हरियाणा का मेवात बना ‘मिनी पाकिस्तान’? मुसलमानों ने हिंदुओं का जीना कर दिया है बेहाल

लाल रंग से चिन्नहित भाग हरियाणा का मेवात ज़िला है। मुस्लिम समुदाय द्वारा हिन्दू दलितों को प्रताड़ित किए जाने को लेकर मेवात ज़िला,चर्चा का विषय बना हुआ है।(Image Source: Wikimedia Commons)
लाल रंग से चिन्नहित भाग हरियाणा का मेवात ज़िला है। मुस्लिम समुदाय द्वारा हिन्दू दलितों को प्रताड़ित किए जाने को लेकर मेवात ज़िला,चर्चा का विषय बना हुआ है।(Image Source: Wikimedia Commons)
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केंद्र में भाजपा की सरकार है, हरियाणा में भाजपा की सरकार है लेकिन फिर भी हरियाणा के मेवात ज़िले पर ना सरकार का शासन है ना हिंदुओं की रक्षा का कोई प्रबंध। मेवात के लोगों की माने तो वहाँ सरकारी नहीं बल्कि इस्लामिक शासन चलता है। कई मेवात के मूल हिन्दू निवासी उसे 'मिनी पाकिस्तान' बताते हैं।

एक दौर था जब मेवात में हिन्दू और मुस्लिमों की संख्या लगभग एक समान थी, लेकिन 2011 की जनगणना के मुताबिक वहाँ लगभग 20% ही हिन्दू बाकी रह गए हैं। ये आंकड़े भी 9 साल पहले के हैं। स्थानीय लोगों के मानें तो आज के समय में ये संख्या 15% से ज़्यादा नहीं रह गयी है। हिन्दू परिवार या तो पलायन कर चुका है, या उनका धर्म परिवर्तन करा दिया गया है। मेवात में दलित हिंदुओं के हत्या की भी कई घटना सामने आई है।

अभी हाल ही में हरियाणा के पूर्व न्यायाधीश पवन कुमार ने मेवात की जमीनी हकीकत का पता लगाने के लिए एक जांच की है जिसकी रिपोर्ट उन्होने मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर को सौंप दी है। उनके रिपोर्ट से जो जानकारी निकल कर सामने आई है, उसके मुताबिक मुस्लिम बहुसंख्यक मेवात में दलित हिंदुओं के साथ जिस प्रकार की बर्बरता हो रही है उसको बयां का पाना भी मुश्किल है।

स्वराज्य में छपी एक रिपोर्ट के अनुसार जस्टिस पवन कुमार ने बताया की उन्होंने मेवात से जुड़े मामलों की जांच के लिए 4 सदस्य वाली एक टीम गठित की थी, जिसमे 2 एससी, और 2 सामान्य जाती के लोग शामिल थे। जस्टिस पवन कुमार बताते हैं कि ऐसा इसीलिए किया गया ताकि जांच निष्पक्षता के साथ हो सके।

रिपोर्ट के मुताबिक मेवात में हिंदुओं की हत्या, महिलाओं का इस्लाम में जबरन धर्म परिवर्तन, उनका अपहरण, बलात्कार जैसी घटनाएँ आम हो गयी है। बात सिर्फ यहीं खत्म नहीं होती है, मेवात के मुस्लिम समुदाय द्वारा हिंदुओं के मंदिर और शमसान घाटों पर भी कब्जा कर दुकानों और होटलों का निर्माण कर दिया गया है। कई रिपोर्ट के अनुसार इन सभी कृत्यों के पीछे इस्लामिक संगठन तबलिगी जमात का बड़ा हाथ है।

मेवात जिले में करीब 500 गाँव हैं जिनमें से 103 गाँव में अब हिंदुओं का नामों निशान तक नहीं रह गया है।

आप 1990 में कश्मीर से हुए कश्मीरी पंडितों के पलायन को याद करिए, आप पाकिस्तान के सिंध में हिन्दू अल्पसंख्यकों पर होने वाली बर्बरता पर गौर करिए। पहले हिंदुओं को मार कर डराना, फिर उनकी महिलाओं का बलात्कार कर उनके हिम्मत को तोड़ देना, उसके बाद मंदिरों और शमसान घाटों पर कब्जा कर उनकी आस्था पर चोट करना। इन सब घटनाओं से टूट कर जब एक हिन्दू व्यक्ति अहसहाय महसूस करने लगे तो उसका जबरन धर्म परिवर्तन करने की कोशिश करना। ना मानने पर उसकी या तो हत्या कर देना या उसे अपना घर और गाँव छोड़ कर दूर चले जाने की हिदायत देना। या कट्टर इस्लामिक ताकतों का हिंदुओं पर आज़माया हुआ पुराना फॉर्मूला है। ये पहले कश्मीर में हुआ, पाकिस्तान में हिन्दू अल्पसंख्यकों के साथ होता रहा, अब हरियाणा के मेवात में हो रहा है।

स्वराज्य मैगजीन की पत्रकार स्वाति गोयल शर्मा ने अपने ट्वीटर हैंडल से जानकारी साझा कर बताया की जस्टिस पवन कुमार ने उनसे हुई बात चीत में बताया की, मेवात में जिस प्रकार की बर्बरता दलितों के साथ हो रही है, वो मुग़ल आक्रमांकारी औरंगज़ेब के शासन के जैसा ही है।

आपको बता दें की मुग़ल शासक औरंगज़ेब के शासन में हिंदुओं का भारी मात्रा में नरसंहार और धर्म परिवर्तन किया गया था। उसके शासन में हिंदुओं के सैकड़ों मंदिर भी तोड़े गए थे।

मेवात में हिन्दू दलित के प्रताड़णा से जुड़ी कई घटनाएँ-

  • एक खबर के अनुसार, मेवात में मुस्लिमो द्वारा हिन्दू दलितों के जबरन धर्म परिवर्तन को लेकर ज़बरदस्ती की गयी थी, मना करने पर उन पर जानलेवा हमला भी किया गया था।
  • 2018 में ही एक और मामला सामने आया था जब दलित लड़की को अगवा कर उसे जबरन बीफ(गाय का मांस) खिलाया गया। इसके अलावा लड़की का बलात्कार कर धर्म परिवर्तन कराने की भी कोशिश की गयी थी।
  • एक और मामला मेवात मॉडल स्कूल का है जहां पर हिन्दू छात्रों पर जबरन नमाज़ पढ़ने और धर्म परिवर्तन का दबाव बनाया गया था।
  • मेवात का एक विडियो भी वायरल हुआ था जिसमे हिन्दू महिलाओं की दूर्दशा साफ देखी जा सकती है।

ऊपर लिखी गयी बातें, हवा हवाई नहीं है। इनके पीछे साक्ष्य मौजूद हैं, थानों में केस दर्ज है, कोर्ट में लड़ाई लड़ी जा रही है, लेकिन इंसाफ नहीं है।

ऐसा नहीं है की ये घटनाएँ अभी हाल ही में शुरू हुए हैं, ये सालों से होता आया है, लेकिन जस्टिस पवन कुमार के रिपोर्ट के बाद अब इस मुद्दे को राष्ट्रिय स्तर पर बल मिल गया है।

सालों से कई मीडिया चैनलों ने इस पर छोटी मोटी कवरेज तो की है, लेकिन बाकी कई चर्चाओं के बीच मेवात के इन पीड़ितों कि आवाज़ शायद कहीं दब कर रह गयी होगी। उनकी चीखें हम तक पहुँच नहीं पाई होगी।

शायद प्रताड़ित करने वाला व्यक्ति एक मुस्लिम है और प्रताड़णा सहने वाला एक दलित हिन्दू, तो ज़ाहिर है की कुछ तथाकथित न्यूट्रल मीडिया चैनलों को इस मुद्दे पर बहस करना रीस्की लगा होगा। आम तौर पर कोई भी खबर बड़ी तभी होती है जब, प्रताड़ित व्यक्ति 'मुसलमान' होता है। अफसोस।

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