“जंगलराज” शब्द का इस्तेमाल सबसे पहले सन 1997 में पटना हाईकोर्ट में किया गया था।
पटना हाईकोर्ट के जस्टिस वीपी सिंह और जस्टिस धर्मपाल सिन्हा ( Justice V.P. Singh and Justice Dharampal Sinha) की खंडपीठ ने राजद सरकार की आलोचना करने के लिए पहली बार “जंगलराज” शब्द का इस्तेमाल किया था।
राजद के सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव ने इस आलोचना को अवसर में बदलकर जनता को आश्वासन दिलाया कि जब एक निचली जाति सत्ता में आती है तो विपक्षी पार्टी के बड़े लोग चिंतित हो जाते हैं कि उनका अस्तित्व खत्म हो जाएगा।
“जंगलराज” शब्द एक बार फिर से बिहार की राजनीति में गूंज रहा है। यह शब्द बिहार में आमतौर पर लालू प्रसाद यादव की राजद सरकार की आलोचना करने के लिए विपक्षी पार्टियों द्वारा इस्तेमाल में लाया जाता है। इन दिनों बिहार में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और केंद्रीय मंत्री अमित शाह ने समस्तीपुर में रैली के दौरान एक बार फिर से इस शब्द का इस्तेमाल करके जंगलराज की याद दिला दी है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने समस्तीपुर को संबोधित करते हुए कहा कि “फिर एक बार एनडीए सरकार, सुशासन सरकार; जंगलराज को दूर रखेगा बिहार।”
दरअसल लालू प्रसाद यादव की राजद सरकार ( Lalu Prasad Yadav, RJD) ने करीब 15 सालों से इस शब्द को ढाल बनाकर राजनीति में पैर पसारे हुए हैं। हालांकि लालू प्रसाद यादव ने इस शब्द को आलोचना के तौर पर ना लेते हुए अवसर के तौर पर देखा और जनता को अपनी ओर आकर्षित कर राजनीति में अपना दबदबा कायम किया।
आपको बता देते हैं कि इस शब्द का इस्तेमाल सबसे पहले पटना हाईकोर्ट ( Patna Highcourt) में जस्टिस वीपी सिंह और जस्टिस धर्मपाल सिन्हा (Justice V.P. Singh and Justice Dharampal Sinha) की एक खंडपीठ द्वारा राजद सरकार की आलोचना करने के लिए साल 1997 में किया गया था। दरअसल एक सामाजिक कार्यकर्ता ने पटना में आम जन की समस्या जैसे बारिश के कारण जल भराव और नालों की सफाई न होने को लेकर याचिका दायर की। इस पर कोर्ट ने एक स्टेटमेंट जारी किया और कहा कि “हालात जंगलराज से भी खराब है, वही कोर्ट के निर्देशों और जनहित की भी कोई परवाह नहीं की जा रही है।”
पटना हाईकोर्ट के बयान के बाद भाजपा के दिवंगत नेता सुशील कुमार ने इस शब्द को विपक्ष और राजद पार्टी की आलोचना के लिए सबसे ज्यादा इस्तेमाल में लाया। साल 2000 के चुनाव में राजद सरकार पर भारी दबाव बना हुआ था और इसी बीच यह शब्द काफी चर्चा में था।
लालू यादव बिहार में आमजन से सीधे तौर पर संपर्क स्थापित करने और जमीन से जुड़े रहने वाले नेता के तौर पर देखे जाते हैं। जब विपक्षी पार्टियों ने कानून व्यवस्था का सहारा लेते हुए जंगलराज शब्द का इस्तेमाल किया तो इसे लालू यादव ( Lalu Yadav) ने आलोचना न समझते हुए अवसर समझा। बिहार की प्रमुख लेखक संरक्षण ठाकुर ने अपनी किताब “बंधु बिहारी: कहानी लालू यादव व नीतीश कुमार की।” में लालू यादव के विचार को इसमें उल्लेखित किया। किताब के अनुसार लालू यादव का कहना है कि विपक्ष जंगलराज का इस्तेमाल इसलिए कर रहे हैं क्योंकि बिहार की सत्ता में निचली और पिछड़ी जातियां मौजूद है। लालू यादव खुद पिछड़ी जाति से संबंध रखते हैं। लालू गरीब और शोषण क से आते हैं, पहली बार एक गरीब वर्ग उच्च वर्ग के सामने खड़ा हो रहा है और उच्च वर्ग को यह आभास है कि इससे उसका प्रभुत्व कम हो जाएगा।” इस तरह लालू प्रसाद यादव जनता को यह विश्वास दिलाने में कामयाब रहे कि विपक्ष जंगलराज को खत्म करने के साथ बिहार में मौजूद गरीब और पिछड़ी जाति को खत्म करना चाहते हैं। लालू प्रसाद यादव के ऐसा करने से साल 2000 के चुनाव में राजद सरकार को जीत हासिल हुई और बिहार के मुख्यमंत्री के तौर पर राबड़ी देवी नजर आई।
निष्कर्ष
इस आर्टिकल में हमने आपको बिहार की राजनीति में सबसे ज्यादा इस्तेमाल में लाया जाने वाला शब्द जंगलराज की उत्पत्ति से संबंधित जानकारी दी है। इसके अलावा हमने यह भी जाना कि कैसे लालू प्रसाद यादव ने जंगलराज शब्द को आलोचना ना मानकर अवसर में समझा और बिहार की राजनीति में 15 साल से अपने पैर जमाएं।
RH