Batuk Bhairav Mandir : बटुक भैरव को शिव और काली का पुत्र माना जाता है। इसलिए इनके दर्शन से हर तरह के भय और बाधा से मुक्ति मिल जाती है (Wikimedia Commons) 
उत्तर प्रदेश

बटुक भैरव मंदिर में भगवान को टॉफी, बिस्किट का लगाया जाता है भोग

बटुक भैरव मंदिर में हर दिन पंचमकार विधि से पूजा की जाती है। इस विधि में पूजन के दौरान उन्हें टॉफी, बिस्किट का भोग लगाया जाता है और फिर उसे प्रसाद स्वरूप बांटा जाता है, माना जाता है कि इससे संतान की सभी बाधाएं दूर होती है।

न्यूज़ग्राम डेस्क

Batuk Bhairav Mandir : काशी में बहुत सारे मंदिर होने के कारण इसे मंदिरों का शहर भी कहा जाता है। माना जाता है कि इस शहर के कण-कण में भगवान शिव जी विराजमान है लेकिन इसके अलावा भी काशी में कई देवी देवताओं के मंदिर है। इनमें कमच्छा स्थित बटुक भैरव का मंदिर भी एक है, बटुक भैरव को भगवान शिव का बाल रूप माना जाता है, इन्हें टॉफी बिस्किट वाले भगवान के नाम से भी जानते है। इस मंदिर की खास बात यह है कि बटुक भैरव को भक्त टॉफी बिस्किट का प्रसाद चढ़ाते हैं।

बटुक भैरव का मंदिर

धार्मिक मान्यताओं के आधार पर भगवान बटुक भैरव के दर्शन से हर प्रकार के शारीरिक और मानसिक कष्ट दूर हो जाते हैं। इसके अलावा यदि कुंडली में राहु केतु की स्थिति खराब है तो उन कष्टों से भी मुक्ति मिल जाती है। इतना ही नहीं ऊपरी बाधा सम्बंधित परेशानियां भी यहां दर्शन करने से दूर हो जाती है।

यह मंदिर 17वीं शताब्दी के आस पास का है। (Wikimedia Commons)

मंदिर के महंत राकेश पूरी ने बताया कि काशी में स्थित यह मंदिर 17वीं शताब्दी के आस पास का है। बटुक भैरव को शिव और काली का पुत्र माना जाता है। इसलिए इनके दर्शन से हर तरह के भय और बाधा से मुक्ति मिल जाती है और भक्तों की मनोकामनाएं भी जल्द पूरी होती है।

यहां भक्तों का लगा रहता है तांता

कमच्छा स्थित बटुक भैरव मंदिर में दर्शन के लिए हर दिन हजारों श्रद्धालु आते है। इसमें वाराणसी के साथ - साथ आस पास के जिले के भक्त भी शामिल होते है। मंगलवार और रविवार को मंदिर में विशेष भीड़ होती है, आपको बता दें कि हर साल ज्येष्ठ शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि को उनकी जयंती मनाई जाती है। इसी के साथ बटुक भैरव मंदिर में हर दिन पंचमकार विधि से पूजा की जाती है। इस विधि में पूजन के दौरान उन्हें टॉफी, बिस्किट का भोग लगाया जाता है और फिर उसे प्रसाद स्वरूप बांटा जाता है, माना जाता है कि इससे संतान की सभी बाधाएं दूर होती है।

क्यों चढ़ाते हैं बिस्किट-टॉफी

बाबा भक्ति श्रद्धा और भाव के भूखे हैं, जिस प्रकार एक बालक को प्रेम से जो भी चीज दिया जाता है, वह स्वीकार कर लेता है, ठीक वैसे ही बटुक भैरव है, छोटे बालक की तरह कुछ भी पहना दीजिए, कुछ भी खिला दीजिए। उसी तरह लोग उसी भाव से बाबा को भी टॉफी, बिस्किट, नमकीन, चॉकलेट चढ़ाते हैं।

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