ग्रामीण विकास मंत्रालय ( Ministry of Rural Development ) वर्मी कम्पोस्टिंग, अपशिष्ट पदार्थों के पुनर्चक्रण, अकार्बनिक कचरे के प्रसंस्करण और गैर-बायोडिग्रेडेबल कचरे की रीसाइक्लिंग जैसी 'वेस्ट टू वेल्थ' योजनाओं को ग्रामीण भारत तक ले जाने की पहल कर रहा है। 'वेस्ट टू वेल्थ' कचरे को दूर करने और कचरे से ही धन अर्जित करने की एक योजना है। अब देश भर के ग्रामीणों को इससे रुबरु कराया जा रहा है।
स्वतंत्रता दिवस के 75 सप्ताह लंबे उत्सव पर , राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों ने महात्मा गांधी मनरेगा के तहत एक सप्ताह तक चलने वाले स्वच्छ हरित ग्राम में इस पहल का आयोजन किया।
स्वच्छ हरित ग्राम सप्ताह के दौरान वर्मी कम्पोस्टिंग, अपशिष्ट पदार्थों के पुनर्चक्रण, अकार्बनिक कचरे के प्रसंस्करण और जल निकासी गड्ढों के निर्माण, वर्मी कम्पोस्टिंग, अपशिष्ट पदार्थों के दोबारा उपयोग, गैर-बायोडिग्रेडेबल कचरे की रीसाइक्लिंग जैसी 'वेस्ट टू वेल्थ' पहलों पर ध्यान केन्द्रित किया गया।
इस गतिविधि में पूरे देश के ग्रामीणों में भरी उत्साह देखने को मिला । सप्ताह के दौरान बड़ी संख्या में ग्राम पंचायतों में विभिन्न बैठकों, कार्यशालाओं और ऑनसाइट डेमो के आयोजन किए गए। राज्यों एवं केन्द्र शासित प्रदेशों द्वारा 1,970 आयोजन किए जाने की जानकारी दी गई। इनमें 2,597 अपशिष्ट से धन अर्जन पहल पूरी की गई। इसके साथ-साथ इस सप्ताह के दौरान 8,887 सोक पिट्स और 2,262 खाद गड्ढों का निर्माण पूरा किया गया।
ग्रामीण विकास मंत्रालय ने बताया कि महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना (MGNREGA) के माध्यम से ग्राम पंचायतों को अपने गांवों में स्वच्छता के महत्व की ओर ध्यान देने तथा ऐसे काम करने के लिए शिक्षित और प्रोत्साहित करने के बारे में विभिन्न कदम उठाए हैं।
मंत्रालय के मुताबिक इससे लोगों की आजीविका में सुधार हो सकेगा। मंत्रालय ने सोक पिट्स के निर्माण, ठोस अपशिष्ट प्रबंधन (वर्मी,एनएडीईपी कम्पोस्ट पिट) और एसएलडब्ल्यूएम कार्य (ड्रेनेज चैनल, तरल जैव खाद, रिचार्ज पिट, स्कूल और आंगनवाड़ी शौचालय, सोकेज चैनल, ग्राम नाली और स्थिरीकरण तालाब) जैसे स्वीकृति योग्य कार्य करने पर जोर दिया है। (आईएएनएस)
Input: IANS; Edited By: Manisha Singh