लोक आस्था और भगवान भास्कर की अराधना वाला महापर्व छठ शनिवार की सुबह उदीयमान सूर्य को अघ्र्य देने के साथ ही संपन्न हो गया। इस दौरान आपसी सौहार्द की मिसाल भी देखने को मिली। बिहार के भागलपुर में एक मुस्लिम परिवार ने अपने घर के आंगन में छठव्रतियों के लिए छोटा सा जलकुंड का निर्माण कराया, जहां 50 से अधिक व्रतियों ने भगवान भास्कर को अघ्र्य अर्पित किया।
कोरोना के दौर में इस पर्व में व्रतियों को कई परेशानियों का सामाना करना पड़ा। कोरोना को लेकर सरकार ने भी लोगों को छठ घाटों पर जाने के बजाय घर में ही छठ पर्व मनाए जाने की अपील की गई थी। इस अपील के बाद कई इलाकों में जलाशयों की कमी और जलकुंडों के अभाव के कारण कई व्रतियों को अघ्र्य देने में परेशानी का सामाना करना पड़ा।
कोरोनकाल में कई तरह के अड़चन के बाद भागलपुर के रामसर चैंक पर एक मुस्लिम युवक ने समाज के आग्रह पर अपने आंगन में ही छठव्रती के अघ्र्यदान के लिए छोटा तालाब (जलकुंड) खुदवा दिया।मुजफ्फर अहमद ने अपने मोहल्ले के छत व्रतियों के लिए अपने घर के घर के आंगन में जलकुंड का निर्माण करवाकर समाज में आपसी सौहार्द की एक मिसाल पेश की है।मुजफ्फर अहमद आईएएनएस को बताया, "छठ समाज का पर्व है और वे समाज से बाहर के नहीं हैं, इसलिए मैंने जलकुंड का निर्माण करवाया। मेरी सोच मात्र कोरोना काल में भी व्रतियों को किसी परेशानी नहीं होने से थी। मुझे खुशी है कि मेरी मेहनत व्रतियों के काम आई।"अहमद के घर छठव्रत करने पहुंची महिलाओं ने कहा कि कोविड के गाइडलाइन अनुसार इस बार घाटों पर भीड़ लगाने पर पाबंदी थी। ऐसे में मुस्लिम समाज के भाई ने मदद की।
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छठव्रती साधना देवी कहती हैं कि रामसर चैक मुहल्ला में जलकुंड नहीं है और घरों की संख्या अधिक है। अधिकांश घर ऐसे हैं, जहां छत नहीं है। हमलोगों के पास कोरोना काल के कारण गंगा घाट जाने में भी परेशानी थी। उन्होंने कहा कि समाज की परेशानियों को अहमद साहब ने जाना और इस समस्या का समाधान कर दिया।ऐसे भी छठ पर्व में जातिगत और धर्म की दूरियां मिटती दिखती हैं। किसी भी समाज, धर्म के लोगों का छठ पर्व के प्रति समान आस्था होती है। बिहार और झारखंड में कई मुस्लिम परिवार वर्षों से छठ पर्व कर रही है। यह सामाजिक सौहार्द और एकता का बड़ा संदेश देता है।
उल्लेखनीय है कि बुधवार को 'नहाय खाय'से प्रारंभ यह महापर्व शनिवार को उदीयमान सूर्य के अघ्र्य के साथ संपन्न हो गया। (आईएएनएस )