पाकिस्तान की राजधानी इस्लामाबाद में अल्पसंख्यक हिन्दू समुदाय के लिए मंदिर बनाने को लेकर छिड़े विवाद और कट्टरपंथी मुसलमानों और मौलानाओं की धमकियों से एक बार फिर इमरान खान सरकार की असलियत खुलकर सामने आ गई है। अब ये साफ़ हो गया है कि इमरान खान चाह भी लें तो कट्टरपंथियों के सामने उनकी एक नहीं चलती। इमरान सरकार ने पाकिस्तान की राजधानी इस्लामाबाद में कृष्ण मंदिर बनाने की मंजूरी दी थी जिसके लिए 10 करोड़ रुपए का बजट भी आवंटित किया गया था। हालांकि कट्टरपंथियों की धमकी के बाद सरकार अब पीछे हट गई है।
भूमि का जो हिस्सा, सदियों से भारत का अभिन्न और गौरवशाली अंग था, उसे 1947 में भारत विभाजन के समय धर्म के आधार पर बांट दिया गया था। जो हिस्सा अलग हुआ, उसका नाम हुआ पाकिस्तान , किंतु धर्म को आधार बनाकर अलग हुए इस देश में अन्य धर्मों के लोग और उनके पूजा-उपासना स्थलों के साथ जो क्रूरता बरती गई, उसका इतिहास गवाह है। पाकिस्तान बनने के बाद वहां सरकार के समर्थन से मंदिरों, गुरुद्वारों को धीरे धीरे दुकान, दफ्तर, सरकारी स्कूल, कसाईबाड़ों, होटलों, आदि में बदल दिया गया । इस बात का जिक्र बँटवारे के समय पाकिस्तान गए और बाद में वहां से भागकर फिर भारत आए मुस्लिम लीग के नेता जोगेंद्रनाथ मंडल ने अपने एक पत्र में किया था।
विभाजन के समय जोगेंद्रनाथ मंडल, मुस्लिम लीग के नेता के तौर पर पाकिस्तान जा बसे थे। वहां वे पाकिस्तान के प्रथम कानून मंत्री बने। किंतु कुछ ही वर्षों में, मुस्लिमों द्वारा हिंदुओं के साथ किए जाने वाले दुर्व्यवहार व धार्मिक हिंसा से परेशान हो कर वे वापस भारत लौट आए थे।
पाकिस्तान के मानवाधिकारों के संसदीय सचिव, लाल चंद्र माल्ही ने इस मंदिर की आधारशिला रखी थी। इस दौरान लोगों को संबोधित करते हुए माल्ही ने कहा था कि वर्ष 1947 से पहले इस्लामाबाद और उससे सटे इलाकों में कई हिंदू मंदिर हुआ करते थे। इसमें सैदपुर गांव और रावल झील के पास स्थित मंदिर शामिल हैं। हालांकि अब लोग यहां पूजा-पाठ नहीं करते हैं।
शिव मंदिर (पीओके) :- वैसे तो पाक अधिकृत कश्मीर में बहुत से मंदिरों का अस्तित्व अब नहीं रहा, ठीक उसी प्रकार यह शिव मंदिर भी अब खंडहर हो चुका है। भारत-पाक बंटवारे के कुछ सालों तक यह मंदिर अच्छी अवस्था में था, लेकिन पाक अधिकृत कश्मीर में आतंकियों के बढ़ते प्रभाव के कारण मंदिर में श्रद्धालुओं का आवागमन कम हो गया और अब यह मंदिर वीरान पड़ा है।
शारदा देवी मंदिर, (पीओके):- यह मंदिर भारत-पाकिस्तान की नियंत्रण रेखा पर पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर में है। यह मंदिर भी अब लगभग खंडहर में तब्दील हो चुका है। माना जाता है कि भगवान शंकर यहां से यात्रा करते हुए निकले थे। 1948 के बाद से इस मंदिर की बमुश्किल ही कभी मरम्मत हुई। इस मंदिर की महत्ता सोमनाथ के शिवा लिंगम मंदिर जितनी है। 19वीं सदी में महाराजा गुलाब सिंह ने इसकी आखिरी बार मरम्मत कराई थी और तब से ये इसी हाल में है।
पाकिस्तान, अल्पसंख्यकों के लिए नरक बन चुका है और यहां अल्पसंख्यक हिन्दू महिलाओं का अपहरण कर उनका धर्मांतरण किया जाना आम बात हो गई है।