नवरात्रि और अर्थव्यवस्था

नवरात्रि, जो नौ देवियों को समर्पित नौ दिनों का त्योहार है, भारत में सिर्फ एक धार्मिक उत्सव नहीं बल्कि देश की अर्थव्यवस्था की एक बड़ी शक्ति भी है। इन नौ दिनों में लोग पूजा, भजन, गरबा, डांडिया, शॉपिंग और यात्राएँ करते हैं। यह त्योहार इतना बड़ा है कि इससे जुड़े हर क्षेत्र, बाज़ार, गाड़ियाँ, सोना, रियल एस्टेट, होटल, खानपान, ई-कॉमर्स, यहाँ तक कि छोटे दुकानदार और कारीगर, सभी की कमाई बढ़ जाती है।
नवरात्रि और अर्थव्यवस्था का रिश्ता गहरा है।
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पिछले कई वर्षो का डेटा साफ़ दिखाता है कि त्योहारों का सीधा असर बाज़ार पर होता है। 2024 में कन्फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स (CAIT) ने अनुमान लगाया कि नवरात्रि (Navratri) और उससे जुड़े आयोजन जैसे रामलीला (Ramlila), गरबा (Garba) और डांडिया (Dandiya) से देशभर में लगभग ₹50,000 करोड़ का कारोबार हुआ। सिर्फ दिल्ली (Delhi) में ही यह ₹8,000 करोड़ तक का व्यापर हुआ। पश्चिम बंगाल (West Bengal) में दुर्गा पूजा (Durja Puja) से जुड़े 10 अलग-अलग सेक्टर (जैसे मूर्तिकार, लाइटिंग, सजावट, ऑडियो-विजुअल और फूड बिज़नेस) ने अकेले ही ₹32,377 करोड़ का योगदान दिया, जो राज्य के जीडीपी (GDP) का लगभग 2.6% है। यह दिखाता है कि नवरात्रि और अर्थव्यवस्था (Economy) का आपसी रिश्ता कितना मज़बूत है।

साल 2025 के लिए विशषज्ञों का अनुमान है कि सिर्फ नवरात्रि सीज़न में ही ₹4.5 से ₹5 लाख करोड़ तक की खपत हो सकती है। इसमें कपड़े, ज्वेलरी, इलेक्ट्रॉनिक्स, गाड़ियाँ, घर और सजावटी सामान सब शामिल हैं।

इसमें डिजिटल पेमेंट और ई-कॉमर्स (E-Commerce) जैसे प्लेटफॉर्म्स पर ऑनलाइन शॉपिंग में 25–30% तक की बढ़ोतरी का अनुमान है। साथ ही, यूपीआई (UPI) लेन-देन पहले ही हर महीने 14 बिलियन (14 Billion) पार कर चुके हैं। बैंक और कंपनियाँ कैशबैक, ऑफर और "बाय नाउ, पे लेटर" जैसी सुविधाएँ दे रही हैं जिससे लोग और खर्च करने को प्रेरित होंगे।

रियल एस्टेट (Real Estate) कंपनिया भी अपने प्रोजेक्ट्स पर विशेष छूट और ऑफर निकालती हैं, क्योंकि नवरात्रि और दशहरा (Dussehra) में घर और ज़मीन खरीदना शुभ माना जाता है। इसी तरह, सोने की कीमतें भले ही आसमान छू रही हों लेकिन त्योहार के दौरान लोग सोना खरीदते ही है।

नवरात्रि के दौरान कपड़े और फैशन का कारोबार भी बहुत ग्रोथ देखता है। लोग खासतौर पर नए कपड़े, चूड़ियाँ, गहने, साड़ियाँ और पारंपरिक पोशाकें खरीदते हैं। दुकानों और मॉल्स में भारी भीड़ होती है। गाड़ी खरीदने के लिए नवरात्रि और दशहरा को सबसे शुभ समय माना जाता है। 2023 में सिर्फ नौ दिनों के भीतर 2.2 लाख कारें और एसयूवी (SUV) बिक गईं।

यह त्योहार उपभोक्ता खर्च को बढ़ाता है, नौकरियाँ पैदा करता है, स्थानीय व्यवसायों को सहारा देता है
यह त्योहार उपभोक्ता खर्च को बढ़ाता है, नौकरियाँ पैदा करता है, स्थानीय व्यवसायों को सहारा देता हैAI Generated

नवरात्रि के दौरान गुजरात (Gujarat) में गरबा (Garba) और पश्चिम बंगाल (West Bengal) में दुर्गा पूजा (Durga Puja) देशभर के साथ-साथ विदेशों से पर्यटकों को भी आकर्षित करती है। होटल, गेस्टहाउस, एयरलाइंस और ट्रैवल एजेंसियों की बुकिंग कई हफ्ते पहले ही फुल हो जाती है। 2023 में कोलकाता में 17,000 विदेशी पर्यटक आए, जो पिछले साल से 5,000 अधिक थे। यह सब यूनेस्को द्वारा 2021 में दुर्गा पूजा को ‘इंटैन्जिबल कल्चरल हेरिटेज’ (International cultural Heritage) का दर्जा मिलने के बाद संभव हुआ। गुजरात में तो गरबा नाइट्स से ही ₹15,000 करोड़ से ज्यादा का कारोबार होने का अनुमान है।

त्योहारों के दौरान खानपान का कारोबार भी आसमान छूने लगता है। 2023 में सिर्फ कोलकाता (Kolkata) के रेस्टोरेंट्स और बार ने छह दिनों में ₹1,100 करोड़ की कमाई की, जो 2022 से 20% अधिक था। हलवा, पकोड़ी, कुट्टू के आटे की पूड़ी और व्रत-विशेष थालियों की माँग ज़बरदस्त रहती है। हालाँकि, 2025 में दिल्ली (Delhi) में कुट्टू के आटे से बने खाने की वजह से फूड प्वाइज़निंग की घटनाएँ सामने आईं, जिससे साफ पता चलता है कि फूड सेफ़्टी पर और ध्यान देने की ज़रूरत है।

नवरात्रि लाखों लोगों के लिए अस्थायी रोज़गार भी लाती है। सजावट करने वाले, लाइटिंग वाले, कैटरिंग, मूर्तिकार, पंडाल बनाने वाले, सफाई कर्मचारी, ऑटो-रिक्शा चालक, सभी को काम और आमदनी मिलती है।

हालाँकि नवरात्रि और अर्थव्यवस्था का रिश्ता मजबूत है, लेकिन कुछ समस्याएँ भी सामने आती हैं। सबसे बड़ी चुनौती है अत्यधिक व्यावसायीकरण, जहाँ टिकट, सजावट और खाने-पीने की चीज़ों की कीमतें बहुत बढ़ जाती हैं। कई लोग कहते हैं कि “गरबा अब आध्यात्मिकता से ज़्यादा महँगी पार्टी जैसा हो गया है।”

इसके अलावा पर्यावरण (Environment) पर दबाव भी है। प्लास्टिक की सजावट, कचरा, ध्वनि प्रदूषण और बिजली की अधिक खपत से प्रदूषण बढ़ता है। छोटे कारीगरों को भी कई बार बड़े ब्रांडों की छाया में अपनी पहचान खोनी पड़ती है।

निष्कर्ष

नवरात्रि केवल एक धार्मिक उत्सव नहीं है बल्कि यह भारत (India) की अर्थव्यवस्था को गति देने वाला इंजन भी है। यह त्योहार उपभोक्ता खर्च को बढ़ाता है, नौकरियाँ पैदा करता है, स्थानीय व्यवसायों को सहारा देता है और छोटे दुकानदारों से लेकर बड़ी कंपनियों तक सभी के लिए अवसर लाता है। नवरात्रि 2025 की भविष्यवाणी बताती है कि भारत की संस्कृति और वाणिज्य का यह संगम आगे भी देश की तरक्की की धड़कन बना रहेगा।

नवरात्रि और अर्थव्यवस्था का रिश्ता गहरा है। यह त्योहार करोड़ों का कारोबार करता है, लाखों रोज़गार पैदा करता है और छोटे-बड़े सभी व्यापारियों को सहारा देता है। संस्कृति और वाणिज्य का यह संगम भारत की तरक्की का सबसे रंगीन और मजबूत आधार है।

(Rh/BA)

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