World Bicycle Day 2022: साइकिल का आदिमानव के आविष्कार से रामप्यारी बनने तक का सफर

2018 में छपे एक समाचार-पत्र के लेख के अनुसार भारत में प्रति 1,000 लोगों पर 90 साइकिलें हैं।
World Bicycle Day: 1817 में कार्ल वॉन ड्रैस नाम के एक जर्मन बैरन ने Bicycle का आविष्कार किया
World Bicycle Day: 1817 में कार्ल वॉन ड्रैस नाम के एक जर्मन बैरन ने Bicycle का आविष्कार किया Wikimedia Commons

World Bicycle Day 2022: आप सभी ने कभी-कभी न कभी साइकिल जरूर चलाई होगी। हमारे बचपन की हवाई जहाज हुआ करती थी साइकिल। इस साइकिल से ही घर का आटा पिसवाने से लेकर स्टंट्स करने तक हमने साइकिल को बहुत पास देखा है। आज आपा-धापी भरे जीवन में, यह सब कुछ एक याद जैसी रह गई है। पर हाँ इससे संबंधित एक घटना मुझे याद है, जिसके बाद मैंने साइकिल के महत्व को और समझा।

मैं 2009 में जब कक्षा 8 में पढ़ाई कर रहा था तब हमारी हिन्दी पाठ्यपुस्तक 'वसंत' में एक पाठ था "जहाँ पहिया है"। इसके लेखक "पी साइनाथ" हैं। इस पाठ में लेखक ने तमिलनाडु के पुडुकोट्टई (Pudukottai) के महिलाओं की कहानी को सबके सामने रखा। यह साइकिल वहाँ की महिलाओं के लिए एक "साइकिल आंदोलन" बन कर उभरा जिसने पुडुकोट्टई के औरतों में अपने अधिकारों और स्वतंत्रता के प्रति जागृति पैदा कर दिया।

मैंने जब यह पाठ पढ़ा तब यह एक कौतूहल का विषय था मेरे लिए, कि कैसे हमारे समाज में स्त्री का एक वर्ग कहीं न कहीं अपने अस्तित्व के लिए लड़ रहा है, तभी तो साइकिल जैसी मामूली चीज की उपलब्धि उनके लिए इतनी बड़ी है। हाँ, साइकिल मेरे लिए कोई विशेष चीज नहीं थी।

पर आज लगभग 12 साल बाद, पर्यावरण के अनुकूल चलने वाला इस वाहन को जब बड़े-बड़े नेताओं को अपनी सवारी देते देख रहा हूँ तो वाकई लगता है ये बहुत बड़ी और विशेष चीज है। ऐसे में मुझे लगता है वाकई साइकिल की जंजीरों ने देश के एक बड़े स्त्री वर्ग को रूढ़िवादी परंपराओं की जंजीरों से निश्चित ही आजाद कराया होगा।

1993 के उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में एक पार्टी का चुनाव चिह्न बनकर सबके सामने आई Bicycle
1993 के उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में एक पार्टी का चुनाव चिह्न बनकर सबके सामने आई BicycleWikimedia Commons

आज भले ही हीरो साइकिल, टीआई साइकिल, एवन साइकिल और एटलस साइकिल, ये चार प्रमुख खिलाड़ी हों साइकिल मार्केट में। पर जब 1817 में कार्ल वॉन ड्रैस (Karl von Drais) नाम के एक जर्मन बैरन ने यह बड़ा विकास किया तब हर कोई आश्चर्य से भर हुआ था कि कैसे दो पहिये कि सवारी किसी सवार को उठा सकती है। पर उनके इस आविष्कार ने जैसे मानवों को पंख दे दिए। यह एक अद्भुत आविष्कार था, जिसमें उन्होंने एक स्टीयरेबल, दो-पहिया कोंटरापशन बनाया। इसी वजह से ड्रैस Drais को व्यापक रूप से साइकिल के पिता के रूप में स्वीकार किया जाता है। यह लगभग 19वीं शताब्दी का प्रारंभ था। किसी ने नहीं सोच था कि जिस पहिये का आविष्कार आदिमानवों ने अपने प्रथम सर्वश्रेष्ठ आविष्कार के रूप में किया था, वो एक दिन बड़ी क्रांति के रूप में उभर कर सबके सामने आएगा।

एक लंबी यात्रा तय करके साइकिल, 1993 के उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में एक पार्टी का चुनाव चिह्न बनकर सबके सामने आई। राजनीति से लेकर आम जन तक साइकिल का योगदान बहुमुखी रहा है।

इसके बाद संयुक्त राष्ट्र ने पहली बार अप्रैल में न्यूयॉर्क शहर में संयुक्त राष्ट्र महासभा के 72वें नियमित सत्र के दौरान एक प्रस्ताव अपनाया था, जिसके तहत 3 जून 2018 को पहली बार विश्व साइकिल दिवस चिन्हित हुआ।

राजनीति में भी साइकिल ने बहुत खूब अपना अभिनय अदा किया। यह साइकिल कभी किसी का चुनाव चिह्न बनी तो, कोई इसके जरिए देश को चुस्त और दुरुस्त करने निकाल पड़ा।

World Bicycle Day पर Anurag Thakur ने साइकिल चलाकर दिया संदेश
World Bicycle Day पर Anurag Thakur ने साइकिल चलाकर दिया संदेश IANS

आज World Bicycle Day पर जब देश के केंद्रीय युवा मामले और खेल मंत्री अनुराग ठाकुर (Anurag Thakur) ने मेजर ध्यानचंद राष्ट्रीय स्टेडियम से साइकिल रैली के राष्ट्रव्यापी अभियान की शुरूआत की तो यह मामला स्पष्ट समझ आ गया कि, साइकिल आज भी प्रासंगिक क्यों है। Old is Gold की कहावत सर्वथा सही ही कही गई है। देश में फिट इंडिया (Fit India), खेलो इंडिया (Khelo India), क्लीन इंडिया (Clean India) और स्वस्थ भारत जैसी मुहिमें भले नई हों पर साइकिल ने इसकी शुरुवात अपने आविष्कार के साथ ही कर दी थी। तभी तो देश की एक बड़ी जनसंख्या आज भी साइकिल चलाने को प्राथमिकता देती है। 2018 में छपे एक समाचार-पत्र के लेख के अनुसार भारत में प्रति 1,000 लोगों पर 90 साइकिलें हैं।

World Bicycle Day: 1817 में कार्ल वॉन ड्रैस नाम के एक जर्मन बैरन ने Bicycle का आविष्कार किया
World Bicycle Day पर Anurag Thakur ने साइकिल चलाकर दिया संदेश

अगर साइकिल द्वारा स्वास्थ्य संबंधित फ़ायदों कि बात करें तो हम पाएंगे कि इसके द्वारा आपको गंभीर बीमारियों जैसे स्ट्रोक, दिल का दौरा, अवसाद, मधुमेह, मोटापा और गठिया जैसे रोगों से बचने में मदद मिल सकती है। इसीलिए यदि आप अपनी दिनचर्या में दुकानों, पार्क, स्कूल या काम पर साइकिल चला कर जाएँ तो आप न केवल फिट होंगे बल्कि कई रोगों से भी दूर रहेंगे।

उपर्युक्त पर्याप्त कारण हैं जिसके कारण लोग इसे राम प्यारी कहके भी इसका सम्मान करते हैं। रामप्यारी खास करके पूर्वी उत्तरप्रदेश में प्रचलित शब्द है। आने वाले समय में यह साइकिल स्वास्थ्य के क्षेत्र में अपना महत्वपूर्ण योगदान सदा निभाती रहेगी।

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