मुथुलक्ष्मी रेड्डी देवदासी परंपरा से निकलकर भारत की पहली महिला विधायक बनीं। (Sora AI) 
दिल्ली

देवदासी की बेटी से भारत की पहली महिला विधायक तक : मुथुलक्ष्मी रेड्डी की बेमिसाल कहानी

देवदासी परंपरा से निकलकर देश की पहली महिला विधायक (First woman MLA) बनीं मुथुलक्ष्मी रेड्डी (Muthulakshmi Reddy) ने नारी शिक्षा, स्वास्थ्य और समाज सुधार के लिए पूरी ज़िंदगी संघर्ष किया। उन्होंने देवदासी प्रथा (Devdasi system) के खिलाफ कानून बनाया और महिलाओं के अधिकारों की आवाज़ विधानसभाओं और अस्पतालों तक पहुंचाई। उनका जीवन असली प्रेरणा है।

न्यूज़ग्राम डेस्क

देवदासी परंपरा से निकलकर देश की पहली महिला विधायक बनने तक

मुथुलक्ष्मी रेड्डी (Muthulakshmi Reddy) का जन्म 1886 में तमिलनाडु के पुदुकोट्टई रियासत में हुआ था। उनके पिता एस. नारायणस्वामी अय्यर एक कॉलेज प्रिंसिपल थे और उनकी मां चंद्राम्मल एक देवदासी थीं। उस समय देवदासी परंपरा (Devdasi system) के अनुसार, बच्चियों को देवी-देवताओं की सेवा में समर्पित कर दिया जाता था। जब मुथुलक्ष्मी 11 साल की हुईं, तो उन्हें भी देवदासी बनाने की योजना थी, लेकिन उनके माता-पिता, विशेषकर उनके पिता ने इस परंपरा को तोड़ते हुए उन्हें शिक्षा दिलाने का साहसिक निर्णय लिया। मुथुलक्ष्मी शुरू से ही पढ़ाई में तेज़ थीं। उन्होंने जब महाराजा कॉलेज में दाखिला लेना चाहा तो उनके लिंग और पारिवारिक पृष्ठभूमि के कारण विरोध हुआ। लेकिन पुदुकोट्टई के प्रबुद्ध महाराजा ने उन्हें कॉलेज में प्रवेश दिलाया और छात्रवृत्ति भी दी। कॉलेज में पढ़ाई के दौरान उन्हें कई सामाजिक प्रतिबंधों का सामना करना पड़ा, कक्षा में लड़कों से अलग पर्दे के पीछे बैठाया गया और उनके कॉलेज से निकलने के बाद ही घंटी बजती थी, ताकि लड़के बाहर आ सकें।

उन्होंने मेडिकल कॉलेज में दाखिला लेने वाली पहली महिला बनकर इतिहास रचा। (Sora AI)

भारत की पहली महिला सर्जन और मेडिकल ग्रेजुएट

1907 में मुथुलक्ष्मी ने मद्रास मेडिकल कॉलेज में दाखिला लिया और 1912 में सात स्वर्ण पदकों के साथ स्नातक की उपाधि प्राप्त की। वो सरकारी अस्पताल में पहली महिला हाउस सर्जन बनीं। उस समय, महिलाओं को शिक्षा और चिकित्सा जैसे क्षेत्रों में प्रवेश देना समाज के लिए असामान्य था, लेकिन मुथुलक्ष्मी (Muthulakshmi Reddy) ने यह साबित कर दिया कि दृढ़ संकल्प से कोई भी बाधा पार की जा सकती है। मेडिकल छात्रा रहते हुए उन्होंने अपने चचेरे भाई के बच्चे की देखभाल की, जिसकी मां का प्रसव के दौरान मृत्यु हो गई थी। इस घटना ने उनके भीतर सामाजिक सुधार की भावना को और मजबूत किया। उन्होंने न सिर्फ़ चिकित्सा सेवा दी, बल्कि बालिका गृहों में स्वयंसेवा की, एनी बेसेंट जैसे नेताओं के संपर्क में आईं और समाज की पिछड़ी परंपराओं को बदलने का बीड़ा उठाया। 1926 में जब वो मद्रास विधान परिषद की सदस्य बनीं, तो उन्होंने सबसे पहले देवदासी प्रथा को खत्म करने का विधेयक पेश किया।

समाज सुधार के लिए उन्होंने देवदासी प्रथा को खत्म करने का कानून पेश किया। (Sora AI)

एक स्वतंत्र सोच की महिला

मुथुलक्ष्मी रेड्डी (Muthulakshmi Reddy) भारत की पहली महिला विधायक (First woman MLA) बनीं और मद्रास विधान परिषद की उपाध्यक्ष पद पर चुनी गईं, दुनिया में किसी महिला के लिए यह पद पहली बार था। उन्होंने महिलाओं के लिए शिक्षा, स्वास्थ्य और समानता के क्षेत्र में कई पहल कीं। उन्होंने 1930 में महात्मा गांधी की गिरफ्तारी के विरोध में विधायक पद से इस्तीफा भी दे दिया। मुथुलक्ष्मी ने सुंदर रेड्डी से विवाह इस शर्त पर किया कि वो उन्हें बराबरी का सम्मान देंगे।

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उनका विवाह 1872 के 'मूल निवासी विवाह अधिनियम' के तहत हुआ, जो उस समय के समाज में एक क्रांतिकारी कदम था। वो गांधी जी के स्वतंत्रता आंदोलन में भाग ले सकती थीं, लेकिन उन्होंने तय किया कि वो जेल जाने की बजाय बाहर रहकर महिलाओं और बच्चों की भलाई के लिए काम करेंगी। मुथुलक्ष्मी रेड्डी के योगदान को आज भी याद किया जाता है। 2022 में प्रकाशित मोनोग्राफ "मुथुलक्ष्मी रेड्डी, सर्जरी और महिला अधिकारों में एक ट्रेलब्लेज़र" में उनके नारीवादी और चिकित्सकीय योगदान को विस्तार से बताया गया है।

मुथुलक्ष्मी ने शर्तों पर विवाह किया और बराबरी के अधिकारों की मांग की। (Sora AI)

निष्कर्ष

मुथुलक्ष्मी रेड्डी (Muthulakshmi Reddy) सिर्फ एक डॉक्टर या विधायक नहीं थीं, वो एक साहसी महिला थीं जिन्होंने एक मजबूत संदेश दिया, कि जन्म की पृष्ठभूमि या लिंग किसी की क्षमता को तय नहीं करता। उन्होंने नारी शिक्षा, स्वास्थ्य, और समान अधिकारों के लिए जो काम किया, वह आज भी भारत की हर लड़की के लिए प्रेरणा है।

मुथुलक्ष्मी रेड्डी, एक नाम जो नारी शक्ति की मिसाल बन गया। [Rh/PS]

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