जम्मू-कश्मीर (Jammu Kashmir) के पूर्व मुख्यमंत्री और नेशनल कांफ्रेंस (JKNC) के अध्यक्ष फारूक अब्दुल्ला (Farukh Abdulla) ने ड्यूटी ज्वाइन करने में विफल रहने वाले कश्मीरी पंडितों को वेतन नहीं देने की उपराज्यपाल मनोज सिन्हा की घोषणा की आलोचना की है। उन्होंने कहा कि उन्हें पंडितों के घाटी में न जाने के कारणों को समझना चाहिए। फारूक अब्दुल्ला ने शुक्रवार को संसद (Parliament) भवन परिसर में प्रेस कॉन्फ्रेंस को संबोधित करते हुए कहा कि सुरक्षा के अभाव में पंडित घाटी नहीं जाते हैं। अब्दुल्ला ने अनुच्छेद 370 (Article 370) को निरस्त करके आतंकवाद को खत्म करने के केंद्र सरकार के फैसले पर सवाल उठाया और कहा कि क्षेत्र के विशेष दर्जे को रद्द करने के सालों बाद भी घाटी में आतंकवाद मौजूद है।
अब्दुल्ला ने सीएए-एनआरसी पर कटाक्ष करते हुए वोटर आईडी कार्ड, आधार कार्ड और पैन कार्ड होने के बावजूद नागरिकता कार्ड की जरूरत पर सवाल उठाया। चीन (China) के साथ तनाव के बारे में पूछे गए एक सवाल के जवाब में अब्दुल्ला ने कहा कि भारतीय सेना (Indian Army) उस देश को उसी की भाषा में जवाब देने को तैयार है।
अब्दुल्ला ने रूस-यूक्रेन युद्ध (Russia–Ukraine War) के मुद्दे पर टिप्पणी करते हुए कहा कि प्रधानमंत्री ने खुद कहा था कि युद्ध का युग खत्म हो गया है, इसलिए बातचीत जारी रहनी चाहिए। देश को मुस्लिमों के लिए असुरक्षित बताने वाले राजद नेता अब्दुल बारी सिद्दीकी के बयान पर प्रतिक्रिया देते हुए उन्होंने 'जीना यहां मरना यहां, इसके सिवा जाना कहां' गाना गुनगुनाया और कहा देश छोड़कर जाने से बढ़ती नफरत पर काबू नहीं पाया जा सकता, बल्कि मिलजुल कर इसके खिलाफ लड़ाई लड़ी जानी चाहिए।
आईएएनएस/PT