रूस-यूक्रेन युद्ध ने दुनिया को एक आईना दिखाने का काम किया है। जहाँ एक तरफ स्वयं को सुपर पावर बताने वाला अमेरिका ने अपनी मंशा साफ कर युद्ध में न कूदने का फैसला लिया है, वहीं अमेरिका के साथ यूरोपियन यूनियन ने भी यूक्रेन को मदद देने से हाथ पीछे खींच लिया है। अब यह सभी देश केवल रूस पर प्रतिबंधों की पैरवी कर रहे हैं न कि उसके खिलाफ कोई सैन्य कार्रवाई। आपको बता दें कि अब तक रूस यूक्रेन युद्ध के कारण सैकड़ों-हजारों की संख्या में लोगों की मृत्यु हो चुकी है और यदि ऐसी ही स्थिति रहती है तो यह संख्या लाखों में भी पहुंच सकती है। किन्तु इन सभी के बीच भारत एक असमंजस के मुहाने पर खड़ा सब कुछ देख रहा है। वह न तो इस युद्ध का विरोध कर पा रहा है और समर्थन तो दूर की बात है। साथ ही अब यह सवाल भी उठ रहे हैं कि क्या भारत इसके चलते मुश्किल में पड़ सकता सकता है?
जिस समय रूस ने यूक्रेन पर हमला किया उस समय पाकिस्तान रूस में राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के साथ बैठक कर रहा था। साथ ही जब चीन ने इस युद्ध पर अपना आधिकारिक बयान जारी किया तब उसने इस मामले से यूक्रेन और रूस का आंतरिक मामला बताते हुए किनारा कर लिया। इन सभी चीजों को देखते हुए यह मुद्दा उठने लगा कि क्या पाकिस्तान और चीन की बढ़ती नजदीकियां भारत के लिए मुश्किलें खड़ी कर सकती हैं और क्या यह नजदीकियां अंतराष्ट्रीय स्तर पर भारत को पीछे ढकेल सकती है।()
(VOA)