बिहार: प्रसिद्ध सूर्य मंदिर के भिखारियों के लिए मनरेगा बना बरदान

औरंगाबाद (Aurangabad) जिले के देव स्थित प्रसिद्ध सूर्य मंदिर| (Wikimedia Commons)
औरंगाबाद (Aurangabad) जिले के देव स्थित प्रसिद्ध सूर्य मंदिर| (Wikimedia Commons)

कोरोना काल में जब लॉकडाउन के बाद आमजनों के लिए धार्मिक स्थल बंद कर दिए गए थे, तब औरंगाबाद (Aurangabad) जिले के देव स्थित प्रसिद्ध सूर्य मंदिर के भिखारियों के समक्ष दो जून की रोटी जुटाने की समस्या खड़ी हो गई थी। ऐसे में मनरेगा (MNREGA) योजना इनके लिए वरदान बना। इन लोगों को न केवल कोरोना काल में रोजगार मिला बल्कि उनके लिए यह कोरोना वरदान साबित हुआ।

देव स्थित प्रसिद्ध सूर्य मंदिर (Sun Temple) के पास आम दिनों में भिखारियों की अच्छी संख्या रहती है, जिनका जीवन यापन आने वाले श्रद्धालुओं के दिए गए दान से चलता है। कोरोना काल के दौरान जब धार्मिकस्थल आम लोगों के लिए बंद हो गए तब मंदिर में श्रद्धालुओं की संख्या भी कम हो गई। ऐसे में यहां के भिखारियों के समक्ष दो समय के भोजन के भी लाले पड़ गए।

यहां के कुछ भिखारियों ने बेढ़नी पंचायत के मुखिया योगेंद्र यादव से मदद मांगी। मुखिया ने इन्हें मनरेगा के तहत काम देने का वादा करते हुए प्रखंड के अधिकारियों से इस संबंध में बात की और जॉब कॉर्ड बनाने का निर्णय लिया।

बेढ़नी पंचायत के कई लोग देव मंदिर के समीप झोपड़ी में रहकर भीख मांगकर गुजारा करते हैं। (Pixabay)

देव प्रखंड के अभियंता नित्यानंद ने बताया कि ऐसे 24 से 25 परिवारों को मनरेगा के तहत बन रहे तालाब के मेढ़ (पिंड) बनाने के काम में लगाया गया। उन्होंने कहा कि ऐसे कई लोगों की पहचान कर उन्हें मनरेगा योजना से जोड़ा जा रहा है।

इधर, औरंगाबाद के उपविकास आयुक्त अंशुल कुमार बताते हैं कि देव के अधिकारियों ने बताया कि बेढ़नी पंचायत के कई लोग देव मंदिर के समीप झोपड़ी में रहकर भीख मांगकर गुजारा करते हैं। मंदिर के बंद होने के कारण उनके समक्ष भोजन तक की दिक्कत हो गई है। ऐसी स्थिति में उन्हें मनरेगा से जोड़ा गया और उन्हें रोजगार उपलब्ध कराया गया।

उन्होंने कहा कि आज ऐसे लोगों को भीख मांगने के अभिशाप से भी मुक्ति मिल गई है और लोग मेहनत कर अपना जीवन बसर भी कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि सभी प्रखंड के अधिकारियों को कोरोना काल के दौरान बाहर से आए प्रवासी मजदूरों, खानाबदोश या भिक्षाटन कर रहे परिवारों की पहचान कर उन्हें मनरेगा से जोड़ने के निर्देश दिए गए हैं।

देव के कनीय अभियंता बताते हैं कि कई ऐसे खानाबदोशों की भी पहचान हुई है जिनके पास आधार कॉर्ड नहीं है। ऐसे में उनके आधार कॉर्ड बनवाने को कहा गया, जिससे उनका भी जॉबकॉर्ड बन सके और उन्हें भी मनरेगा से जोड़कर काम मिल सके। (आईएएनएस-SM)

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