फेफड़ों के साथ-साथ जिंदगी पर भी असर डालता है धूम्रपान

तम्बाकू हर वर्ष लाखों लोगों के जान गवाने का कारण बनता है।(Pixabay)
तम्बाकू हर वर्ष लाखों लोगों के जान गवाने का कारण बनता है।(Pixabay)

By: सिद्धि जैन

31 मई विश्व तंबाकू निषेध दिवस है। फेफड़े का कैंसर लोगों में काफी आम है और दुनिया भर में कैंसर से संबंधित मौतों का एक प्रमुख कारण भी यही है। दुनियाभर में कैंसर के जितने भी मामले हैं, उनमें से 13 फीसदी फेफड़े के कैंसर से संबंधित है और कैंसर से संबंधित 19 प्रतिशत मौतों के लिए भी यही जिम्मेदार है।

विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार, 2020 में फेफड़ों का कैंसर, कैंसर से होने वाली मौतों का सबसे आम कारण रहा है। फेफड़ों के कैंसर के लिए सबसे महत्वपूर्ण जोखिम कारक सिगरेट स्मोकिंग है। हालांकि सिगार या पाइप के इस्तेमाल से भी फेफड़े में कैंसर होने की आशंका बनी रहती है। तंबाकू के धुएं में लगभग 7,000 कंपाउंड्स होते हैं, जिनमें से कई विषैले होते हैं।

जो लोग सिगरेट पीते हैं, उनमें फेफड़े का कैंसर होने या इससे मरने की संभावना धूम्रपान न करने वालों की तुलना में 15 से 30 गुना अधिक होती है। अगर आप दिन में एक या दो सिगरेट पीते हैं या कभी-कभार पीते हैं, तो भी इसके होने की संभावना बनी रहती है। हालांकि आप जितना अधिक धुम्रपान करेंगे, खतरे की संभावना भी उतनी ही बनी रहेगी।

मैंगलोर में स्थित के.एस. हेगड़े में एमडी डीएम कंसल्टेंट मेडिकल ऑन्कोलॉजिस्ट विजय शेट्टी ने आईएएनएस लाइफ को बताया, "तंबाकू के सेवन को अक्सर सिगरेट या धूम्रपान करने वाले तंबाकू उत्पादों की तुलना में अधिक सुरक्षित माना जाता है। हालांकि जो लोग तंबाकू चबाते हैं, उनमें मुंह का कैंसर और प्रीकैंसर (असामान्य कोशिकाएं जिनमें कुछ बदलाव हुए हैं और कैंसर बन सकती हैं) के होने की संभावना अधिक रहती है। तंबाकू चबाने से आपको हृदय रोग, मसूड़ों की बीमारी, दांतों की सड़न और दांत खराब होने का भी खतरा होता है।"

तंबाकू से हर साल 80 लाख लोगों की मौत होती है।(Pixabay)

बैंगलोर के एएसटीईआर सीएमआई हॉस्पिटल के एमडी डीएम व कंसल्टेंट मेडिकल ऑन्कोलॉजिस्ट आदित्य मुरली ने बताया कि तंबाकू से हर साल 80 लाख लोगों की मौत होती है।

उन्होंने कहा, "इस साल किए गए अध्ययनों से पता चलता है कि धूम्रपान न करने वालों की तुलना में धूम्रपान करने वालों में कोविड-19 के साथ अन्य गंभीर बीमारियों के विकसित होने की संभावना अधिक होती है। वायरस मुख्य रूप से फेफड़ों पर हमला करता है और धूम्रपान फेफड़ों को कमजोर करता है, जिससे कोविड और अन्य बीमारियों से लड़ना मुश्किल हो जाता है। धूम्रपान हृदय रोगों, सांस की बीमारियों, कैंसर और मधुमेह के लिए भी एक जोखिम कारक है, जो ऐसे लोगों को कोविड के अधिक जोखिम में डालता है।"

बैंगलोर के एचसीजी हॉस्पिटल के एमडी डीएनबी, मेडिकल ऑन्कोलॉजिस्ट श्रीनिवास बीजे ने आईएएनएस लाइफ को बताया कि धूम्रपान से शरीर में कहीं भी कैंसर हो सकता है, जिसमें स्वरयंत्र, मूत्रवाहिनी, मूत्राशय, गर्भाशय ग्रीवा, अन्नप्रणाली, यकृत, फेफड़े, अग्न्याशय, पेट, बृहदान्त्र सहित और भी जगहें शामिल हैं। इससे कई अन्य बीमारियों के होने का खतरा भी बना रहता है।

फोर्टिस अस्पताल, मुलुंड और फोर्टिस हीरानंदानी अस्पताल, वाशी में हेड-सर्जिकल ऑन्कोलॉजी अनिल हीरूर चेतावनी देते हुए कहते हैं कि सिगरेट में कई रसायन होते हैं जिनमें कैडमियम जैसे कुछ शामिल हैं, जिनका उपयोग कार की बैटरी या सड़क बनाने के लिए इस्तेमाल होने वाले टार में किया जाता है।(आईएएनएस-SHM)

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