उत्तर पूर्व के स्वतंत्रता सेनानियों को नही मिली उनके हक की पहचान: शिक्षा मंत्री

शिक्षा राज्यमंत्री डॉ राजकुमार रंजन सिंह। ( wikimedia Commons )
शिक्षा राज्यमंत्री डॉ राजकुमार रंजन सिंह। ( wikimedia Commons )
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स्वतंत्रता सेनानियों को याद करते हुए जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय में तृतीय गवर्नर आचार्य पुरुस्कार कार्यक्रम का आयोजन किया गया। जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय में हुए इस कार्यक्रम में शिक्षा राज्यमंत्री डॉ.राजकुमार रंजन सिंह, नागालैंड के पूर्व राज्यपाल पद्मनाभ आचार्य, जवाहरलाल नेहरु विश्विद्यालय के कुलपति प्रो. एम.जगदेश कुमार और जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय में उत्तर पूर्व भारत अध्ययन केंद्र के अध्यक्ष प्रोफ़ेसर विनय कुमार राव भी शामिल हुए।

डॉ. राजकुमार रंजन सिंह ने कार्यक्रम में स्वतंत्रता सेनानियों को याद करते हुए कहा कि भारत के स्वतंत्रता संग्राम में देश के विभिन्न स्थानों से स्वतंत्रता सेनानियों ने देश में आजादी की अलख जगाई। लेकिन स्वतंत्रता संग्राम में शामिल उत्तर पूर्व भारत के स्वतंत्रता सेनानियों को इतिहास के पन्नों में उनके हक की पहचान नही मिली लेकिन अब उत्तर पूर्व के स्वावतंत्र सेनानियों के बारे में जानकारी देने का प्रयास किया जा रहा है और इसमें शिक्षा जगत का योगदान अत्यंत महत्वपूर्ण है।

जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय में आयोजित हुए तृतीय गवर्नर आचार्य पुरस्कार का प्रारंभ नागालैंड के पूर्व राज्यपाल पद्मनाभ आचार्य के प्रयासों से हुआ। भारत के उत्तर पूर्व भाग से समबद्ध विषय पर शोध कर रहे 5 विद्यार्थियों को गवर्नर आचार्य पुरस्कार से पुरस्कृत किया जाता है। कार्यक्रम में उत्तर पूर्व के स्वतंत्रता सेनानियों और विशिष्ट व्यक्तियों की याद में हर वर्ष दिए जाने वाले वर्ष 2020 के लिए तेजस्विता दुआराह को शम्भुधन फोंग्लो, कृष्णा हज़ारिका को बाबू जगजीवन रॉय, राजेन्द्र कुमार जोशी को जननेता हिजाम इराबोत, अजंता दास को देयिंग र्एींग एवं देवप्रिया सरकार को पद्मसंभव पुरस्कार से पुरस्कृत किया गया।

पद्मनाभ आचार्य ने कार्यक्रम में दुख जताते हुए कहा कि स्वतंत्रता संग्राम में स्वतंत्रता सेनानियों के महत्वपूर्ण योगदान एवं घटनाक्रमों को षणयंत्र स्वरूप पाठ्यक्रमों में स्थान नही दिया गया। शिक्षा मंत्री डॉ. राजकुमार रंजन सिंह ने इस अवसर पर नए शिक्षा नीति के प्रभारी के रूप में भारत के गौरव और स्वतंत्रता आन्दोलन में समग्र रूप से हर क्षेत्र और वर्ग की भूमिका को चिन्हित किये जाने के लिए, शिक्षा जगत का विशेष रूप से आह्ववान किया। उन्होंने कहा की जवाहरलाल नेहरू जैसे विश्विद्यालय द्वारा भारत के उत्तर पूर्व के स्वतंत्रता सेनानियों पर अध्ययन और शोध करने पर भारत के उत्तर पूर्व के स्वतंत्रता सेनानियों को राष्ट्रीय स्तर पर पहचान मिलेगी।

कार्यक्रम में शामिल जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर जगदेश कुमार ने कहा कि विश्विद्यालय परिसर के एक मुख्य मार्ग का नाम मणिपुर और नागालैंड की प्रसिद्ध स्वतंत्रता सेनानी रानी गाइदिन्ल्यू के नाम पर किया गया। उन्होंने कहा कि आने वाले सत्र से नए बराक छात्रावास की शुरुआत हो जायेगी जिससे छात्रों को आबंटन सुलभ होगा।

Various source; Edited by Abhay Sharma

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