'मिस गोल्फ़' पर आरोप है कि इन्होने कम से कम नौ वरिष्ठ भिक्षुओं को अपने जाल में फंसाया।  (AI)
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'मिस गोल्फ़' का जाल: थाईलैंड में गुप्त कैमरे से भिक्षुओं की ब्लैकमेलिंग का सनसनीख़ेज़ खुलासा

थाईलैंड (Thailand) में 'मिस गोल्फ़' (Miss Golf) द्वारा भिक्षुओं (Monk) को फँसाकर करोड़ों की वसूली का पर्दाफाश, गुप्त वीडियो से ब्लैकमेलिंग (Blackmailing) ने धार्मिक संस्थान की साख पर गहरा धक्का पहुँचाया। घटना ने न सिर्फ़ भिक्षुओं की पवित्र छवि पर सवाल उठाए, बल्कि थाई समाज में आस्था और अनुशासन पर भी संकट खड़ा कर दिया है।

न्यूज़ग्राम डेस्क

थाईलैंड (Thailand) में बौद्ध धर्म को बेहद सम्मान और पवित्रता के साथ देखा जाता है। यहां के समाज में भिक्षुओं की छवि आदर्श मानी जाती है। लेकिन हाल ही में सामने आए एक नए घोटाले ने न सिर्फ़ भिक्षुओं (Monk) की साख पर सवाल खड़े कर दिए हैं बल्कि पूरे धार्मिक संस्थान को हिलाकर रख दिया है। इस मामले में पुलिस ने एक महिला को गिरफ्तार किया है, उस महिला पर आरोप है कि उसने बौद्ध भिक्षुओं के साथ यौन संबंध बनाए, और गुप्त तरीके से, किसी को पता चले बिना, उन क्षणों को कैमरे से रिकॉर्ड कर लिया और फिर उन्हीं तस्वीरों व वीडियो का इस्तेमाल करके उन्हें ब्लैकमेल (Blackmailing) किया गया।

"मिस गोल्फ़" का गिरोह और ब्लैकमेलिंग का जाल

थाईलैंड (Thailand) पुलिस के मुताबिक़ इस महिला का नाम विलावान एम्सावत, जिसे लोग 'मिस गोल्फ़' के नाम से भी जानते हैं। इन पर आरोप है कि इन्होने कम से कम नौ वरिष्ठ भिक्षुओं को अपने जाल में फंसाया। रिपोर्ट के अनुसार, उसने बीते तीन सालों में लगभग 11.9 मिलियन डॉलर वसूले। पुलिस का कहना है कि महिला का तरीका बहुत ही व्यवस्थित था। वह पहले भिक्षुओं (Monk) के साथ रिश्ते बनाती थी, भावुक पलों की तस्वीरें और वीडियो बनाती थी और फिर पैसों की मांग करती थी। इतना ही नहीं, जब पुलिस ने उसके घर पर छापा मारा तो पुलिस को करीब 80 हज़ार तस्वीरें और वीडियो मिले, जिनका इस्तेमाल ब्लैकमेलिंग (Blackmailing) में किया जाता था।

यह मामला पहली बार तब सामने आया जब बैंकॉक के एक प्रमुख मंदिर के मठाधीश ने अचानक भिक्षु पद छोड़ दिया। जांच में पता चला कि मिस गोल्फ़ ने उसके साथ संबंध बनाए थे और बाद में दावा किया कि वह उसके बच्चे की मां है। उसने इस आधार पर उससे लगभग 70 लाख बाट से अधिक की भारी-भरकम रकम की मांग की। इसके बाद पुलिस ने गहराई से जांच शुरू की और पाया कि कई अन्य भिक्षुओं भी उसी जाल में फंसे हुए हैं और उन्होंने ने भी उस महिला को बड़ी रकम ट्रांसफ़र की थी।

पुलिस ने बताया कि महिला के खातों में आए पैसों का बड़ा हिस्सा निकाल लिया गया है और कुछ रकम को ऑनलाइन जुए में खर्च कर दिया गया है। यही नहीं, महिला पर जबरन वसूली, मनी लॉन्ड्रिंग और चोरी की संपत्ति रखने जैसे कई गंभीर आरोप भी लगे हैं। जांच अधिकारियों का कहना है कि यह महिला बेहद ख़तरनाक है और उसने सुनियोजित तरीके से भिक्षुओं को निशाना बनाया।

जांच में पता चला कि मिस गोल्फ़ ने उसके साथ संबंध बनाए थे और बाद में दावा किया कि वह उसके बच्चे की मां है। उसने इस आधार पर उससे लगभग 70 लाख बाट से अधिक की भारी-भरकम रकम की मांग की।

थाई समाज में मचा हड़कंप

यह घटना थाईलैंड (Thailand) की जनता के लिए गहरे सदमे की तरह है। यहां लगभग 90% आबादी बौद्ध धर्म को मानती है और थाईलैंड में भिक्षुओं को बहुत ऊँचा दर्जा दिया जाता है। आपको बता दें पिछले कुछ वर्षों से लगातार ऐसे घोटाले सामने आ रहे हैं, जिससे धार्मिक संस्थान की छवि धूमिल हो रही है। पिछले वर्षों के कई मामलों में भिक्षुओं पर यौन अपराध, ड्रग तस्करी और भ्रष्टाचार जैसे आरोप लगे हैं। 2017 में विरापोल सुकफोल नामक भिक्षु पर यौन शोषण और धोखाधड़ी का मामला सामने आया था, जबकि 2022 में उत्तरी थाईलैंड के एक मंदिर में चार भिक्षु ड्रग और छापे में पकड़े गए थे।

इस घटना के बाद थाईलैंड की बौद्ध धर्म की सबसे बड़ी संस्था संघ सुप्रीम काउंसिल ने मठों के नियमों की समीक्षा के लिए विशेष समिति बनाने का फैसला किया है। वहीं, थाई सरकार भी ऐसे भिक्षुओं (Monk) पर कड़ी कार्रवाई करने के पक्ष में है जो आचार संहिता का उल्लंघन करते हैं। कड़ी सज़ाओं में जुर्माना और जेल तक शामिल किए जाने की बात कही जा रही है। थाईलैंड के राजा वजीरालोंगकॉर्न ने भी इस घटना पर कठोर कदम उठाए हैं। उन्होंने जून 2025 में जारी की गई उस आदेश को रद्द कर दिया है जिसमें 81 भिक्षुओं को उच्च पदवी दी गई थी। उन्होंने कहा था कि भिक्षुओं के अनुशासनहीन आचरण ने बौद्ध अनुयायियों को गहरा आघात पहुँचाया है।

पुलिस ने इस मामले के बाद एक विशेष हेल्पलाइन और फेसबुक पेज शुरू किया है, जहाँ लोग गलत आचरण करने वाले भिक्षुओं की जानकारी दे सकते हैं। और उसके बाद अधिकारियों का कहना है कि अब पूरे देश में भिक्षुओं की जांच की जाएगी और इस अभियान से बड़े बदलाव देखने को मिल सकते हैं।

समाजशास्त्रियों और धर्म विशेषज्ञों का मानना है कि यह घटना सिर्फ़ व्यक्तिगत ग़लती का मामला नहीं है, बल्कि यह पूरे धार्मिक ढांचे में मौजूद खामियों को उजागर करती है। बैंकॉक की थम्मसात यूनिवर्सिटी के समाजशास्त्री प्राकृति सातासुत का कहना है कि "सबसे ज़रूरी बात यह है कि जब सच्चाई जनता के सामने आए, तभी संघ की पवित्रता को लेकर उठे संदेह दूर हो सकते हैं।" वहीं, धार्मिक स्कॉलर सुराफोट थावीशाक का कहना है कि थाई संघ की संरचना बिल्कुल नौकरशाही जैसी है, जिसमें वरिष्ठ भिक्षु ऊँचे अधिकारी की तरह होते हैं और छोटे भिक्षु उनके सहायक। ऐसे माहौल में ग़लत आचरण देखने के बावजूद भी कोई बोलने की हिम्मत नहीं करता क्योंकि उन्हें मंदिर से निकाला जा सकता है।

यह पूरा मामला थाईलैंड (Thailand) के लिए एक चेतावनी की तरह है। बौद्ध धर्म, जो यहां की संस्कृति और सामाजिक जीवन की रीढ़ है, जो की लगातार विवादों और घोटालों से घिरता जा रहा है।

थाई बौद्ध धर्म के लिए चेतावनी की घंटी

यह पूरा मामला थाईलैंड (Thailand) के लिए एक चेतावनी की तरह है। बौद्ध धर्म, जो यहां की संस्कृति और सामाजिक जीवन की रीढ़ है, जो की लगातार विवादों और घोटालों से घिरता जा रहा है। जनता का भरोसा बनाए रखने के लिए न सिर्फ़ सख़्त क़ानून और पारदर्शिता की ज़रूरत है बल्कि संघ और भिक्षुओं (Monk) में अपनी भावनाओं को नियंत्रित करने की क्षमता भी बेहद ज़रूरी है। अगर समय रहते इसमें सुधार लाने के लिए कोई कदम नहीं उठाया गया, तो यह संस्था, जो लाखों लोगों की आस्था का आधार है, अपनी पवित्रता और निष्ठा खो सकती है।

यह ब्लैकमेलिंग (Blackmailing) वाला कांड सिर्फ़ थाईलैंड की धार्मिक संस्था की साख पर चोट नहीं है, बल्कि आम लोगों की आस्था पर भी चोट है। अब सवाल यह है कि क्या बौद्ध संघ और सरकार मिलकर जनता का भरोसा वापस ला पाएंगे ? [Rh/PS]

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