हिमाचल का रहस्मयी गांव मलाडा 

 

मलाडा गांव (Wikimedia Commons)

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भारत के वो रहस्यमय गांव जिनके बारे में जानकर आप हैरान हो जाएंगे

भारत के कुछ गांव ऐसे भी हैं जिनकी विषेताएं जानकर आप हैरान हो जाएंगे। अपने कुछ अजीबो गरीब बातों के कारण ये गांव ना सिर्फ भारत बल्कि दुनियाभर में मशहूर हैं।

न्यूज़ग्राम डेस्क

न्यूज़ग्राम हिन्दी: जैसा कि हम जानते हैं कि भारत गांवों का देश है। यहां आधी से ज़्यादा आबादी गांवों में ही बस्ती है। इन्हीं में से कुछ गांव ऐसे भी हैं, जिनकी विषेताएं जानकर आप हैरान हो जाएंगे। अपने कुछ अजीबो गरीब बातों के कारण ये गांव ना सिर्फ भारत बल्कि दुनियाभर में मशहूर हैं।

सबसे पहले बात करते है हिमाचल प्रदेश की चोटियों के बीच बसे एक छोटे से गांव मलाडा की।1700 की आबादी वाले इस गांव तक पहुंचने के लिए कोई सड़क नहीं है इसके लिए पहाड़ी रास्तों से गुजरना पड़ता है। ऐसा मानना है कि सिकंदर के समय के कुछ सिपाही इस गांव में आ बसे थे। इस गांव में सिकंदर के वंशज आज भी रहते हैं। इस बात की पुष्टि तो हुई नहीं है लेकिन कुछ साक्ष्य सिकंदर के ज़माने के मिलते हैं।

यहां के लोग एक रहस्मयी भाषा बोलते है जो दुनिया में और कहीं नहीं बोली जाती।ऐसा भी माना जाता है कि इस गांव के लोग बाहरी लोगों से हाथ मिलाने से कतराते हैं, साथ ही गांव के मंदिर और घरों को छुने की मनाही है। हालांकि आज की पीढ़ी इस बात को नहीं मानती और वे पर्यटकों से हाथ मिला लेते हैं।

आगे बात करते हैं कर्नाटक के मत्तूर गांव की जहां आज भी शास्त्रीय भाषा में बात की जाती है। यहां जाते ही आपको संस्कृत भाषा सुनने को मिलेगी। नदी के किनारे बसे इस छोटे से गांव में लोग आज भी वैदिक जीवनशैली का पालन करते हैं। यहां के लोग रोज़ाना प्राचीन ग्रंथों का जाप करते हैं।

जैसलमेर का कुलधरा गांव 

इसकी शुरुआत हुई 1981 में जब शास्त्रीय भाषा को बढ़ावा देने वाली संस्था ने यहां पर संस्कृत भाषा का शिविर लगाया। यहां मठ के साधु ने गांव के हर आदमी से संस्कृत बोलने और उसकी महानता की बात की जिसे गांव वालों ने गंभीरता से लिया। यहां एक केंद्रीय विद्यालय है जहां हर बच्चा 5 वर्षों तक बुजुर्गों की निगरानी में वैदिक भाषा सीखता है। विदेश से भी लोग आकर यहां संस्कृत सीखते हैं।

इसी सिलसिले में आगे आपको बताते हैं जैसलमेर से 14 किमी दूर मौजूद कुलधरा गांव के बारे में। इस गांव में आज से 200 साल पहले 5000 लोग बसते थे। किसी समय में इस गांव में खूब चहल पहल होती थी। लेकिन आज के समय में यह गांव वीरान पड़ा है।

ऐसा माना जाता था कि 1800 के दशक में गांव के मंत्री सलीम सिंह ने यहां के लोगों के साथ धोखा किया था। उसे गांव प्रधान की लड़की पसंद आ गई और उसने गांव वालों को धमकी दी कि यदि कोई भी उन दोनों के रास्ते में आएगा तो वह पूरे गांव से दुगने कर वसूलेगा। अपने गांव और गांव की बेटी को बचाने के लिए रातों रात गांव वालों ने यह गांव छोड़ दिया। जाते जाते उन्होंने श्राप दिया कि आने वाले दिनों में कोई भी यहां बस नहीं पाएगा।

आज के दिन में यह विरान गांव पर्यटकों के घूमने की जगह बना हुआ है हालांकि शाम होते ही यहां के द्वार बंद कर दिए  जाते हैं।

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