सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को पटाखों पर लगाए गए प्रतिबंधों के फैसले पर जोर देते हुए कहा की प्रत्येक राज्य को उसके इन आदेशों का सख्ती से पालन करना चाहिए क्योंकि यह देखा जा रहा है की नियमों के बावजूद बजार में पटाखे बेचे जा रहे हैं। जस्टिस एम.आर. शाह और जस्टिस ए.एस. बोपन्ना ने कहा, "हमारे पहले के आदेश का पालन हर राज्य द्वारा किया जाना चाहिए।कुछ रासायनिक यौगिकों वाले पटाखों जिनपर विशेष प्रतिबंध है, वह भी बाजार में खुले तौर पर उपलब्ध हैं।"
पीठ इस बात को साफ़ कर चुकी है की वह समारोह के खिलाफ नहीं है पर थोड़ी सी मस्ती के लिए लोगो की जान खतरे में डालना भी ठीक नहीं ही। साथ ही पीठ ने यह भी कहा कि त्योहार का मतलब सिर्फ तेज पटाखों का उपयोग करना नहीं है। त्योहार 'फुलझड़ी' जलाकर भी मनाया जा सकता है, जिससे शोर भी नहीं होता और ज्यादा हानि भीं नहीं है।
याचिकाकर्ता अर्जुन गोपाल की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता गोपाल शंकरनारायणन ने कहा कि उन्होंने सीबीआई रिपोर्ट के आधार पर एक अतिरिक्त हलफनामा दाखिल किया है। रिपोर्ट को देखते हुए उन्होंने यह भी कहा कि जो हुआ, वह बहुत परेशान करने वाला है।
एक प्रारंभिक जांच रिपोर्ट में, सीबीआई ने पाया कि कई पटाखों में निर्माता प्रतिबंधित हानिकारक रसायनों का उपयोग कर रहे हैं। रिपोर्ट यह भी दावा कर रही है कि पटाखा निर्माता भी उत्पाद के लेबल पर सही सामग्री का खुलासा नहीं कर रहे थे।
पटाखों की बिक्री और फोड़ने पर प्रतिबंध। (Pixabay)
अपने आदेशों का उल्लंघन होते देख गुस्साई पीठ ने पूछा , " पटाखे बाजार में खुलेआम बेचे जा रहे हैं और लोग इस्तेमाल कर रहे हैं। हम जानना चाहेंगे कि जब प्रतिबंध है, तब वे बाजारों में कैसे उपलब्ध हैं?"
एसोसिएशन ऑफ मैन्युफैक्चर्स एसोसिएशन के प्रतिनिधि एवं वरिष्ठ अधिवक्ता दुष्यंत दवे ने भी कहा कि उद्योग को सरकार द्वारा जारी प्रोटोकॉल के अनुसार काम करना चाहिए। उन्होंने यह भी कहा, "यह एक संगठित उद्योग है। लगभग पांच लाख परिवार हम पर निर्भर हैं..।" वहीँ एक अन्य वकील का कहना है कि यदि एक या दो निर्माता आदेश का उल्लंघन कर रहे हैं तो पूरे उद्योग को दंडित नहीं किया जा सकता। शीर्ष अदालत इस मामले पर अगली सुनवाई 26 अक्टूबर को करेगी।