Uttar Pradesh tourism - वृन्दावन - यह स्थान श्री कृष्ण की कुछ अलौकिक बाल लीलाओं का केन्द्र माना जाता है। (pixabay) 
उत्तर प्रदेश

इन जगहों पर मिलेगा सुकून, छुट्टियों को बनाइए यादगार।

गंगा में नाव पर घूमने का मन हो या फिर घाट के किनारे बैठ कर वहा के खाने का स्वाद , साथ में भगवान के दर्शन भी होजाए तो बस मजा ही आ जाए । अगर आप भी इस मौसम में कुछ ऐसा ही सफ़र करना चाहते है तो जल्द ही समेट लीजिए अपने कपड़े और निकल पड़िए उत्तर प्रदेश के इन जगहों पर घूमने के लिए।।

न्यूज़ग्राम डेस्क

Uttar Pradesh tourism - ऑफिस से छुट्टी मिले और उस छुट्टियों पर आप घर पर बैठे रहो तो क्या ही छुट्टियों का मजा ? अगर आप अपने इन छुट्टियों को यादगार बनाना चाहते है और इस ठंड में अपने परिवार या दोस्तों के साथ घूमने का सोच रहे है तो ये जगह आपको जरूर जानी चाहिए, गंगा में नाव पर घूमने का मन हो या फिर घाट के किनारे बैठ कर वहा के खाने का स्वाद साथ में भगवान के दर्शन भी हो जाए तो बस मजा ही आ जाए । अगर आप भी इस मौसम में कुछ ऐसा ही सफ़र करना चाहते है तो जल्द ही समेट लीजिए अपने कपड़े और निकल पड़िए उत्तर प्रदेश के इन जगहों पर घूमने के लिए।।

हिन्दू धर्म में यह एक अतयन्त महत्वपूर्ण तीर्थस्थल है। (pixabay)

वाराणसी -

जिसे काशी और बनारस भी कहा जाता है, भारत के उत्तर प्रदेश राज्य में गंगा नदी के तट पर स्थित एक प्राचीन नगर है। हिन्दू धर्म में यह एक अतयन्त महत्वपूर्ण तीर्थस्थल है।वाराणसी में सबसे प्रमुख मंदिर के रूप में देखते हैं, और कुछ इसे पूरे देश में सबसे महत्वपूर्ण मंदिर मानते हैं। आपको बता दें, इस मंदिर की कहानी तीन हजार पांच सौ साल से भी अधिक पुरानी है। काशी विश्वनाथ मंदिर 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक है।

वृन्दावन -

भारत के उत्तर प्रदेश राज्य के मथुरा ज़िले में स्थित एक महत्वपूर्ण धार्मिक व ऐतिहासिक नगर है। वृन्दावन भगवान श्रीकृष्ण की लीला से जुडा हुआ है। यह स्थान श्री कृष्ण की कुछ अलौकिक बाल लीलाओं का केन्द्र माना जाता है। यहाँ विशाल संख्या में श्री कृष्ण और राधा रानी के मन्दिर हैं । वृन्दावन को 'ब्रज का हृदय' कहते है जहाँ श्री राधाकृष्ण ने अपनी दिव्य लीलाएँ की हैं। इस पावन भूमि को पृथ्वी का अति उत्तम तथा परम गुप्त भाग कहा गया है।

त्रिवेणी के इसी स्थान पर कुंभ मेला का आयोजन होता है। (wikimedia commons)

प्रयागराज -

इसे पहले इलाहाबाद कहते थे। यहां गंगा और यमुना का मिलन होता है और सरस्वती को यहां अदृश्य माना गया है। त्रिवेणी के इसी स्थान पर कुंभ मेला का आयोजन होता है क्योंकि यहां पर अमृत की बूंदें गिरी थी। यहां प्रजापिता ब्रह्मा ने दशाश्वमेध यज्ञ किया था। प्रयाग से सारे तीर्थ उत्पन्न हुए हैं। प्रयागराज में सैंकड़ों धार्मिक स्थल है। आप यहां के फेमस खाने का लुफ्त गंगा किनारे बैठ कर उठा सकते हो और गंगा आरती का भव्य नज़ारा का भी आनंद ले सकते है।

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