ग़ज़ा (Gaza) और इसराइल (Israel) के बीच जारी जंग अब और भी खतरनाक मोड़ पर पहुँच गई है। संयुक्त राष्ट्र और अंतरराष्ट्रीय संगठनों ने ग़ज़ा में अकाल (Famine) की स्थिति की पुष्टि की है। इसी बीच इसराइल के रक्षा मंत्री इसराइल कात्ज़ ने धमकी दी है कि अगर हमास (Hamas) ने हथियार नहीं डाले और बंधकों को नहीं छोड़ा, तो ग़ज़ा शहर को पूरी तरह “तबाह” कर दिया जाएगा।
इसराइल की नई योजना
इसराइल की कैबिनेट ने हाल ही में ग़ज़ा (Gaza) शहर में व्यापक सैन्य कार्रवाई की योजना को मंज़ूरी दी है। यह फैसला ऐसे समय में आया है जब इसराइल पर मानवीय संकट बढ़ाने के आरोप लग रहे हैं और दुनिया भर से आलोचना हो रही है। सोमवार को क़तर और मिस्र के मध्यस्थों ने युद्धविराम का प्रस्ताव रखा था। इसमें कहा गया था कि अगर 60 दिनों के युद्धविराम पर सहमति हो, तो हमास अपने पास बचे बंधकों में से आधों को छोड़ देगा। हमास ने इस पर हामी भर दी, लेकिन इसराइल के प्रधानमंत्री नेतन्याहू ने इसे ठुकरा दिया। उनका कहना था कि इसराइल केवल ऐसी बातचीत करेगा जिसमें सभी बंधकों की रिहाई और ग़ज़ा में युद्ध का इसराइल के मुताबिक अंत शामिल हो।
पिछले दिनों प्रधानमंत्री नेतन्याहू ने ग़ज़ा डिविज़न मुख्यालय का दौरा किया। यहाँ उन्होंने कहा कि उन्होंने “सभी बंधकों की रिहाई” के लिए बातचीत शुरू करने का आदेश दिया है। साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि अब समय आ गया है कि ग़ज़ा शहर पर इसराइल का नियंत्रण हो और हमास का सफाया किया जाए।
यानी, इसराइल के लिए दो बातें एक साथ जुड़ी हुई हैं - हमास का पूरी तरह अंत करना। और सभी बंधकों को छुड़ाना।
रक्षा मंत्री इसराइल (Israel) कात्ज़ ने प्रधानमंत्री की बात को और आगे बढ़ाया। उन्होंने सोशल मीडिया पर लिखा की “जल्द ही हमास (Hamas) के हत्यारों और ग़ज़ा (Gaza) में बलात्कारियों के लिए नर्क के दरवाज़े खुलेंगे। जब तक वह युद्ध खत्म करने, सभी बंधकों को छोड़ने और हथियार डालने की शर्तें नहीं मानते, हम ग़ज़ा शहर को तबाह कर देंगे।” उन्होंने साफ कहा कि अगर हमास झुका नहीं, तो ग़ज़ा शहर का हाल भी रफ़ाह और बेत हनून जैसा होगा। ये दोनों शहर पहले ही इसराइल की बमबारी में मलबे में बदल चुके हैं।
क्यों बार-बार दी जाती है “ग़ज़ा को तबाह करने” की धमकी ?
यह सवाल सबसे अहम है। आखिर इसराइली मंत्री बार-बार ग़ज़ा शहर को मिटाने की धमकी क्यों देते हैं ? इसके पीछे कई कारण हैं जैसे -
हमास की राजधानी: ग़ज़ा शहर को हमास का सबसे बड़ा गढ़ माना जाता है। यहाँ से उसकी राजनीतिक और सैन्य गतिविधियाँ चलती हैं। इसलिए इस शहर को खत्म करना हमास को खत्म करने जैसा समझा जाता है।
मानसिक दबाव: बार-बार ग़ज़ा को तबाह करने की धमकी देकर इसराइल हमास और उसके समर्थकों पर मानसिक दबाव बनाना चाहता है। यह एक तरह की मनोवैज्ञानिक जंग है।
अंतरराष्ट्रीय संकेत: इस तरह के बयान दुनिया को यह संदेश देने के लिए भी होते हैं कि इसराइल पीछे हटने वाला नहीं है और वह हर हाल में अपनी सुरक्षा सुनिश्चित करेगा।
आंतरिक राजनीति: इसराइल (Israel) में नेतन्याहू और उनकी सरकार पर लगातार दबाव है। नागरिकों का कहना है कि बंधक जल्दी से जल्दी छुड़ाए जाएं। ऐसे में सख्त बयानों से सरकार अपने लोगों को यह दिखाना चाहती है कि वह “कमज़ोर” नहीं पड़ रही।
इसराइली सेना की तैयारी
इसराइल की डिफ़ेंस फ़ोर्सेस (IDF) ने कहा है कि ग़ज़ा शहर पर हमला करने से पहले करीब 10 लाख लोगों को शहर से बाहर निकाला जाएगा। इसके लिए अंतरराष्ट्रीय संगठनों और स्वास्थ्य अधिकारियों को तैयारी करने के लिए कहा गया है। लेकिन ग़ज़ा का स्वास्थ्य मंत्रालय इस योजना को खारिज करता है। मंत्रालय का कहना है कि ग़ज़ा की जो बची-खुची स्वास्थ्य व्यवस्था है, यह कदम उसे भी पूरी तरह तबाह कर देगा।
इसी बीच संयुक्त राष्ट्र समर्थित संस्था IPC (Integrated Food Security Phase Classification) ने रिपोर्ट जारी की है। इसमें कहा गया है कि ग़ज़ा शहर और उसके आसपास अब अकाल (Famine) की स्थिति है। रिपोर्ट के मुताबिक, ग़ज़ा में 5 लाख से ज्यादा लोग भुखमरी और मौत जैसी भयावह परिस्थितियों का सामना कर रहे हैं। अगस्त से सितंबर के बीच यह संकट और फैलेगा और देर-बलाह व ख़ान यूनिस जैसे इलाकों तक पहुँच जाएगा। जून 2026 तक ग़ज़ा में 1.32 लाख से ज्यादा बच्चों की जान भुखमरी से खतरे में पड़ सकती है। संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंटोनियो गुटेरेस ने कहा की “अकाल कोई रहस्य नहीं है, यह मानव-निर्मित त्रासदी है और मानवता की नाकामी का सबूत है।”
इसराइल ने IPC की रिपोर्ट को झूठा बताया है। उसका कहना है कि हमास (Hamas) जानबूझकर राहत सामग्री का रास्ता रोकता है ताकि दुनिया के सामने इसराइल को दोषी ठहराया जा सके। लेकिन संयुक्त राष्ट्र का कहना है कि इसराइल ने योजनाबद्ध तरीके से ग़ज़ा तक पहुँचने वाली मदद पर पाबंदियाँ लगाई हैं। मानवीय संगठनों का दावा है कि खाना और दवाइयाँ कुछ ही सौ मीटर दूर थीं, लेकिन ग़ज़ा के लोग उन तक पहुँच नहीं पाए।
सात अक्तूबर 2023 को हमास ने इसराइल (Israel) पर हमला किया था, जिसमें 1200 इसराइली मारे गए और 251 लोग बंधक बना लिए गए। इसके जवाब में इसराइल ने ग़ज़ा में भीषण हमला शुरू किया। ग़ज़ा (Gaza) के स्वास्थ्य मंत्रालय के अनुसार अब तक 62,192 लोगों की मौत हो चुकी है। इनमें बड़ी संख्या महिलाएँ और बच्चे हैं। यह मौतें सिर्फ बमबारी से ही नहीं हुई है, बल्कि भुखमरी और कुपोषण से भी 271 लोगों की जान गई है, जिनमें 112 बच्चे शामिल हैं।
निष्कर्ष
ग़ज़ा (Gaza) में इस समय दोहरी मार है, पहले तो इसराइल का लगातार सैन्य हमला। दूसरा अकाल और भुखमरी (Famine) की भयावह स्थिति।
इसराइल (Israel) का कहना है कि जब तक हमास पूरी तरह खत्म नहीं होता और सभी बंधक रिहा नहीं होता, तब तक उसका अभियान रुकेगा नहीं। यही कारण है कि उसके मंत्री बार-बार ग़ज़ा शहर को मिटाने की धमकी देते हैं। लेकिन सवाल यह है कि इसका खामियाज़ा कौन भुगत रहा है ? इसका जवाब तो साफ है - ग़ज़ा के आम लोग, जो न तो हमास का हिस्सा हैं और न ही इसराइल के दुश्मन, लेकिन जंग और भूख दोनों की मार झेल रहे हैं। संयुक्त राष्ट्र और मानवीय संगठन चेतावनी दे रहे हैं कि अगर तुरंत कदम नहीं उठाए गए तो आने वाले महीनों में ग़ज़ा में भुखमरी (Famine) से होने वाली मौतें जो की सहन नहीं किया जा सकता है, वहां तक पहुँच जाएंगी। ग़ज़ा की त्रासदी अब सिर्फ एक युद्ध की कहानी नहीं रही, बल्कि यह मानवता की सबसे बड़ी परीक्षा बन गई है। [Rh/PS]