारी गई और फिर उनपर गाड़ी चढ़ाकर कुचल दिया गया। फिलहाल किसी की गिरफ्तारी नहीं हुई है। दुलारचंद के पोते का कहना है की "मेरे दादा की हत्या अनंत सिंह ने कराई है, और अब मेरी भी जान को खतरा है। हम पढ़े-लिखे लोग हैं, हम लोग AK-47 नहीं रखते हैं।"
पुलिस के अनुसार, यह घटना शाम करीब 3:40 बजे की है। घटना के समय घोसवरी थानाध्यक्ष को सूचना मिली कि तारतर गांव के पास दो पक्षों में जोरदार झड़प हो रही है। सूचना मिलते ही पुलिस और चुनाव ड्यूटी में लगे सुरक्षाकर्मी मौके पर पहुंचे और वहां पहुंचने के बाद उन्होंने देखा कि 2-3 गाड़ियां खड़ी हैं, जिनके शीशे टूटे हुए थे। एक गाड़ी के अंदर एक शव पड़ा था, और वो शव किसी और का नहीं था बल्कि 75 वर्षीय दुलारचंद यादव था।
पुलिस को जांच में पता चला कि जनसुराज (Jansuraj) पार्टी के प्रत्याशी प्रियदर्शी पियूष जो की दुलारचंद के भतीजे हैं वो चुनाव प्रचार के लिए काफिले के साथ जा रहे थे, उसी दौरान सामने से जदयू के प्रत्याशी अनंत सिंह का काफिला भी आ गया। दोनों काफिले तारतर गांव और बसावनचक के बीच आमने-सामने हो गए। पहले बातचीत में बहस हुई, और फिर दोनों पक्षों में ईंट-पत्थरबाजी और मारपीट शुरू हो गई। इसी झड़प के दौरान गोली चली और दुलारचंद यादव को पैर में गोली लग गई।
आपको बता दें की पटना के ग्रामीण पुलिस अधीक्षक विक्रम सिहाग के मुताबिक, "दुलारचंद यादव को पैर में गोली लगी थी, लेकिन उनकी मौत गाड़ी से कुचले जाने के कारण हुई है। उसके बाद शव को पोस्टमॉर्टम के लिए भेजा गया है।" हालांकि परिजनों ने शव को किसी को छूने नहीं दिया और कहा कि वो मृतक के बेटे के आने का इंतजार कर रहे हैं।
पुलिस रिकॉर्ड के अनुसार, दुलारचंद (Dularchand) यादव का अतीत भी काफी विवादित रहा है। उन पर हत्या (Murder) और आर्म्स एक्ट जैसे कई गंभीर मामले दर्ज रहे हैं। आपको बता दें की वो कभी लालू यादव के सबसे भरोसेमंद लोगों में गिने जाते थे, और फिर बाद में उन्होंने राजनीति से दूरी बना ली, लेकिन हाल के दिनों में जनसुराज पार्टी के प्रचार में सक्रिय थे।
जनसुराज (Jansuraj) पार्टी का आरोप है की "हमारे कार्यकर्ता की हत्या दबाई जा रही है" जनसुराज पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष उदय सिंह ने इस घटना पर कहा की "हमारे उम्मीदवार प्रियदर्शी पियूष का काफिला जब बसावनचक के पास पहुंचा, तब अनंत सिंह के समर्थकों ने उनपर हमला कर दिया। उसके बाद दुलारचंद यादव बीच-बचाव करने पहुंचे, लेकिन उन्हें गोली मारी गई और फिर उनको कार से कुचल दिया गया।"
उन्होंने आरोप लगाया कि पुलिस इस मामले को दबाने की कोशिश कर रही है, जो की कार्यकर्ताओं में आक्रोश पैदा कर रहा है। इस पर जनसुराज के संस्थापक प्रशांत किशोर ने इस घटना पर कहा की "हमारी पार्टी की टीम मौके पर पहुंच गई थी। जैसे ही पूरी जानकारी हमें मिलेगी, हम साझा करेंगे।"
जब मीडिया ने जदयू प्रत्याशी अनंत सिंह से इस मामले में सवाल किया, तो उन्होंने सभी आरोपों को खारिज करते हुए कहा की "मैं उस वक्त उस जगह से काफी दूर था। मेरे लोगों ने बताया कि दुलारचंद (Dularchand) के चेले ने हमारी गाड़ियां तोड़ीं है, और यह सब सूरजभान सिंह की साजिश है, ताकि मुझे बदनाम किया जा सके।"
आपको बता दें की इस घटना ने बिहार की सियासत में कानून-व्यवस्था पर बहस को फिर से हवा दे दी है। राजद नेता तेजस्वी यादव का इस घटना पर कहना है की "बिहार में बंदूकधारी गुंडे खुलेआम घूम रहे हैं। यह राज्य की कानून व्यवस्था पर गंभीर प्रश्नचिह्न है। प्रधानमंत्री को बीते 20 साल की बातें छोड़कर बताना चाहिए कि NDA का शासन आखिर कैसा है।"
मोकामा (Mokama) विधानसभा क्षेत्र में इस हत्या (Murder) के बाद चुनावी माहौल में डर फैल गया है। इसके बाद पुलिस ने इलाके में भारी दाल बल तैनात कर दिया है और गांवों में फ्लैग मार्च कराया जा रहा है। हालांकि, अब तक किसी आरोपी की गिरफ्तारी नहीं हुई है। इसके बाद प्रशासन का कहना है कि पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट और फॉरेंसिक जांच के बाद ही यह साफ हो सकेगा कि हत्या की साजिश किसने रची थी।
निष्कर्ष
बिहार में चुनावी हिंसा कोई नई बात नहीं है, लेकिन मोकामा (Mokama) में हुई दुलारचंद यादव की हत्या (Murder) ने इस बार सियासी मुकाबले को बेहद खतरनाक बना दिया है। एक ओर लालू यादव के पुराने साथी की मौत है, और दूसरी ओर अनंत सिंह जैसे बाहुबली उम्मीदवार पर गंभीर आरोप लगे हैं। अब सवाल यह है की क्या यह चुनावी रंजिश का नतीजा है, या पुरानी दुश्मनी की वापसी है ? इसका जवाब तो शायद तभी मिलेगा जब कानून अपना काम पूरी निष्पक्षता से करेगा। (RH/PS)