कॉर्बेट टाइगर रिजर्व IANS
उत्तराखंड

कॉर्बेट टाइगर रिजर्व से सटे गांवों का होगा विकास, इको डेवलपमेंट कमेटियों को मिले 1.14 करोड़

उत्तराखंड के नैनीताल स्थित रामनगर में कॉर्बेट टाइगर रिजर्व से सटे गांवों की इको डेवलपमेंट कमेटियों (इडीसी) को 1 करोड़ 14 लाख रुपये की धनराशि प्रदान की गई।

IANS

यह राशि कुल 19 इडीसी को दी गई है। अब इस धन का उपयोग ग्रामीण विकास कार्यों के साथ ही मानव–वन्यजीव संघर्ष को कम करने में किया जाएगा। खास बात यह है कि इन इको डेवलपमेंट कमेटियों को बाघ रक्षक कार्यक्रम से भी जोड़ा जा रहा है, जिससे ग्रामीण बाघ संरक्षण में अहम भूमिका निभा सकेंगे।

वन्यजीव संरक्षण और ग्रामीण विकास को साथ लेकर चलने के उद्देश्य से कॉर्बेट टाइगर रिजर्व (Tiger Reserve) प्रशासन ने एक अहम पहल की है। पार्क प्रशासन द्वारा रिजर्व से सटे 19 इको डेवलपमेंट कमेटियों (इडीसी) को कुल 1 करोड़ 14 लाख रुपये की धनराशि का वितरण किया गया। यह राशि गांवों के बुनियादी ढांचे के विकास, आजीविका बढ़ाने वाले प्रोजेक्ट्स और मानव–वन्यजीव संघर्ष को कम करने वाली गतिविधियों पर खर्च की जाएगी। अधिकारियों का कहना है कि इस पहल से ना केवल ग्रामीणों को प्रत्यक्ष लाभ मिलेगा, बल्कि उनकी सहभागिता से जंगल और वन्यजीवों की सुरक्षा भी मजबूत होगी।

कॉर्बेट टाइगर रिजर्व प्रशासन ने इस मौके पर बाघ रक्षक कार्यक्रम का भी ऐलान किया। इस योजना के तहत ग्रामीणों को प्रशिक्षण देकर बाघ संरक्षण की दिशा में जागरूक और सक्रिय किया जाएगा। ग्रामीणों की मदद से मानव और बाघ के बीच बढ़ते टकराव को कम करने का प्रयास होगा। बाघ रक्षक कार्यक्रम से जुड़े ग्रामीण आगे चलकर वन विभाग की आंख और कान साबित होंगे। वे जंगलों और गांवों के बीच होने वाली गतिविधियों पर नजर रखेंगे, जिससे वन्यजीव संरक्षण की दिशा में ठोस परिणाम सामने आएंगे।

गौरतलब है कि कॉर्बेट टाइगर रिजर्व भारत में बाघों की सर्वाधिक आबादी वाला रिजर्व है। यहां बाघ और इंसानों के बीच टकराव की घटनाएं भी समय-समय पर सामने आती रही हैं। ऐसे में इको डेवलपमेंट कमेटियों को सशक्त बनाकर टकराव रोकने और संरक्षण कार्यों को आगे बढ़ाना एक अहम कदम माना जा रहा है।

मामले में कॉर्बेट टाइगर रिज़र्व के डायरेक्टर डॉ. साकेत बडोला ने बताया कि इको डेवलपमेंट कमेटियों को दी गई यह राशि गांवों के विकास के साथ-साथ बाघ संरक्षण की दिशा में भी उपयोग होगी। बाघ रक्षक कार्यक्रम के तहत ग्रामीणों को जोड़ा जाएगा, जिससे मानव–बाघ संघर्ष को कम करने में मदद मिलेगी और बाघों की सुरक्षा भी सुनिश्चित होगी।

(BA)

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