ED Vs Income Tax: प्रवर्तन निदेशालय (ED) और आयकर विभाग (ITD) ऐसे विभाग है जिनमें नौकरी पाने की चाहत हर युवा की होती है। कई लोग ईडी और आयकर विभाग में अंतर समझ नहीं पाते हैं। दरहसल, यह दो अलग-अलग सरकारी एजेंसियां हैं। इनमें फाइनेंशियल एनफोर्समेंट और टैक्सेशन के फील्ड में अलग-अलग रोल और जिम्मेदारियां निभाई जाती हैं। आइए आज हम आपको ईडी और आयकर विभाग के बारे में विस्तार से बताएंगे।
यह भारत सरकार के वित्त मंत्रालय के राजस्व विभाग के अंदर एक लॉ एनफोर्समेंट एजेंसी के तौर पर काम करती है। इसका मुख्य कार्य इकोनॉमिक लॉ को लागू करने और मनी लॉन्ड्रिंग, फॉरेन एक्सचेंज वायलेशन और इकोनॉमिक फ्रॉड जैसे वित्तीय अपराधों से लड़ने के लिए जिम्मेदारी लेना है। ईडी इन अपराधों से संबंधित मामलों की जांच करती है और इसे रोकने और दंडित करने के लिए उचित कार्रवाई भी करती है।
प्रवर्तन निदेशालय के पास तलाशी लेने, संपत्तियों को जब्त करने और अवैध गतिविधियों में शामिल संपत्तियों को कुर्क करने का पॉवर होता है। ईडी सबूत के लिए और वित्तीय मामलों में शामिल व्यक्तियों या संगठनों के खिलाफ मजबूत मामले बनाने के लिए केंद्रीय जांच ब्यूरो, भारतीय रिजर्व बैंक और आयकर विभाग जैसी विभिन्न अन्य एजेंसियों के साथ सांझा करके काम करती है।
आयकर विभाग भी ईडी के जैसे ही भारत सरकार के वित्त मंत्रालय के राजस्व विभाग के अधीन काम करता है। यह भारत में डायरेक्ट टैक्सेशन लॉ को प्रशासित करने और लागू करने के लिए जिम्मेदार होता है इसके अलावा आयकर का मूल्यांकन, संग्रह और एनफोर्समेंट, आयकर विभाग टैक्स लॉ का अनुपालन सुनिश्चित करता है, ऑडिट तथा टैक्स चोरी के मामलों की जांच करता है और बकाया टैक्सों की वसूलने के लिए आवश्यक कार्रवाई भी करता है।
इनकम टैक्स के पास टैक्स आकलन करने, टैक्स नोटिस जारी करने, छापेमारी करने और टैक्स चोरी या अघोषित आय से संबंधित संपत्ति जब्त करने का अधिकार होता है।
ईडी और इनकम टैक्स डिपार्टमेंट दोनों एजेंसियां वित्तीय मामलों से निपटती हैं। ईडी मुख्य रूप से मनी लॉन्ड्रिंग और फॉरेन एक्सचेंज वायलेशन जैसे आर्थिक अपराधों पर ध्यान केंद्रित करता है जबकि इनकम टैक्स डिपार्टमेंट मुख्य रूप से इनकम टैक्स लॉ लागू करने और टैक्स चोरी से निपटने से संबंधित है। दोनों ही विभाग अपने आप में बेहद पावरफुल है।