By : मनोज पाठक
बिहार में कोरोना संक्रमण की रफ्तार कम होते ही राज्य की सियासत में बयानबाजी की गति तेज हो गई है। विपक्ष जहां राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) में लगी आग को हवा देने की कोशिश में जुटा है, वहीं राजग के अंदर हो रही बयानबाजी ने सियासत की गर्मी को और बढा दिया है। विपक्ष में सबसे बड़ी पार्टी राष्ट्रीय जनता दल (राजद) इस मौके को हाथ से नहीं जाना देने चाह रही है। यही कारण है कि वह भी "तख्तापलट" की रणनीति में जुटा नजर आ रहा है।
चारा घोटाले में लंबे समय तक जेल में रहने के बाद लालू प्रसाद जमानत मिलने के बाद जेल से बाहर आ गए है, ऐसे में राजद कार्यकतार्ओं का भी उत्साह भी चरम पर है। कहा जा रहा है कि कोरोना संक्रमण के कम होने तथा लॉकडाउन समाप्त होने के बाद लालू प्रसाद बिहार पहुंचेंगे, फिलहाल वे दिल्ली में हैें।
राजद के विधायक भाई वीरेंद्र दावा करते हुए कहते हैं, " पार्टी के अध्यक्ष लालू प्रसाद की बिहार वापसी के बाद राज्य की सियासत बदलेगी। उन्होंने कहा कि लॉकडाउन खत्म होने का इंतजार किया जा रहा है। राजद अध्यक्ष के आते ही राज्य में राजनीतिक गतिविधियां बढ़ेंगी और बहुत जल्द बिहार में महागठबंधन की सरकार भी बनेगी।"
इधर, नीति आयोग की रिपोर्ट में बिहार के फिसड्डी आने के बाद जदयू के नेताओं ने विशेष राज्य का दर्जा देने की मांग को फिर से उठाकर यह साफ संदेश दे दिया है कि इसके लिए केवल नीतीश कुमार पर ही ठीकरा फोड़ने नहीं दिया जाएगा। इधर, राजद ने इस मामले को लेकर भी हवा देने में जुटी है।
आरजेडी सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव एवं बिहार के मुख्यमंत्री नितीश कुमार।(Wikimedia Commons )
राजद इस मामले को लेकर नीतीश को साथ आने का न्योता तक दे दिया है। राजद के प्रवक्ता मृत्युंजय तिवारी ने कहा, " कुर्सी का मोह छोड़कर लालू प्रसाद और तेजस्वी यादव विशेष दर्जे की लड़ाई लड़ते रहे हैं। नीतीश कुमार को वाकई बिहार की चिंता है तो वे हमारी लड़ाई को मजबूत करें। "
उन्होंने कहा कि कि बिहार के लिए विषेष राज्य का दर्जा आवश्यक है।
इधर, सरकार में शामिल हिेंदुस्तानी अवाम मोर्चा के प्रमुख जीतन राम मांझी भी रह-रहकर अपनी सरकार को आंख दिखाने से नहीं चुक रहे हैं।
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उल्लेखनीय है कि पिछले साल हुए विधानसभा चुनाव में राजग में ष्षामिल बडे दलों भाजपा और जदयू के साथ हिेंदुस्तानी अवाम मोर्चा और विकासषील इंसान पार्टी साथ में चुनाव मैदान में उतरी थी। राजग को सरकार बनाने लायक संख्या बड़ी मुश्किल से मिली है। दो बड़े घटक दलों को सरकार चलाने के लिए छोटे दलों की आवश्यकता है।
इधर, जदयू के निखिल मंडल कहते हैं, " विपक्ष ख्याली पुलाव पका रही है, तो इस पर कुछ कहा नहीं जा सकता है। राजग एकजुट है और नीतीश कुमार बिहार में नेता हैं। विपक्षी दलों का बिहार में यह सपना पूरा नहीं होने वाला है, लेकिन सपने देखने से किसी को रोका भी नहीं जा सकता है। "
बहरहाल, मौसम की गर्मी के साथ ही राज्य की सियासत गर्म है । लालू प्रसाद की बिहार वापसी के बाद तय है कि यह सियासत और गर्म होगी।(आईएएनएस-SHM)