नंबी नारायण (Nambi Narayan) एक भारतीय वैज्ञानिक व एयरोस्पेस इंजीनियर हैं। नारायण भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन के भी रह चुके हैं। इसरो में काम करते हुए, नारायण पर भारतीय अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी से जुड़े महत्वपूर्ण रहस्यों को पाकिस्तान को बेचने का आरोप लगाया गया था। उनका मानना रहा है कि, 1994 में केरल पुलिस की साजिश के कारण उन्हें फंसाया गया था। जिस कारण झूठे आरोपों के चलते उन्हें गिरफ्तार किया गया था। जिस वजह से नारायण जी मानसिक क्रूरता का शिकार बन गए। उनका पूरा जीवन ही एक झूठे आरोप के चलते बर्बाद हो गया।
नारायण इसरो (ISRO) में एक क्रायोजेनिक्स विभाग के प्रभारी के रूप में कार्य करते थे। नारायण ने इसरो के अंतरिक्ष कार्यक्रमों के लिए तरल ईंधन वाले इंजनों की आवश्यकता को खोजा उसका अनुमान लगाया और 1970 के दशक में एक नई प्रौद्योगिकी की शुरुआत की थी।
1992 में इसरो ने क्रायोजेनिक आधारित ईंधन विकसित करने के लिए, प्रौद्योगिकी हस्तांतरण के लिए रूस के साथ एक समझौता किया था। जिसे बाद में अमेरिका और फ्रांस के दबाव के चलते रोक दिया गया था। लेकिन इसके बाद ही भारत (India) के इसरो ने रूस के साथ चार क्रायोजेनिक इंजन बनाने के लिए एक नए समझौते पर हस्ताक्षर किया था। जिस समय नारायण अपने जीवन में एक नई कहानी बुन रहे थे। नई उपलब्धियों को हासिल कर रहे थे। तभी उन्हें एक झूठे मामले में गिरफ्तार के लिए गया था। विदेशी ताकतों के लिए जासूसी करने के आरोप लगा, नारायण जी को देशद्रोही भी बता दिया गया था।
नारायण इसरो (ISRO) में एक क्रायोजेनिक्स विभाग के प्रभारी के रूप में कार्य करते थे। (Wikimedia Commons)
इतने वर्षों की लड़ाई के पश्चात एक बार फिर सुप्रीम कोर्ट ने 1994 में हुए इस मामले में CBI जांच के आदेश दिए हैं। नारायण जी ने 27 साल से केरल पुलिस अधिकारियों के अपनी लड़ाई लड़ रहे हैं। इससे पहले 2018 में सुप्रीम कोर्ट ने जासूसी कांड में अपराधी ठहराए गए वैज्ञानिक नारायण जी को बरी कर दिया था। एक पैनल की नियुक्ति कर, जिसमें न्यायमूर्ति ए.एम.खानविल्कर ने शीर्ष अदालत के पूर्व न्यायाधीश डी.के जैन की अध्यक्षता में एक समिति का गठन किया था और केरल राज्य को नारायण जी को 50 लाख रुपए मुआवजा देने को भी कहा था।
सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद नारायण ने कहा की "मैं खुश हूं।" CBI जांच का आदेश एक बड़ी सफलता है। लेकिन अभी मैं इस विषय पर ज्यादा कुछ नहीं कहना चाहता।
इसरो के पूर्व वैज्ञानिक नंबी नारायण के जीवन पर आधारित एक फिल्म भी बनी है "रॉकेट-द-नंबी-इफेक्ट।" इस फिल्म में उनका किरदार अभिनेता आर.माधवन निभा रहे हैं। उनका मानना है कि, महान वैज्ञानिक नंबी नारायण के बारे में नहीं जानना अपराध है।