भाजपा ने शुरू की मिशन 2022 की तैयारियां

भाजपा का मेन एजेंडा तीन अंतर सम्बंधित बिंदुओं पर केंद्रित है- सन्देश, संगठन और नेतृत्व (Wikimedia Commons)
भाजपा का मेन एजेंडा तीन अंतर सम्बंधित बिंदुओं पर केंद्रित है- सन्देश, संगठन और नेतृत्व (Wikimedia Commons)

भारतीय जनता पार्टी की हाल ही में दिल्ली में हुई राष्ट्रिय कार्यकारिणी की बैठक का प्रमुख एजेंडा तीन अंतर समन्धित बिंदुओं पर केंद्रित था- सन्देश, संगठन और नेतृत्व। जैसा की हम सब जानते हैं की इस साल उत्तर प्रदेश और गुजरात जैसे प्रमुख राज्यों में चुनाव है ऐसे में इन चुनावो में भाजपा की साख दांव पर लगी है और भाजपा इन्हे किसी भी हाल में जीतना चाहेगी।

इस वर्ष कोरोना की दूसरी लहर में कथित कुप्रबंधन के कारण मोदी सरकार की बहुत आलोचना हुई। अब जैसे की चुनाव नज़दीक हैं तो भाजपा अब इस आलोचना को दूर करने के तरीके की खोज में जुट गई है। भाजपा उच्च टीकाकरण, कोरोना काल के दौरान गरीबों को मुफ्त अनाज और वैक्सीन के ऊपर विपक्ष द्वारा फैलाई गई अफवाओं को आलोचना दूर करने के तरीके के तौर पर इस्तेमाल कर सकता है।

हमने अक्सर देखा है की भाजपा अपने चुनावी कैंपेन में राज्य के मुद्दों से ज़्यादा राष्ट्रीय मुद्दों को तरजीह देती है ऐसे जम्मू कश्मीर से अनुच्छेद 370 का हटना एक दफा फिर भाजपा का एक प्रमुख मुद्दा हो सकता है। हमने यह भी देखा की भाजपा राष्ट्रीय सुरक्षा के मुद्दे को भी अत्यधिक तरजीह देती है ऐसे में अगर प्रधानमंत्री मोदी चुनावी मंच से पाकिस्तान को चेतावनी दे दें तो इसपर हमें आश्चर्य नहीं करना चाहिए।

हमने पिछले दिनों तमाम अफवाहें सुनी की पार्टी के कई नेता उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के साथ सहज महसूस नहीं करते लेकिन बैठक में पार्टी ने यह सन्देश दे दिया की आगामी आने वाले पांच राज्यों के चुनाव में पार्टी ने अपना भार योगी आदित्यनाथ पर दाल दिया है और खासकर उत्तर प्रदेश का नेतृत्व योगी आदित्यनाथ ही करने वाले हैं। यह सन्देश जितना पार्टी के बहार वालों के लिए ज़रूरी है उतना ही पार्टी के अंदर वालों के लिए भी।

बीते कई वर्षों से नरेंद्र मोदी देश के सबसे लोकप्रिय नेता हैं (Wikimedia Commons)

हमने अक्सर देखा है की भाजपा जब भी अपना चुनावी घोषणा पत्र या संकल्प पत्र जारी करती है तो उसमे भाजपा के मुख्यमंत्रियों से ज़्यादा प्रधानमंत्री मोदी की प्रशंसा होती है। यह किसी से नहीं छुपा है की प्रधानमंत्री मोदी देश के सबसे लोकप्रिय नेता हैं जोकि भाजपा की सबसे बड़ी ताकत है लेकिन हर बार सिर्फ एक व्यक्ति-विशेष पर निर्भर रहना यह ना तो भाजपा के लिए ना ही भारतीय राजनीति के लिए अच्छा है। यह एक ऐसी गलती यही जोकि पूर्व में कई राजनितिक दलों ने की है।

संगठनात्मक मोर्चे पर, पार्टी अध्यक्ष जेपी नड्डा अपने पूर्ववर्ती अमित शाह के बूथ समितियों के स्तर पर पार्टी की ताकत बनाने पर ध्यान केंद्रित करने की उम्मीद कर रहे हैं। यह संगठनात्मक ताकत कुछ हद तक लोकप्रिय असंतोष को बेअसर करने में एक भूमिका निभाती है, और यही कारण है कि पीएम मोदी ने पार्टी कार्यकर्ता पर नागरिकों के लिए सेतु के रूप में ध्यान केंद्रित किया।

पार्टी ने भाजपा के हालिया राजनीतिक झटके (विशेष रूप से पश्चिम बंगाल) को कम करके अपने कार्यकर्ताओं के मनोबल को बढ़ाने की उम्मीद की, और इसके निरंतर विस्तार की ओर इशारा किया, भले ही कांग्रेस का समर्थन खोना जारी है। लेकिन, मूल रूप से, राष्ट्रीय कार्यकारिणी ने दिखाया कि भाजपा अपनी शक्ति का विस्तार करने के लिए राजनीतिक रूप से प्रतिबद्ध है – एक ऐसा गुण जिसे विपक्ष अच्छी तरह से आत्मसात करना चाहेगा।

Input- Various Source Edited By- Saksham Nagar

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