Shikari Mata Mandir : शिकारी देवी मंदिर जंजैहली से लगभग 18 किलोमीटर दूर है (Wikimedia Commons) 
हिमाचल प्रदेश

हिमाचल के इस अनोखे मंदिर में नहीं है छत, खुले आसमान के नीचे विराजमान हैं माता

ठंड के मौसम में यहां 6 से 7 फीट तक बर्फ गिरती है, लेकिन यह भारी बर्फ माता के मंदिर की मूर्तियों पर नहीं टिक पाती है। आपको जानकर होगी कि इस मंदिर की छत नहीं है, यहां माता खुले आसमान के नीचे विराजमान हैं।

न्यूज़ग्राम डेस्क

Shikari Mata Mandir : हिमाचल का शिकारी देवी मां का मंदिर बहुत प्रसिद्ध और चमत्कारी मंदिर माना जाता है। ये मंदिर सराज घाटी पर स्थित है। ठंड के मौसम में यहां 6 से 7 फीट तक बर्फ गिरती है, लेकिन यह भारी बर्फ माता के मंदिर की मूर्तियों पर नहीं टिक पाती है। आपको जानकर होगी कि इस मंदिर की छत नहीं है, यहां माता खुले आसमान के नीचे विराजमान हैं। इसके अलावा माना जाता है कि जो भी भक्त इन मंदिर में देवी मां से मुराद मांगता है, उसकी हर इच्छा पूरी होती है। आपको बता दें यहां हाल ही में लोक सभा चुनाव के लिए विक्रमादित्य सिंह मत्था टेकने पहुंचे थे। आइए जानते हैं इस मंदिर की और भी खासियत।

माता को पसंद है खुला आसमान

इस मंदिर का छत न होने का कारण यह है कि यहां मंदिर की छत को कई बार डालने की कोशिश की गई, लेकिन माता की आज्ञा नहीं मिली। कहा जाता है कि यहां माता रानी खुले आसमान के नीचे रहना पसंद करती हैं। शिकारी देवी मंदिर की मूर्तियां दीवारों पर ही स्थापित हैं और पत्थरों की एक मचान पर प्रतिमाएं स्थापित हैं। यहां नवरात्रि के दौरान भक्तों का भारी भीड़ लगती है। मंदिर में माता की नवदुर्गा मूर्ति, चामुंडा, कमरूनाग और परशुराम की मूर्तियां हैं।

शिकारी देवी मंदिर की मूर्तियां दीवारों पर ही स्थापित हैं और पत्थरों की एक मचान पर प्रतिमाएं स्थापित हैं।(Wikimedia Commons)

यहां मार्कंडेय ऋषि ने की तपस्या

लोगों ने बताया कि यहां मार्कंडेय ऋषि ने सालों तक देवी मां की तपस्या की थी। उनकी इसी तपस्या से खुश होकर माता रानी यहां शक्ति रूप में विराजमान हुईं। इसके बाद पांडवों ने यहां अज्ञातवास के दौरान मंदिर का निर्माण करवाया था और इसी मंदिर में मां दुर्गा ने पांडवों को कौरवों के खिलाफ युद्ध जीतने का आशीर्वाद दिया था।

11000 फीट ऊंचाई पर है ये मंदिर

शिकारी देवी मंदिर जंजैहली से लगभग 18 किलोमीटर दूर है और वन का क्षेत्र सड़क से जुड़ा हुआ है। शिकारी माता का ये प्रसिद्ध मंदिर करीब 11000 फीच ऊंचाई पर स्थित है। यदि आप यहां आने का सोच रहे हैं तो मई से सितंबर के बीच ना आएं क्योंकि इस समय यह बर्फ से ढका हुआ रहता है। यदि आप हवाई मार्ग द्वारा आना चाहते है, तो जंजेहली से निकत्तम एयरपोर्ट लगभग 118 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है।

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